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Ramappa Temple UNESCO World Heritage Site सूची में शामिल।
हाल ही में यूनेस्को ने लगभग 800 साल पुराने तेलंगाना के मुलगु जिले में स्थित रुद्रेश्वर मंदिर को विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया है। इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह UNESCO की इस सूची में शामिल होने वाला भारत का 39वां स्थल बन चुका है। इसे वर्ष 2019 में UNESCO सूची के लिए नामांकित किया गया था।
काकतीय शासकों ने कराया था निर्माण
रुद्रेश्वर या रामप्पा मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल में काकतीय राजा गणपति देव के सेनापति रेचारला रुद्र ने करवाया था। एक शिलालेख के अनुसार मंदिर के निर्माण की तिथि माघ माह की अष्टमी (12 जनवरी, 1214) शक-संवत 1135 है।
क्यों पड़ा रामप्पा मंदिर नाम?
लगभग चार दशकों तक मंदिर निर्माण करने वाले एक वास्तुकार के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर के रूप में जाना जाता है।
यहाँ भगवान शिव इष्टदेव के रुप में विराजमान हैं, जो रामलिंगेश्वर स्वामी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
दक्षिण भारतीय मंदिर शैली का अनुपम उदाहरण
मंदिर छह फुट ऊँचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रमाणित करती है। मंदिर परिसरों से लेकर प्रवेश द्वारों तक काकतीयों (Kakatiya) की विशिष्ट शैली, जो इस क्षेत्र को अद्वितीय बनाती है तथा दक्षिण भारत में मंदिर और शहर के प्रवेश द्वारों की विकसित शैली की साक्षी है।
विशेष भूकंप रोधी सैंडबॉक्स तकनीक से निर्मित
इसकी नींव “सैंडबॉक्स तकनीक” से निर्मित हैं। सैंडबॉक्स तकनीक में इमारतों के निर्माण से पहले गड्ढे को भरना शामिल है- जिसमे नींव रखने के लिये खोदे गए गड्ढों को रेत-चूने, गुड़ आदि के मिश्रण से साथ भरा जाता है।
भूकंप की स्थिति में सैंडबॉक्स तकनीक से निर्मित यह नींव मुलायम तकियों (Cushion)के रूप में कार्य करती है। जिससे भूकंप का असर मूल ढांचे तक पहुंचने से पहले ही शांत पड़ जाता है।
क्या सचमुच पानी में तैर सकता है यह मंदिर?
मंदिर का निचला हिस्सा लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है जबकि सफेद गोपुरम को विशेष प्रकार की ईंटों से बनाया गया है, ऐसा माना जाता है ये ईंटें पानी पर तैर सकती हैं। जिसे वैज्ञानिक शोध प्रमाणित भी कर चुके हैं।
विदेशी व्यापारी और यात्री मंदिर की सुंदरता पर मोहित थे। Marco Polo ने इस मंदिर को “दक्कन के मध्ययुगीन मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा” कहा था।
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कैसे किया जाता है धरोहरों का चयन?
UNESCO की 21 देशों की समिति World Heritage Site नामांकित देशों में से धरोहर स्थल का चयन करती है। इस समिति के देशों की सदस्यता स्थाई नहीं होती है। एक निश्चित समय के बाद इन देशों की सदस्यता में परिवर्तन कर दिया जाता है। रामप्पा मंदिर को धरोहर स्थल बनाने हेतु 21 में से 17 सदस्यों ने अपनी सहमति प्रदान की।
भारत सुपर-40 क्लब (Super-40 Club)
भारत सुपर-40 क्लब (Super-40 Club) में शामिल होने से मात्र एक पायदान दूर है , जैसे ही एक और भारतीय धरोहर UNESO की World heritage site की सूची में शामिल होती है। भारत ब्रॉउन कंट्रीज(Brown Countries) की सूची में शामिल हो जाएगा।
Brown Countries में वे देश आते हैं जहाँ 40 से 49 UNESCO World heritage sites होती हैं।
इसके अलावा और भी लिस्ट होती है
Purple countries वे देश जिनके 50 या अधिक UNESCO World Heritage sites हैं।
Brown countries वे देश जिनके 40 से 49 UNESCO World Heritage sites हैं।
Light Brown countries वे देश जिनके 30 से 39 UNESCO World Heritage sites हैं।
Orange countries वे देश जिनके 20 से 29 UNESCO World Heritage sites हैं।
Blue countries वे देश जिनके 15 से 19 UNESCO World Heritage sites हैं।
Green countries वे देश जिनके 10 से 14 UNESCO World Heritage sites हैं।
Purple countries की सूची में केवल दो ही देश इटली और चीन आते हैं।
उम्मीद है भारत बहुत जल्द Purple Countries की सूची में शामिल होगा।
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