Rameshwar Nath Kao (R N KAO) – Gentleman Spymaster

जब एक तीर लक्ष्य को भेद देता है। तब लोग प्रशंसा करते हैं तीरंदाज की और उस लक्ष्यभेदी तीर की। लेकिन इसी बीच वह नजरअंदाज कर देते हैं उस कमान और उसकी डोरी को जिसके संयमित और जरूरी वेग से तीर को गति मिली। जिसके बिना शायद लक्ष्य को भेदना संभव ना हो पाता।
ऐसे ही जब कोई राष्ट्र किसी भौतिक या कूटनीतिक युद्धों में बढ़त प्राप्त कर लेता है करता है तो उसमें श्रेय दिया जाता है शीर्ष अधिकारियों को और उनके निर्णयों को।
लेकिन इन बड़े बड़े फैसलों के पीछे काम करतें हैं खुफिया तंत्र। जिनका नाम अक्सर सामने नहीं आ पाता। लेकिन उनके सूचना संग्रहण और रणनीतिक कौशल के बिना किसी भी मोर्चे पर विजय प्राप्त कर पाना एक टेढ़ी खीर है।
भारत में खुफिया तंत्र के जनक
भारत समेत कई देशों में ऐसे ही कई सूचनात्मक खुफिया तंत्र काम करतें हैं। जिनकी मदद ना जाने कितनी बार हमने दुश्मनों को पटखनी दी है। लेकिन संवेदनशीलता और गोपनीयता को अक्षुण्ण रखने के उद्देश्य से अनेकों बार रियल हीरोज के नाम सामने नहीं आ पाते।
भारत में वर्तमान खुफिया तंत्र के जनक के रूप में पूर्व रक्षा एवं विदेशी मामलों के जानकार रामेश्वर नाथ काव (R N Kao – gentleman spymaster) को जाना जाता है।
इन्होंने ही भारत खुफिया एजेंसी की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की जड़ों को सींचने का काम किया। इन्हें भारत के प्रथम जासूस तथा स्पाई मास्टर के रूप में जाना जाता है।
कश्मीर पंडित परिवार से है संबंध R N kao
रामेश्वर नाथ काव ( R N KAO ) जी का जन्म 10 मई 1918 को पवित्र गंगा के शहर वाराणसी में हुआ। वह एक कश्मीरी हिन्दू पंडित परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनका पालन पोषण चाचा त्रिलोकीनाथ जी के यहां हुआ।
रामजी की प्रारंभिक शिक्षा बड़ौदा शहर के हवाले रही। तथा स्नातक और स्नातकोत्तर निपुणता का जिम्मा लखनऊ और इलाहाबाद ने संभाला। सन् 1940 में रामेश्वर नाथ जी को आई पी अथवा तात्कालिक सिविल सेवा में चुना गया।
जिसके तहत आपकी पहली नियुक्ति कानपुर शहरी क्षेत्र में सहायक पुलिस अधीक्षक आजादी के रूप में हुई।
विदेशों में की खुफिया तंत्र की स्थापना
सन् 1948 में जब इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) की स्थापना हुई तो रामेश्वर नाथ काव ( R N Kao ) को उसका सहायक निदेशक बनाया गया।
शुरुआती दौर में आपको प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत में आने वीआईपी मेहमानों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया। बाद में रामजी ने विभिन्न देशों में जाकर वहां खुफिया तंत्र को विकसित कर, कार्य कुशलता में सक्षम बनाने की दिशा में कार्य किया।
भारत लौटने के बाद काव साहब को, चारबटिया,ओडिशा में नवीन गठित संगठन विमानन अनुसंधान केंद्र का पहला निदेशक बनाया गया।
कश्मीर की राजकुमारी की जांच का मामला
1955 में पहली बार दुनिया में रामेश्वर नाथ काव ( gentleman spymaster ) की बुद्धिमत्ता के कौशल की चर्चा शुरू हुई। जब उन्हें कश्मीर की राजकुमारी कहे जाने वाले Lockheed P-749 के दुर्घटना ग्रस्त हो जाने की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
इस विमान में सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहा एक चीनी प्रतिनिधि मंडल सवार था। इस विमान ने मुंबई से उड़ान भरी लेकिन यह इंडोनेशिया के पास प्रशांत महासागर में जा फटा। इसमें सवार दर्जन भर लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
यह जांच इसीलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि पहले इस विमान में तात्कालीन चीनी प्रधानमंत्री भी यात्रा करने वाले थे। काव को चीन,अमेरिका, भारत, इंडोनेशिया और हांगकांग इन पांच देशों के बीच तालमेल बनाकर जांच को अंजाम देना था।
कुछ मौकों पर तो काव ब्रिटेन,चीन और हांगकांग के त्रिकोण में फंसते नजर आए लेकिन बड़ी कुशलता से काव इससेे बच निकले। चूंकि विमान का निर्माण अमेरिका ने किया था जिससे अमेरिका की नजरें भी जांच पर टिकी थी।
लगभग छह महीनों तक चीन में रहकर जांच करने के बाद काव घटना को अंजाम देने वाले चाऊ चे तक पहुंचे। जो कि ताइवान स्थित एक विमानन कंपनी में क्रू मेंबर था।
जिसने पूर्व चीनी नेता कैसेक च्यांग, जो बाद में ताइवान चले गया, के कहने पर विमान में विस्फोटक सामग्री को डिप्लॉय किया था। जिसके बदले में उसे एक बड़ी राशि देने की बात कही गई।
RAW की रखी नींव
1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के बाद भारत को 1968 तक आते-आते अन्य देशों की तरह एक खुफिया तंत्र की आवश्यकता महसूस होने लगी जो कि पड़ोसी देशों के खतरों के बारे में पहले से ही देश को और सेनाओं को सतर्क कर दे। इसी के मद्देनजर तात्कालिक इंदिरा गांधी सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो को दो फाड़ कर खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की स्थापना की।
इस संगठन का प्रमुख रामेश्वर नाथ काव को बनाया गया। वे 1977 तक इसके चीफ रहे। इस दौरान उपमहाद्वीप में सामरिक और कूटनीतिक दशाओं में तेजी से परिवर्तन हुए। इसी बीच रामेश्वर नाथ काव को कैबिनेट में अनुसंधान सचिव के रुप में नियुक्त किया गया।
जिसके बाद इंदिरा गांधी शासन में काव का कद लगतार बढ़ता चला गया। इन्हें इंदिरा के कुछ करीबियों की सूची में भी चिन्हित किया जाता है। इन्होंने ने खुफिया तंत्र की नींव को मजबूत कर एक टिकाऊ इमारत का खाका तैयार किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत का वर्तमान खुफिया तंत्र काव साहब के सींचे वृक्षों के ही फल खा रहा है।
1971 युद्ध : इंदिरा गांधी को बनाया आयरन लेडी
1970 के आने तक पूर्वी पाकिस्तान में सरगर्मियां तेज होने लगी थीं। मुक्तिवाहिनी का विरोध चरम पर था तो वहीं पाकिस्तानी प्रशासन भी अपने आधिपत्य को कड़ा करने का हर भरसक प्रयास कर रहा था। भारत में भी सुगबुगाहट तेज हो चली थी।
तब रामेश्वर नाथ काव और उनके सहयोगियों ने एक बड़े बदलाव के लिए छोटे छोटे पहलुओं पर काम करना शुरू किया। 1971 वह युद्ध था जिसने वैश्विक राजनीति में इंदिरा गांधी को लौह महिला के रूप में स्थापित किया।
अपने खुफिया सूत्रों की मदद से रामेश्वर नाथ काव को पाकिस्तानी हमले से दो दिन पहले ही इसकी खबर हो गई। जिससे भारतीय सेना को सावधान कर दिया गया।
युद्ध के दौरान RAW ने मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षण और युद्ध सामग्री प्रदान कर लड़ने का सामर्थ्य दिया। साथ अपनी गुप्त सूचनाओं के साथ बांग्लादेश की मुक्ति के दरवाजे खोले।
सिक्किम विलय के पैरोकार
1975 में जब चीन की नाक के नीचे से सिक्किम को भारत में मिलाया गया। तब भी रामेश्वर नाथ काव ( r n kao) ने मुख्य भूमिका निभाई। बाद में सिक्किम को 22वें राज्य के रूप में शामिल किया गया। सिक्किम के विषय में काव की एक भविष्यवाणी मशहूर है जिसमें उन्होंने ने कहा था कि चीन से निपटने के लिए सिक्किम को भारत में मिलाना जरूरी है। सिक्किम के मिल जाने के बाद भारत बहुत हद तक चीन पर काफी हद सामरिक बढ़त कायम कर सका।
भ्रष्टाचार के लगे आरोप R N KAO
आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी साम्राज्य के पतन का दौर आ गया। मोरारजी देसाई सरकार के आने के बाद रामेश्वर नाथ काव ( r n kao ) पर भी इंदिरा सरकार की अनियमितताओं में शामिल होने का के आरोप लगे। लेकिन जांच के बाद काव साहब की छवि को बेदाग पाया गया।
इसके बाद जब इंदिरा सरकार की सत्ता में वापसी हुई तो काव ने उनके सुरक्षा सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। राजीव गांधी में भी वे इसी भूमिका में रहे। इसके बाद कुछ समय के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) का संचालन भी किया।
वर्ष 2002 में खुफिया तंत्र का यह माहिर खिलाड़ी हमेशा के संसार से गुप्त हो गया। दक्षिण एशियाई राष्ट्रों में आज भी कम समय में RAW जैसे मजबूत संगठन को खड़ा करने वाले रामेश्वर नाथ काव( ( gentleman spymaster ) की मिसाल दी जाती है। वहां के राष्ट्रों ने काव को Cowboy के रूप में संबोधन प्रदान किया है। ( gentleman spymaster )