विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021
Introduction:-
world mental health day 2021-मानसिक बीमारी है क्या ऐसी बीमारी है जो हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती इसलिए हमें पता भी नहीं चलता कि हमारे आस पास कितने लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। कुछ लोग तो पता चलने पर भी इसका इलाज नहीं करवाते जो आगे चलकर गंभीर रूप ले लेता है और इसका परिणाम आने वाले भविष्य में बेहद खतरनाक हो सकता है।
इन दिनों या समस्या काफी उभर रही है हर क्षेत्र में ऐसे केसे देखने को मिल रहे हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने हर काम में 100% देने में समर्थ होता है तो वही मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति अपने कामों को पूरा करने में असमर्थ व अक्षमरहता है।
वह मानसिक तनाव से भरा होता है मानसिक बीमारी के चलते लोगों के हितों व परिवारों के बीच बड़ी समस्याएं उभरने लगती है। ना जाने कितने लोग इस समस्या के चलते आत्महत्या कर लेते हैं और दुर्घटना हो जाने के बाद हम जान पाते हैं उसके मौत की वजह।
इसलिए अभी आपसे कोई अपनी समस्या साझा करता है आपको उसकी बातों को नजरंदाज ना करके गौर से समझना चाहिए हो सकता है ऐसा करके आप एक दुर्घटना को टाल सके।

कई बार यह बीमारी मौत लोगों के मौत का कारण बन जाती है इसलिए इसे गंभीरता से लेना बेहद आवश्यक है। इस प्रकार हमें अपने नजदीकी या रिश्तेदारों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए जो लोग किसी तनाव से गुजर रहे हो हमें उनका ख्याल रखना चाहिए उनकी बातों पर ध्यान देना चाहिए.
उनकी समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए यदि आप किसी उनकी बातों पर ध्यान देना चाहिए उनकी समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए यदि आप किसी तनाव ग्रस्त व्यक्ति से बातचीत करते हैंउनकी समस्याओं को समझते हैं तो उस व्यक्ति की डिप्रेशन समस्या में कमी आती है।
हाल ही में वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य का क्षेत्र उभरा है। इस क्षेत्र में सुधार के लिए अध्याय, अभ्यास वर शोध क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को वैश्विक स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।10अक्टूबर के दिन सरकारी व सामाजिक संगठनों के द्वारा तनाव मुक्त विषय पर चर्चा, विचार-विमर्श तथा इसके निदान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस क्या है तथा इसकी शुरुआत कब हुई ?
वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा व जागरूकता के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है जिससे सामाजिक कलंक के खिलाफ उपाय व इसका तोड़ निकाला जा सके।
1939 में भारतीय मनोरोग सोसाइटी की स्थापना की गई थी।
वर्ष 1960 में मानसिक अस्पतालों के अधीक्षकों के प्रथम सम्मेलन का आयोजन किया गया।
1971, मेंटल हेल्थ केयर प्राथमिकता के विषय पर निर्देश दिए गए।
1975 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विकासशील देशों के प्रति नीति के रूप प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण की सिफारिश की गई थी।
1982 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिससे कि सभी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता व पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 1992 में आयोजित हुए वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल के लिए मनाया गया था।
इस दिन के बाद से प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को हजारों समर्थक मानसिक बीमारी से मानव के जीवन पर पड़ रहे प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इस वार्षिक जागरूकता आयोजन को मनाने के लिए आते हैं। ऑस्ट्रेलिया सहित कुछ अन्य देशों में यह दिवस मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह जागरूकता के आधार पर मनाया जाता है जिसका उद्देश्य मानसिक रोगों व समस्याओं से बचने व उनके नुकसान के प्रति इस विषय में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है।
1994 में संयुक्त राष्ट्र के महा सचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव अनुसार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाना आरम्भ हुआ।
1994 की थीम–‘दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार’।यह विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पहली थीम थी।
प्रतिवर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है।
इस दिवस का उद्देश्य :-
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लाखों लोग मानसिक तनाव जैसी बड़ी समस्या से गुजर रहे हैं। तनाव मानव के स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है या वर्तमान की जीवन शैली का अहम मुद्दा बन गया है। मानसिक तनाव किसी व्यक्ति के निजी बस जिंदगी तक ही सीमित सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक विनाश के रूप में प्रभावकारी है।इसी विषय को लेकर जागरूकता पैदा करना उपायों पर विचार करना इस मुद्दे का उद्देश्य है।
मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या कर रहे लोगों के रोकथाम करने के लिए इस थीम पर आधारित कई सारे सेमिनार व कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
मानसिक विकारोंऔर रोगों के कारण बढ़रही समस्याओं के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का मुख्य उद्देश्य है।
सहयोग के प्रयास को बढ़ाना।
व्यक्ति के प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में शामिल करना एवं सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल को की ओर ध्यान देना वह आगे बढ़ना इस कार्यक्रम का उद्देश्य था
मानसिक स्वास्थ्य ;-
व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का संबंध उसकी भावात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्थिति से होता है। मानसिक स्वास्थ्य हमारे मस्तिष्क का सही से कार्य करना व स्वस्थ होना दर्शाता है। मानसिक स्वास्थ्य ही है जो व्यक्ति को सोचने, अनुभव करने व समझने में सक्षम बनाता है।यह व्यक्ति के भावात्मक रूप से सलामती अथवा मानसिक विकार की अनुपस्थिति का वर्णन प्रकट करता है। व्यक्ति की दिनचर्या व उसका संपूर्ण जीवन व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर ही निर्भर है।
मानसिक विकार से मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है और आपके शारीरिक कार्य करने की क्षमता भी धीरे-धीरे खोने लगती है।
मानसिक स्वास्थ्य नीति
10 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए की गई थी। इस घोषणा के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम लागू किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत किशोरावस्था प्रजनन व यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस नीति का उद्देश्य प्रत्येक व व्यापक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समझ व जागरूकता को बढ़ावा देना तथा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक देश के सभी नागरिक को व्यापक पहुंच उपलब्ध कराना था। इस नीति को गरीबों के लिए खास तौर पर आरंभ किया गया क्योंकि देश में केवल उच्च वर्ग को ही मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच संभव है। यह नीति मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 365 द्वारा समर्थित थी। इस नीति में केंद्र व राज्य सरकार, सिविल सोसाइटी संगठन एवं स्थानीय निकायों के द्वारा अदा की जाने वाली विशेष भूमिकाओं का साफ-साफ उल्लेख किया गया है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए वर्ल्ड फेडरेशन
यह एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (NGO)है और इस एनजीओ में नागरिकस्वयं सेवक और रोगियों की मौजूदगी उपस्थित है। या, वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एक मानसिक स्वास्थ्य संगठन है और इस संगठन में 150 से अधिक देश व सदस्य हैं।
इस संगठन की स्थापना वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के रूप में हुई।इसे स्थापित करने के उद्देश्य ‘मानसिक व भावनात्मक विकारों के लिए रोकथाम करना,मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देनाव इन विकारों के लिए देखभाल व उपचार।
इस फेडरेशन ने अपने सभी सदस्यों के साथ मिलकर 6 महाद्वीपों के 94 से अधिक देशों से संपर्क कर व उनके साथ मिलकर मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र को विश्वव्यापी जमीनी, वकालत व सार्वजनिक शिक्षा संगठन के तौर पर अपनी भूमिका के जरिए अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कठिनाइयों का सामना कर,मुकाबला करकेजवाबदेही का पूरा प्रयत्न किया।
वयस्कों में मानसिक स्वास्थ्य समस्या की मौजूदगी
वयस्कता व्यक्ति का वो चरण होता है जिसमें व्यक्ति के अंदर कई बदलाव होते हैं वह चीजों के प्रति ज्यादा सजग होता है और हर कार्य के प्रति गंभीर व भावुक रहता है और सोचता अधिक है। व्यक्ति का अधिक सोचना उसके दिमाग के लिए घातक है और इससे मानसिक रोग उत्पन्न हो सकता है।
वयस्कों में कुछ करने का उत्साह और जोश ज्यादा रहता है और उतनी जल्दी वे अग्रेसिव भी होते हैं इसलिए यह समस्या उन्हीं में अधिक उभरती है। यदि किसी कार्य में असफल हुए तो वह निराशा की ओर जाने लगते हैं और स्ट्रेस में रहने लगते हैं जो इस रोग को जन्म देता है।10 से 19 वर्ष के बीच के व्यक्तियों में यह रोग अधिक तेजी से होता है और वैश्विक रोग भार में इसकी 16% हिस्सेदारी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) :-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसारमानसिक स्वास्थ्य सलामती की स्थिति है जिमें व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा एहसास होता है। वह अपने जीवन के सारे तनावों को सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार होता है, अपने सारे उपयोगी वाला कार्य कर पाने तथा समाज के प्रति अपना योगदान दे पाने के प्रति सक्षम होता है।
WHOकी रिपोर्ट अनुसार, 450 मिलियन लोग (दुनिया भर में) मानसिक रोग से ग्रसित हैं। हर क्षेत्र में 10 में से 3 से 4 व्यक्ति इसके लक्षण का शिकार है।
1बिलियन (लगभग) लोग मानसिक बीमारी की उपस्थिति में जीवन जी रहे हैं।
लम्बे वक्त तक चिंता डिप्रेशन(अवसाद) को जन्म देता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2020 में भारत की लगभग 20 फ़ीसदी जनसंख्या किसी न किसी प्रकार मानसिक रोगों से ग्रसित है।
2020 की थीम :-‘सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्यः अधिक से अधिक निवेश व ज्यादा से ज्यादापहुंच’।
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने केप्रमुख उपाय
मानसिक रूप से स्वस्थ कुछ ऐसे छोटे-छोटे उपाय हैं जिन्हें आप करके घर पर ही अपने मस्तिष्क स्वास्थ्य को स्वस्थ रख सकते हैं।
स्वास्थ्य का ध्यान देना,
कुछ नया करते व सीखते रहें,
किसी बात का स्ट्रेस ना ले,
खुद को शांत रखें,
सकारात्मक सोचें व सकारात्मक लोगों के बीच ही बैठे,
लक्ष्य निर्धारित रखें,
सुबह शाम व्यायाम व मेडिटेशन करें,
बैलेंस डाइट व पर्याप्त नींद,
निश्चित रूटीन,
लोगों की सहायता करें और आवश्यकता पड़ने पर दूसरों से सहायता लें।
यह सभी आपके दिमाग को स्वस्थ रखने के उपाय हैं।
यदि आपको इसके लक्षण दिखाई दे जैसे कि ज्यादा गुस्सा आना, बात-बात पर चिड़चिड़ापन महसूस करना आदि। तो आप तुरंत मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिले, उनसे अपनी समस्याएं बताए तथा इलाज के लिए पूछें। शुरुआत में ही आपको इसके लिए सजग रहना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए इससे पहले कि यह रोग आपके मस्तिष्क की गंभीर समस्या में बदल जाए।
Conclusion :-
आपकी थकान कब आपका तनाव बन कर आप पर हावी हो जाती आपको पता भी नहीं चलता। तनाव किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि यह कई अन्य समस्याओं को जन्म देता है आप जितने तनाव में रहेंगे दिन-ब-दिन आप उतने ही अक्षम होते जाएंगे। ना तो आप ठीक से कुछ सोचने में सक्षम होंगे ना ही किसी कार्य को सही ढंग से करने में।
सिरदर्द, रक्तचाप का घटना या बढना, जल्दी गुस्सा आना, सोचने की क्षमता में कमीतथा हृदय से जुड़ी समस्या इसी तनाव का परिणाम होता है। हार्ट अटैक केसों मेंअधिकतर तनाव की उपस्थिति पाई जाती है। तनाव पैदा करने वाले हर कारणों से हमें खुद को व अपने बच्चों और परिवार को दूर रखना चाहिए। समस्या तो आज या कल खत्म ही हो जाएगी किंतु आपके स्वास्थ्य को कुछ हो गया तो उसे ठीक होने में ना जाने कितना समय लगेगा। इसलिए शांति से तनाव मुक्त रहकर ही समस्या का समाधान खोजिए। मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए ध्यान और योग बेहद में अहम भूमिका निभाते हैं।
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काजल पांडेय affairsworld में एक लेखिका हैं जिनको बिज़नेस , जीवनी आदि जैसे विषय के बारे में जानकारी तथा ३ वर्षो का अनुभव भी है।