Major Dhyan Chand Khel Ratan Award

राजीव गाँधी खेल रत्न का नाम बदल कर मेजर मेजर ध्यानचंद(Major Dhyan Chand Khel Ratan Award) के नाम पर कर दिया गया है, मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है. भारत के हॉकी इतिहास में उनका रेकॉर्ड सुनहरे शब्दो में दर्ज़ है.
उन्होने अपने आखरी ओलंपिक जो की बर्लिन (1936) में उन्होने खेला था उसमें 13 गोल दाग के सबको चौका दिया था. इस तरह से एम्स्टर्डम,लॉस एंजिलस और बर्लिन में अलग अलग ओलंपिक को मिला दे. तो उन्होने 39 गोल दागे थे, जिस रेकॉर्ड से उनके अदभुद खेल का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
भारत में उन्हे हॉकी का "जादूगर" कहते है. इस उपाधि के चलते तथा टोक्यो ओलंपिक में भारत के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए, केन्द्र की मोदी सरकार ने राजीव गाँधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदल के, मेजर ध्यानचंद करे जाने का फ़ैसला किया है. उनका उद्देश्या भारतीय हॉकी को आगे ले जाना, लोकप्रियता को बढ़ाना है.
इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर पर दी (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award)
मोदी ने ट्वीट कर के देशवासीयो के लिए लिखा ” देश को गौरवान्वित कर देने वाले समय के बीच देश के लोगों का आग्रह आया है की खेल रत्न अवॉर्ड का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित कर दिया जाए लोगों की भावनाओ को नज़र में रखते हुए में आपको बताना चहता हूँ, खेल रत्न का नाम अब मेजर ध्यानचंद चाँद खेल रत्न (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award) अवॉर्ड किया जा रहा है.
टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद मोदी ने कहा की महिला और पुरुष हॉकी ने भारत का नाम दुनिया में खूब रोशन किया है और हमे उनपर गर्व है, दुनिया के साथ साथ भारत में भी इस प्रकार के जुझालू खेल से लोगो के अंदर हॉकी के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राजीव गाँधी खेल रतन अवार्ड को Major Dhyan Chand Khel Ratan Award करने से लोग काफी खुश हैं।
हम भारत में खेल को बढ़ावा देना चाहते जिसको ऐसे उधहारणो की ज़रूरत है. गौरतलब है की पुरुष हॉकी के ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने के बाद देश भर ने उनके प्रयास को सराहा और प्रधानमंत्री ने भी फोन कर स्टेडियम में ही हॉकी टीम के कप्तान को बधाई दी और उनका उत्साह वर्धन किया.
आपको ये भी बता दे खेल रत्न पुरस्कारों के तहत 25 लाख का नगद पुरस्कार दिया जाता है.
मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान
मेजर ध्यानचंद का भारतीय हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है, उन्होने भारत के लिए हॉकी में अपने आखरी ओलंपिक ( बर्लिन ओलंपिक) में 13 गोल दागे थे, उन्हे हॉकी का “जादूगर” कह कर भी भारत में संम्मानित किया जाता है. और अब एक सम्मान (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award) इस नाम से मिला
उन्होने एम्स्टर्डम,लॉस एंजिलस ओलंपिक गोल मिला कर कुल 39 गोल दागे थे. उनका जन्म दिवस 24 अगस्त भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन खेलो में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारत के खिलाड़ियो को ये खेल पुरस्कार दिया जाता है.
खेल रत्न के अलावा अर्जुन अवॉर्ड, और द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी खेलो में अच्छे प्रदर्शन के लिए दिया जाता है. लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाने के लिए मेजर ध्यानचंद का हर भारतीय शुक्रगुज़ार रहा है, उन्होने लगातार हॉकी में भारत को सबसे उपर की टीमो में रक्खा और दुनिया में भी सबको अपने खेल से अपना दीवाना बनाया.
टोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला हॉकी टीम का एतिहासिक प्रदर्शन
भारतीय पुरुष हॉकी ने 41 साल बाद भारत के चलते आ रहे हॉकी में ओलंपिक मेडल के सूखे को ख़त्म किया , साथ साथ महिला टीम भी चौथी पोज़िशन पे रही और सबको अपने खेल से अचंभित कर दिया.
इस कारनामे के बाद भारतीय लोगों में भी हॉकी के प्रति उत्साह बढ़ा है, भारत ने आखरी बार 1980 में हॉकी में ओलंपिक मेडल जीता था तब भारत को गोल्ड मिला था.
हॉकी के जादूगर (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award)
भारत के इस महान खिलाड़ी को ऐसे ही ”जादूगर” नही कहते है, इनकी कला हॉकी में अध्भुत थी, वो जब खेलने मैदान में उतरते थे तो सामने वाली टीम अपने घुटने टेक देती थी. इलाहाबाद में जन्म लेने वाले इस खिलाड़ी ने 3 ओलंपिक खेलो में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया.
उनसे जुड़े कुछ रोचक जानकारिया
- 16 साल की उमर मेजर ध्यानचंद में सेना में शामिल हो गये थे, उन्होने सिपाही के तौर पर आर्मी में जगह बनाई थी और हॉकी खेलना शुरू कर दिया था, उनके दोस्त बताते थे वो चाँद की रोशनी में हॉकी प्रॅक्टीस करते थे इसलिए सब उन्हे ध्यानचंद देने लगे.
- सेना की तरफ से खेलते हुए उन्होने 1922 और 1926 के बीच उन्होने सबको अपनी स्किल की वजह से आकर्षित किया.
- उन्हे पहली बार न्यूज़ीलैंड के लिए टीम में शामिल किया गया उस दावरे पे भारतीय टीम ने 18 मॅच जीते और सिर्फ़ एक हारे उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हे लोंस नायक की पद पर तैनाती दे दी गयी.
- इस माहन खिलाड़ी ने तीन बार ओलंपिक में भारत का कमान सम्हाली और गोल्ड मेडल भारत को दिलाया.
- विएना में ध्यान चाँद की 4 हाथो की मूर्ति वहा के देशवासीयो ने लगाई है जिसमें उनकी चारो भुजाओ में हॉकी स्टिक है और उन्हे हॉकी के एक देवता के रूप में भी दिखाया गया है.
- कहा जाता है की एक बार मेजर ध्यानचंद एक बार खेल के दौरान एक भी गोल नही मार पाए, जिसके बाद उन्होने गोल पोस्ट छोटा होने की बात कही और नापने पर ये बात सच निकली इस बात के सच होने पर सब हैरान हो गये.
हिट्लर का ऑफर ठुकरा दिया
भारत ने 1936 में हॉकी ओलंपिक फाइनल में जर्मनी को हराया था 8-1 से हराया था, जिसमें ध्यांचंद ने अकेले 3 गोल किए थे इस मॅच के बाद हिट्लर नाखुश होकर स्टेडियम से चला गया था. उसके बाद हिट्लर ने मेजर ध्यानचंद से पूछा की तुम क्या करते हो ?
जिसके जवाब में ने कहा में मैं एक भारतीय सैनिक हूँ , हिट्लर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मन सेना में भर्ती होने का ऑफर दिया. जिसको मेजर ने ठुकरा दिया, सबको लगा कही हिट्लर उन्हे गोली ना मार दे पर ऐसा नही हुआ हिटलर जैसा इंसान भी खुश होकर आगे बढ़ गया.
फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर से जुड़ा एक किस्सा
मुंबई में एक बार हो रहे खेल के दौरान पृथ्वीराज कपूरअपने साथ एक नामी गायक कुंदन लाल सहगल को भी लेकर आए, पृथ्वीराज कपूरमेजर ध्यानचंद के प्रशंसक हुआ करते थे. लेकिन उस दिन खेल के दौरान हाफ़ टाइम तक मेजर ध्यानचंद एक भी गोल नही दाग पाए, जिसके बाद सहगल ने उनसे कहा की वो उन दोनो भाइयो के बहुत बड़े फ़ैन है. लेकिन उन्हे तजुब है की आप दोनो में से अभी तक कोई भी एक भी गोल नही कर पाया है, इसके जवाब मे उन्होने कहा की हम जीतने गोल मरेंगे क्या आप उतने गाने सुनाएगे? उनके हा कहने के बाद दोनो भाइयों ने उस खेल के दौरान मिलकर 12 गोल दागे.
भारतीयो का राष्ट्रीय खेल - (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award)
हॉकी को भारतीयो का राष्ट्रीय खेल माना जात है, ऐसा दर्जा उस खेल को ही मिलता है. जिस खेल में देश की सबसे ज़्यादा पकड़ हो, भारत में एक वक़्त पर हॉकी सबसे बड़ा खेल हुआ करता था पर विश्व हॉकी के कुछ बदालाओ ऐसे थे, जिसके चलते धीरे धीरे हॉकी भारत में दिन बा दिन कमज़ोर होता चला गया. भारत को मेजर ध्यानचंद जैसे काई खिलाड़ियो की ज़रूरत है, जो हॉकी में भारत को फिर से उठा के खड़ा कर दे. टोक्यो ओलंपिक ने भारत की हॉकी में एक नई जान फूक दी है और हम आशा करते है भारतीय हॉकी इसी तरह आगे जाती रहे. जिस प्रकार क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन को सबसे बड़ा खिलाड़ी कहते है और टेनिस में रोड लीवर जैसा कोई नही हुआ, उसी प्रकार भारत के मेजर ध्यानचंद को भी ऐसी भी मान्यता प्राप्त है. जिसे मेजर ध्यानचंद बेहद मेहनत से हासिल कर के गये है. ओलंपिक में 101 गोल दागने का रेकॉर्ड तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए नामुमकिन है. जो मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में बनाया था, उनके नाम राष्ट्रीय खेलो में 300 गोल करने का भी रेकॉर्ड दर्ज है. जिसके कोई भी नहीं तोड़ पाया है, आर्मी से संबंधित होने के कारण उन्हे मेजर के नाम से बुलाया जाने लगा. मेजर की मृत्यु 1979 में कैंसर के कारण लंबी बीमारी के चलते हुए. (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award) भारत रत्न देने की सिफारिश ने पकड़ा major dhyan chand award मेजर ध्यानचंद सिंह को 1956 भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान को देकर सम्मानित किया गया था, हाल ही में उन्हे भारत रत्न देने की सिफारिश की जा चुकी है ये मुद्दा भारत में काफ़ी दीनो से चर्चा में है. इसे भी पढ़े - हिरोशिमा और नागासाकी पे हुए बॉम्ब ब्लास्ट की कहानी