पिछले कुछ दिनों से Panjshir valley of Afganistan, वैश्विक राजनीति के धरातल पर लगातार चर्चा में बना हुआ है। 20 से अधिक सालों तक अफगानिस्तान में शांति के प्रयास में लगी अमेरिका सेना अब लगभग वापस लौट चुकी है।
कयास लगाए जा रहे थे कि जैसे ही अमेरिकी सेना पूरी तरीके से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कायम हो जाएगा। लेकिन तालिबानी मंसूबों ने सभी अनुमानों को खारिज कर दिया।

अभी अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी शुरू ही हुई थी कि देखते ही देखते लगभग दो सप्ताह में तालिबानी लड़ाकों ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया।
पिछले दिनों अफगानिस्तान की राजधानी काबुल भी बड़े ही शांत ढंग से तालिबान के कब्जे में आ गई।
इसके बाद अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी समेत कई उच्च अधिकारियों को पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी।
Taliban के शासन में महिलाओं की स्थिति?
अफगानिस्तान में हालात अब धीरे धीरे तालिबान रंग ओढ़ रहें हैं। सबसे विपरीत परिस्थितियों से अफगानी महिलाओं को गुजरना पड़ रहा है। उनके स्वतंत्रता के सभी साधनों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छंद घूमना, अपनी मर्जी से व्यापार करना, वेशभूषा आदि पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।
अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट के डरा देने वाले दृश्यों से शायद ही कोई अछूता होगा। भारत समेत कई अन्य देश अपने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के प्रयास में लगे हुए हैं।
काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबानी नेता और प्रवक्ता खुले तौर पर मीडिया के सामने आये और तालिबान पर अधिकार की बात को स्वीकारा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अब शरीयत का शासन होगा।
महिलाओं के प्रश्न उन्होंने ने समानता की बात भी कही। लेकिन समूचे मीडिया जगत से आ रही तस्वीरें कुछ अलग ही सूरत-ए-हाल बयां कर रही हैं।
Amrullah Saleh बने कार्यवाहक राष्ट्रपति(Panjshir )
अफगानिस्तान में तालिबान के अलावा एक और मीडिया रिपोर्ट सामने आई। जिसमें अशरफ गनी सरकार में उपराष्ट्रपति रहे Amrullah Saleh ने दावा किया कि अफगानिस्तान में जवाबी कार्यवाही अभी समाप्त नहीं हुई है।
उन्होंने ने कहा कि अफगानिस्तान के अब भी कई इलाके तालिबान के कब्जे से बाहर हैं तथा वहां संघर्ष जारी है। उन्होंने ने कहा कि Panjshir Valley of Afganistan में जंग अब भी जारी है।
बता दें कि उपराष्ट्रपति सालेह ने कहा था कि तालिबान का कब्जा अवैध है तथा अफगानी संविधान के अनुसार राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में वह देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे।
Panjshir valley of Afganistan में जारी है जंग!
वहीं Sher-e-Panjshir के नाम से प्रसिद्ध अफगानी नेता Ahmad Shah Masood के बेटे Ahmed Masood ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से यह पुष्टि करते हुए कहा कि पंजशीर में लड़ाई जारी है।
उनका कहना है कि वह Northern Alliance के साथ मिलकर पंजशीर और अफगानिस्तान की स्वतंत्रता के लिए जंग जारी रखेंगे। उन्होंने कहा है कि वह जमीन के टुकड़ों के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि अपने देश, अपनी संस्कृति और नृजातीयता के लिए लड़ रहे हैं।
panjshir Valley Afghanistan
क्या है Northern Alliance? (Panjshir)
Northern Alliance अफगानिस्तान के उत्तरी भागों का एक गठबंधन है जो हमेशा से चरमपंथ के खिलाफ खड़ा रहा है। वर्तमान में इस गठबंधन के तीन प्रमुख नेता हैं।
जिनमें उपराष्ट्रपति Amrullah Saleh तथा Masood Ahmed के अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति Abdul Rashid Dostum भी शामिल हैं। अब तालिबानी सरकार Panjshir के लिए Northern Alliance से बातचीत के माध्यम से सुलह करना चाहती है।
अब तक कैसे आजाद है Panjshir?
Panjshir valley Afganistan के उत्तरी भाग में स्थित है। यह राजधानी काबुल से लगभग तीन घंटों की दूरी पर है जहां जाने के लिए बेहद दुर्गम पहाड़ी इलाकों से गुजरना होता है।
जिसके चलते ही आज तक कोई भी आक्रमणकारी, जिनमें सोवियत संघ की सेना, अमेरिकी सेना तथा तालिबान शामिल हैं, आज तक Panjshir valley of Afganistan पर कब्जा नहीं कर सके हैं। इससे पहले शताब्दी के शुरूआती दौर में भी तालिबान को पंजशीर में मुंह की खानी पड़ी थी।
Panjshir को स्थानीय भौगोलिक दशाओं से रक्षा करने के लिए सहायता मिलती है। इसकी भौगोलिक बनावट Panjshir की ढाल है। यहां तक पहुंचने के लिए एकमात्र रास्ता है जो Panjshir River से होकर गुजरता है। Panjshir चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है। जहां का रास्ता बेहद दुर्गम और था देने वाला है। जिस पर अफगानी चरमपंथी दल अपने हथियारों के साथ आसानी से नहीं पहुंच सकते हैं।
30 हजार सैनिक मौजूद हैं Panjshir valley में
Panjshir फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है पांच शेर। यहां के लोगों की बात की जाए तो उनका साहस शेरों से कम नहीं है। पंजशीर के साथ जिलों और लगभग 500 गांवों में लगभग 1.75 लाख आबादी निवास करती है।
तालिबान से निपटने के लिए Panjshir के लगभग 30 हजार सैनिक तैयार है। बताया जा रहा है कि Panjshir का बच्चा बच्चा भी तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार खड़ा है। Panjshir के लोगों की यही भावना उन्हें पूरे अफगानिस्तान के लोगों से अलग खड़ा करती है।
आज तक कभी क्यों गुलाम नहीं बनाया जा सका Panjshir?
आपकों बता दें कि पंजशीर में आज भी बिजली और पानी की सप्लाई नहीं होती है। तकनीक के नाम पर उनके पास केवल आधुनिक हथियार ही हैं।
लेकिन अभावों के बीच भी Panjshir के लोगों का जज्बा देखने लायक है। 1978 में तख्तापलट के बाद जब समाजवाद जोरों पर था। सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान में चारों और विनाश लीला रचा रही थी।
लेकिन Panjshir के जज्बे के सामने शक्तिशाली सोवियत सेना को भी घुटने टेकने पड़े थे। वहीं 2001 में जब पूर्व तालिबानी सरकार और अमेरिका के बीच जंग छिड़ी तो रक्त के छींटे Panjshir में भी गिरे लेकिन रक्त जो गिरा वह दुश्मन कि बहा।
तालिबानियों के Panjshir हमेशा एक कठिन पहेली रहा है। हथियार के दम पर जिन तालिबानियों पूरे अफगानिस्तान को हथिया लिया वह भी अब बातचीत का विकल्प तलाश रहे हैं।
कौन है Sher-e-Panjshir अहमद शाह मसूद?
Panjshir की बात जाए तो यह पहली बार शेर ए Panjshir के नाम से मशहूर अफगानी नेता अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में दुनिया के सामने उभरा। अहमद शाह मसूद का जन्म 2 सितंबर 1953 को पंजशीर अफगानिस्तान में हुआ।
वह मुजाहिदीन, अफगानी तथा युनाइटेड इस्लामिक सेना में बतौर कमांडर शामिल रहे। सोवियत सेना से युद्ध के दौरान वे मुजाहिदीन की तरफ बतौर कमांडर लड़े। अपने शौर्य के कारण ये Sher e Panjshir के नाम से मशहूर हुए।
अफगान सरकार में रहे रक्षामंत्री
जब 1995 में अफगानिस्तान में तालिबानी चरमपंथ जोर पकड़ने लगा तो अहमद शाह मसूद ने इसके विरूद्ध Northern Alliance की स्थापना की और पूरी ताकत से तालिबानी सेना पर टूट पड़े और अपने देश को तालिबान से मुक्त कराया।
अफगानिस्तान में जब अमेरिका के समर्थन से जो सरकार बनी उसमें अहमद शाह मसूद को रक्षा मंत्री बनाया गया।
9/11 के हमले से ठीक दो दिन पहले अलकायदा के आत्मघाती हमलावरों ने Sher e Panjshir अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी। लेकिन पंजशीर के लोग आज भी इनसे प्रेरणा लेते हैं मसूद को उनके समर्थक ‘आमिर साहिब-ए-शहीद’ के नाम से याद करते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति करजई ने इन्हें ‘राष्ट्रीय नायक’ की उपाधि दी थी। इनकी याद में आज भी ‘मसूद दिवस’ मनाया जाता है।
कौन है Hazara Community?(who is hazara cummunity)
Panjshir के हिस्से में Hazara समुदाय के लोग भी निवास करते हैं। यह दुनिया का सबसे पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय माना जाता है। अफगानिस्तान में यह समुदाय Panjshir का समर्थन करता है।
एक समय था जब यह समुदाय लगभग 60-65% की आबादी में फैला हुआ था लेकिन लगातार प्रताड़नाओं के चलते यह केवल आज 8-10% लोग ही Hazara समुदाय से आते हैं।
Hazara समुदाय के लोगों पर अत्याचार की सबसे बड़ी वजह उनकी नस्ल है। दरअसल Hazara समुदाय के लोग मंगोलियन नस्ल के होते हैं। छोटी आंखें, गोल मुंह इनकी शारीरिक बनावट का हिस्सा है।
ये भारत के पूर्व उत्तर के लोगों तथा चाइनीज नस्ल से मेल खाते हैं। इसीलिए इन्हें हजारों की भीड़ में भी पहचान लिया जाता जो इनकी प्रताड़ना का कारण बनता है।
पंजशीर का क्या अर्थ है ?
पंजशीर का शाब्दिक अर्थ है पांच शेर जो की अफगानिस्तान का एक प्रान्त है।
पंजशीर की जनसँख्या कितनी है ?
पंजशीर की जनसँख्या इस समय लगभग 170000 है।
पंजशीर कब एक प्रान्त बना ?
पंजशीर 2004 में एक प्रान्त बना।
क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित हैं Hazara Community?
यह वास्तविक रूप से मंगोलियन आक्रमणकारी चंगेज खान के वंशज माने जाते हैं। यह चीन, कजाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत दुनिया के कई हिस्सों में निवास करते हैं।
जब चंगेज खान विश्व विजय पर निकला तब दुनिया भर में यह मंगोलियन लोग बस गए। इनके धर्म को विशेष विवाद है। कुछ लोग चंगेज खान को बौद्ध मानते हैं तो कुछ लोग शिया।
जबकि अफगानिस्तान और तालिबान में सुन्नी समुदाय की प्रचुरता है। यही विवाद की असली वजह है। बहरहाल Hazara समुदाय अपनी पहचान के लिए Panjshir के साथ लड़ रहा है।
अब अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार का गठन किया जा चुका है। दूसरी तरफ खबर यह भी है कि Northern Alliance ने Panjshir समेत कई और इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
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