Medical Oxygen Production Policy 2021

देश ने बीते वक़्त में जिस तरह की त्रासदी झेली है, कोरना की इस महामारी ने जिस तरह से कहर ढाया है. उसने सबकी आखों को खुलने पे मज़बूर कर दिया था, वो चाहे आम इंसान हो या नेता हर किसी ने किसी ना किसी अपने को इस महामारी से लड़ते देखा है. हमारे देश की मेडिकल व्यवस्था जिस तरह से डगमगा गयी थी, उसको देखते हुए दिल्ली सरकार ने मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी 2021 (Medical Oxygen Production Policy 2021) को मंज़ूरी दी है. जिससे आने वाली तीसरी लहर से तथा ये पॉलिसी ऑक्सिजन व्यवस्था सुधारने में मदद करेगी.
स्वस्थ संकट के दौरान या करोना महामारी से होने वाली अव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए, अस्पताल या नर्सिंग होम में निर्बोध ऑक्सिजन पहुचने के लिए मौजूदा इकाइयों में ऑक्सिजन उत्पादन बढ़ाने पर काम किया जाएगा.
सरकार की तरफ से ये कहा गया है की ये पॉलिसी आने वाली किसी भी मेडिकल एमर्जेन्सी से निपटने में काफ़ी महत्वपूण भूमिका निभाएगी और दिल्ली को ऑक्सिजन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. इस पॉलिसी को दिन प्रतिदिन बढ़ती ज़रूरतो के साथ दुरुस्त करते रहने की भी बात कही गयी है. (Medical Oxygen Production Policy 2021)
दिल्ली कॅबिनेट ने मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडेक्टन प्रमोशन पॉलिसी 2021 को मंज़ूरी दे दी है.
- इसका उद्देश् दिल्ली को मेडिकल ऑक्सिजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है
- ऐसे जीवन रक्षक गैस के उत्पादन, परिवहन में निवेश करने वाले निजी उधामो को सब्सिडी और कर प्रतिपूर्ति दी जाएगी
- कारोना महामारी के दौरान दिल्ली को भारी मेडिकल ऑक्सिजन संकट का सामना करना पड़ा था इस बात को ध्यान मे रखते हुए ये नीति मौसॉदा तैयार किया गया है
- मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडेक्टन प्रमोशन पॉलिसी 2021 में निजी छेत्रो को ऑक्सिजन उत्पादन संयंत्र, भंडारण सुविधाए और ऑक्सिजन टेंकर स्थापित करने के लिए काई प्रोत्साहन प्रदान करती है. इस नीति को अगस्त महीने के अंत में लागू किए जाने की संभावना है.
सरकार का इरादा क्या है ?
- सरकार का लक्ष्य ” निर्बोध ऑक्सिजन आपूर्ति ” के लिए नये विनिर्माण उधामो की स्थापना और उत्पादन छाँटा का विस्तार करना है.
· राजधानी में सार्वजनिक और निजी अस्पताल मे कुल 160 प्रेशर स्विंग अवशोषण ( Pressure Swing Absorption ) ऑक्सिजन प्लांट लगाए जाने है.
- मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी के अंतर्गत 100 मेट्रिक टन तक नीयूनतम 50 मेट्रिक टन तरल ऑक्सिजन विनिर्माण सुविधा स्थपित की जाएगी
· मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी 2021 के अंतर्गत 10 मेट्रिक टन गैर कॅप्टिव ऑक्सिजन संयंत्रो में कुल 100 मेट्रिक टन तक नीयूनतम 50 मेट्रिक टन तरल ऑक्सिजन विनिर्माण सुविधा स्थपित की जाएगी. (Medical Oxygen Production Policy 2021)
मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी 2021 का लक्ष्य
- 10 मेट्रिक टन नोन कॅप्टिव ऑक्सिजन संयंत्रो में कुल 100 मेट्रिक टन तक नीयूनतम 50 मेट्रिक टन तरल ऑक्सिजन विनिर्माण सुविधा स्थपित की जाएगी.
- दिल्ली को चिकित्सा ऑक्सिजन उत्पादन की आपूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्या है
- दिल्ली में मेडिकल ऑक्सिजन के भंडारण को बढ़ाना और परिवहन सुविधा की पूर्ति करना
- अधिकतम 500 मेट्रिक टन नीयूनतम 10 मेट्रिक टन क्रियोजेनल टंकरो की व्यवस्था करना तथा आपूर्ति करना
- अधिकतम 1000 मेट्रिक टन एमएलओ भंडारण टाँको की व्यवस्था करना और पूर्ति करना
बिजली सब्सिडी का प्रावधान
- नई मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी 2021 में सारे संयंत्रो को व्यवसायिक उत्पादन शुरू करने वालो से पहले बिजली सब्सिडी प्रदान की जाएगी .
- पहले 5 वर्षो में 4 रुपये प्रति यूनिट के छूट के हिसाब से बिजली बिल का प्रावधान किया गया है.
- 15 दिन के अंदर आवेदन करने से ही ये सब्सिडी दी जाएगी. medical oxygen education policy 2021
सब्सिडी लेने के लिए ये बाते ज़रूरी है
- ऑक्सिजन बनाने वाली इकाइयो को अधिसूचना जारी होने के 15 दिन के अंदर सब्सिडी के लिए आवेदन करना होगा
- लकी ड्रॉ के अनुसार सभी ऑक्सिजन बनाने वाली इकाइयो को चुना जाएगा.
- बाद में हर महीने 15 दिन तक सब्सिडी के लिए आवेदन किए जा सकते और संयंत्र लगाया जा सकता है.
- इस पॉलिसी के जारी होने के 6 महीने के बाद तक सब्सिडी के आवेदन लिए जाएगे.
मेडिकल ऑक्सिजन की खपत का बढ़ना
एक रिपोर्ट के अनुसार दूसरी करोना लहेर के दौरान मेडिकल ऑक्सिजन की खपत इंडिया में 60 पर्सेंट तक बढ़ गयी थी, इस वजह से काई अस्पताल और नर्सिग होमे को ऑक्सिजन की किल्लत के चलते का भारी नुकसान झेलना पड़ा था. जिस वजह से मेडिकल ऑक्सिजन के उत्पादन को काई गुना बढ़ने की ज़रूरत थी, इस मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडेक्टन प्रमोशन पॉलिसी 2021 को इस बात का ध्यान रखते हुए बनाया गया है. (Medical Oxygen Production Policy 2021)
दिल्ली ने क्या दिन देखा था
भारत और दिल्ली दोनो के लिए ही दूसरी करोना की लहर कितनी घातक थी, ये बात किसी से छुपी हुई नही है. हमने अख़बार और सोशल मीडिया पर काई तरह की तस्वीरे, वीडियो देखी थी. हममें से ना जाने कितने लोगों ने आगे आकर लोगों की मदद भी करने का जिम्मा भी उठाया था. लोग लम्बी लम्बी कतार में ऑक्सिजन सिलिंडर भरवाने के लिए दर दर भटक रहे थे, जिस सिलिंडर की किमर 3000 हज़ार होती थी वो मार्केट में उस वक़्त 10000 से 30000 हज़ार तक हो गया था. कुछ लोग जमाखोरी कर के पैसे भी कमा रहे थे, इस भयावह संकट में दुबारा ना पड़ने के लिए ये पॉलिसी बेहद ज़रूरी थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंसे में कहा " ये मेडिकल ऑक्सिजन प्रोडक्शन पॉलिसी 2021 दिल्ली को आत्मनिर्भर बनाए जाने की दिशा में महत्वपूर्ण थी, इससे प्राइवेट सेक्टर के अस्पतलो और नर्सिंग होमे को काफ़ी मदद मिलेगी, दिल्ली के अंदर ऑक्सिजन प्लांट सेटप करने से प्राइवेट सेक्टर में लोग ज़्यादा से ज़्यादा नौकरियाँ भी पा सकेगे, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, भंडारण सुविधाएं, और ऑक्सीजन टैंकर ,यह नीति दिल्ली में ऑक्सीजन की उपलब्धता में सुधार करने में मदद करेगी, जिसकी अनुपस्थति ने पिछले कोविड -19 लहर को संभालने में एक बड़ी बाधा बन गई थी।” (Medical Oxygen Production Policy 2021)
भारत का हेल्थ सेक्टर
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है, लेकिन भारत ऐसे कुछ देशो में एक है. जो अपनी स्वास्थ्य सेवओ में बहुत कम पैसा खर्च करता है, आकड़ो के हिसाब से देखा जाए भारत की वर्तमान में 2.61 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है. लेकिन ये जान के आपको बेचैनी होगी की वो सिर्फ़ अपनी जीडीपी का सिर्फ़ 1.4 पर्सेंट ही स्वास्थ्य में खर्च करता है. (Medical Oxygen production Policy 2021)
करोना के बाद स्वास्थ्य सेवओ में क्या बदला?
भारत जहा पहले अपना 1.4 फसादी ही स्वास्थ्य पर ख़र्च करता था नई स्वास्थ्य नीति के अनुसार 2015 तक 2.8 फीसदी करने का प्रयास करेगा.
बाक़ी विकसित देशों में जहां 4 फीसदी तक स्वास्थ्य पे ख़र्च होता है, भारत का आकड़ा काफ़ी कम हैं. देखा जाए तो ब्राजील स्वास्थ्य में 46 फीसदी, चीन 56 फीसदी, इंडोनेशिया 39 फीसदी, अमरीका 48 फीसदी और ब्रिटेन 83 फीसदी ख़र्च करते हैं. लेकिन यहा भारत के मुकाबले प्रति व्यक्ति आय बहुत ज़्यादा हैं,जो विकसित देशों को ऐसा करने की इजाजत देता है. (Medical Oxygen Production Policy 2021)
डॉक्टर की किल्लत
भारत को अपने डॉक्टर की किल्लत का भी ध्यान देना होगा भारत में जहा 1000 हज़ार लोगों पे 0.07 डॉक्टर है वही अन्य देशो में आकड़ा 3.374:1000, ब्राज़ील में 1.765:1000 और जर्मनी में 3.307:1000 है.. विस्व स्वास्थ्यसंगठन के अनुसार किसी भी देश की एक हज़ार की आबादी पर 1 डॉक्टर होना अनिवार्य है.
स्वास्थ्य रॅंकिंग( medical oxygen production policy 2021)
स्वास्थ्य रॅंकिंग के अनुसार भी भारत का हाल बहुत बेहतर है, 153 देश की सूची में. भारत 120 नंबर पर आता है, इस मामले में भारत से छोटे देश और कमज़ोर देश भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे है, जैसे बांग्लादेश 91, नेपाल 110 नंबर पर आता है, हम सिर्फ़ अपने हमवतन पाकिस्तान से ही बेहतर है जो 124 नंबर पर है
स्वास्थ्य रॅंकिंग के अनुसार भी भारत का हाल बहुत बेहतर है, 153 देश की सूची में. भारत 120 नंबर पर आता है, इस मामले में भारत से छोटे देश और कमज़ोर देश भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे है, जैसे बांग्लादेश 91, नेपाल 110 नंबर पर आता है, हम सिर्फ़ अपने हमवतन पाकिस्तान से ही बेहतर है जो 124 नंबर पर है
राज्य की हाल क्या है ?
देखा जाए तो राज्यो की हाल और बुरा है, झारखंड में जहा 8000 की जनसंख्या पर सिर्फ़ एक डॉक्टर है वही हरियाणा में 6000 पर एक डॉक्टर, उत्तर प्रदेश और बिहार का हाल भी कम बुरा नही है, सिर्फ़ 1 डॉक्टर है 3000 हज़ार लोगों पर
स्वास्थ्य रॅंकिंग( medical oxygen production policy 2021)
स्वास्थ्य रॅंकिंग के अनुसार भी भारत का हाल बहुत बेहतर है, 153 देश की सूची में. भारत 120 नंबर पर आता है, इस मामले में भारत से छोटे देश और कमज़ोर देश भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे है, जैसे बांग्लादेश 91, नेपाल 110 नंबर पर आता है, हम सिर्फ़ अपने हमवतन पाकिस्तान से ही बेहतर है जो 124 नंबर पर है
स्वास्थ्य रॅंकिंग के अनुसार भी भारत का हाल बहुत बेहतर है, 153 देश की सूची में. भारत 120 नंबर पर आता है, इस मामले में भारत से छोटे देश और कमज़ोर देश भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे है, जैसे बांग्लादेश 91, नेपाल 110 नंबर पर आता है, हम सिर्फ़ अपने हमवतन पाकिस्तान से ही बेहतर है जो 124 नंबर पर है
लेकिन सिर्फ़ बुरा ही नही है कुछ राज्य अच्छा भी कर रहे है जिसमें केरल में 500 पर एक डॉक्टर है और दिल्ली सबसे बेहतर है, जहा 300 पर एक डॉक्टर है जिसे और बेहतर बनाने का प्रयास दिन प्रतिदिन भारत कर रहा है.
कारोना महामारी के बाद से भारत की सरकार ने अपना ध्यान स्वास्थ्य की तरफ डाला है पर और देशो के मुकाबले हमे लंबी दूरी तय करना है सिर्फ़ सरकार ही नही स्वास्थ्य रहने के लिए हमारा ध्यान रखेगी हमारा भी सजग रहना उतना ही महत्पूर्ण है भारत में जानकारी का सही जगह ना पहुंचना और लोगों का अंधविस्वश भी काई बार घातक हो जाता है .
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