किगाली समझौता क्या है ? ( what is Kigali Amendment )
भारत सरकार द्वारा हाल ही में ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले तत्वों के प्रयोग के निषेध से जुड़े 1989 के Montreal Protocol के दौरान किए गए Kigali Amendment in India के नियमों को लागू करने की अनुमति प्रदान की है।
2016 में अपनाए गए Kigali Amendment का नाम रावांडा की राजधानी Kigali के नाम पर रखा गया, जो ओजोन परत को क्षरित करने वाले पदार्थों जैसे हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) के उपयोग को कुछ समय के बाद समाप्त करने की बात कहता है।
Kigali amendment के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत तीन अलग- अलग समूहों में विभाजित हैं। जिनकी हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) को कम करने के लिए कार्य करने की अलग अलग अवधि तय की गई।
इन नियमों के अंतर्गत भारत को वर्ष 2047 तक उत्सर्जन को 80 फीसदी तक करना होगा। वहीं चीन तथा अमेरिका को 2045 और 2034 तक इतनी ही उत्सर्जन दर में कमी लानी होगी।
How Is the Kigali Amendment in India important?
बता दें कि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) एक घातक रसायनों का समूह है जो लगातार पृथ्वी की दशाओं को गर्म बनाने का काम करता है।
यदि बात की जाए ग्लोबल वार्मिंग की तो कार्बन डाई ऑक्साइड की अपेक्षा यह रसायन हजारों गुना अधिक तेजी से तापमान में परिवर्तन करता है।
विश्व भर की बात की जाए तो अमेरिका का पर्यावरण संगठन नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउसिंल (Natural Resources Defence Council) तथा द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (The Energy and Resources Institute) द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार 122 देशों ने जुलाई के अंत तक Kigali Amendment को लागू करने की पुष्टि की है।

What is the plan to implement the Kigali Amendment in India?
भारत में किगाली सुधार:-
यदि इस मामले में भारत की बात की जाए तो भारत पर्यावरण संबंधी सभी हितधारकों में आपसी समन्वय स्थापित करके वर्ष 2023 तक एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार करेगा।
इसके साथ ही Montreal Protocol के क्रियान्वन को नियंत्रित करने वाले मौजूदा घरेलू कानूनों की 2024 तक संशोधित किया जाएगा।
यह भी जानना जरूरी है कि भारत द्वारा Kigali Amendment in India से जुड़े रोकथाम के नियमों को 2028 के बाद से लागू किया जाएगा। बता दें कि Montreal Protocol 1989 किसी प्रकार का जलवायु समझौता नहीं है।
बल्कि इसका उद्देश्य ओजोन परत की चिंताजनक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) जैसे विनाशकारी रसायनों के प्रयोगों को समाप्त करने के लिए किया गया है। Kigali Amendment in India
ओजोन परत क्या है? What is the ozone layer?
Kigali amendment in india के कारणों समझने के यह जानना जरूरी है कि ओजोन परत क्या है। यदि ऑक्सीजन जीवनदायिनी गैस है तो ओजोन जीवनरक्षक गैस है। जब ऑक्सीजन में एक अणु को ओर मिला दिया जाता है, तो ओजोन गैस का निर्माण होता है। वायुमंडल के ऊपर समताप मंडल में इस गैस की एक परत निर्मित है। जो पृथ्वी को सूर्य से आने वाली पराबैंगनी या अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। Kigali Amendment in India
Kigali Amendment in India to save ozone Layer
यह किरणें बेहद हानिकारक होती है। यदि कोई व्यक्ति सीधे तौर पर इन किरणों के संपर्क में आ जाता है तो उसे त्वचा के कैंसर तथा अन्य विकृतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा पराबैंगनी किरणें पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि करती हैं। हालांकि ओजोन परत की उपस्थिति में यह खतरा बेहद कम हो जाता है। यह परत अल्ट्रावायलेट किरणों को समताप मंडल से वापस भेज देने का काम करती है। Kigali Amendment in India
अब चिंता की बात यह है कि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) आदि हानिकारक रसायनों के प्रयोग से इस ओजोन परत पर लगातार खतरा मंडरा रहा है।
पिछले कुछ समय में वैज्ञानिकों ने पाया है कि ओजोन परत के कुछ स्थानों पर रिक्तता या छिद्र देखें गयें है। जिनके कारण से पराबैंगनी या अल्ट्रावायलेट किरणों के पृथ्वी पर पहुंचने का खतरा बढ़ा है।
इसके अलावा कुछ स्थानों पर पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणें सीधे संपर्क में आयीं भी है। Kigali Amendment in India
कैसे हो रहा ओज़ोन परत का क्षरण? | How does the ozone layer affect?
ओज़ोन परत को क्षति पहुंचाने में मानवीय क्रिया-कलापों की बड़ी भूमिका है। मानवीय आवश्यकताओं और उपभोगों ने वायुमंडल में कुछ ऐसी गैसों की मात्रा को बढ़ावा दिया है जिससे जीव-जगत की रक्षा करने वाली ओजोन परत को नुकसान पहुँच रहा है। Kigali Amendment in India
ओज़ोन परत में हो रहे परिवर्तनों के लिये क्लोरो फ्लोरो कार्बन (CFC) गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसके अतिरिक्त मिथाइल क्लोरोफॉर्म, हैलोजन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि रासायनिक पदार्थों की भी ओज़ोन परत को नष्ट करने में बड़ी भूमिका है।
क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस का उत्सर्जन हमारे दैनिक सुख सुविधाओं के साधनों जैसे रेफ्रिजरेटर,एयर कंडीशनर, फोम, रंग, प्लास्टिक आदि शामिल हैं। Kigali Amendment in India

कैसे बनते हैं ओज़ोन प्रदूषक कण?
क्लोरो फ्लोरो कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन तत्व, जब तीखी धूप के साथ क्रिया करते हैं तो ओजोन परत को क्षरित करने वाले कणों का निर्माण होता है।
इसके अतिरिक्त वाहनों और फैक्टरियों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य कई गैसों की रासायनिक क्रिया भी ओज़ोन प्रदूषक कणों का निर्माण करती है।
वैज्ञानिकों की मानें तो, 8 घंटे के औसत में ओज़ोन प्रदूषक की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिये। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।
वाहनों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसके अलावा औद्योगिकीकरण से लगातार विषैले तत्वों का उत्सर्जन किया जा रहा है। Kigali Amendment in India
ओज़ोन परत क्षय के दुष्प्रभाव
जैसा कि हम जानते हैं कि ओजोन परत में क्षरण होने से सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का पृथ्वी पर पहुंचने का खतरा बढ़ गया है।
ये पराबैंगनी या अल्ट्रावायलेट किरणें मानवों के साथ साथ वनस्पति और वन्यजीव के लिए हानिकारक हो सकती है जो पारिस्थितिकी तंत्र तथा पर्यावरण संतुलन के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकती है।
इसके साथ ही मानव शरीर में इन किरणों की वज़ह से श्वास रोग, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी बीमारियाँ देखी जा सकती हैं। साथ ही ये किरणें मानव शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती हैं। Kigali Amendment in India
Effects of ozone layer depletion on humans
इन पराबैंगनी किरणों के संपर्कमें मनुष्य आने से मानव की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाने से निमोनिया, ब्रोन्काइटिस, अल्सर नामक रोग हो जाते हैं। पराबैंगनी किरणें त्वचा के कैंसर का भी कारण बनती हैं। अल्ट्रावायलेट किरणों से आनुवंशिक विसंगतियाँ, विकृतियाँ तथा चिरकालिक रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं।
इसके अलावा ओजोन के क्षरण से पृथ्वी के तापमान में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है। ओजोन क्षरण के कारण ही सूक्ष्म जीवों एवं वनस्पतियों में प्रोटीन खाद्य श्रृंखला प्रभावित हो रही है। इन किरणों के संपर्क से उत्पादक-शैवाल नष्ट हो जाते हैं। शैवालों (Algae) के नष्ट हो जाने पर जलीय जीव जात-मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी प्राणी व्हेल, सील और मानव भी प्रभावित हो रहा है। Kigali Amendment in India
ओजोन परत को बचाने के प्रयास
ओजोन परत को लंबे समय से हां पहुंचाई जा रही है। इसके बचाव के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय नीति तैयार करने हेतु 1981 में अंतर-सरकारी वार्ता प्रारंभ हुई। Kigali Amendment in India
वियना सम्मेलन| Vienna Convention
मार्च, 1985 में ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वियना में एक विश्वस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें ओज़ोन संरक्षण से संबंधित अनुसंधान पर अंतर-सरकारी सहयोग, ओज़ोन परत का सुव्यवस्थित तरीके से निरीक्षण, क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैसों की निगरानी और सूचनाओं के आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
इस सम्मेलन में विभिन्न देशों ने, मानव स्वास्थ्य और ओज़ोन परत में परिवर्तन करने वाली मानवीय गतिविधियों की रोकथाम करने के लिये प्रभावी उपाय अपनाने पर सहमति व्यक्त की। Kigali Amendment in India
क्या है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल? What is Montreal Protocol?
ओज़ोन परत में हो रहे क्षरण से उत्पन्न चिंताओं के निवारण के सिलसिले में 16 सितंबर, 1987 को कनाडा के मॉन्ट्रियल में को विभिन्न सदस्य देशों द्वारा एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए जिसे Montreal Protocol कहा गया।
इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया 1 जनवरी, 1989 से शुरू हुई। इस प्रोटोकॉल में 2050 तक, ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले तत्त्वों के उत्पादन पर नियंत्रण लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
Montreal Protocol में क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसे विनाशकारी रसायनों गैसों के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित करने के प्रयासों पर जोर दिया गया।
वर्ष 1990 में Montreal Protocol पर हस्ताक्षर करने वाले देशों ने वर्ष 2000 तक क्लोरो फ्लोरो कार्बन और टेट्रा क्लोराइड जैसी हानिकारक गैसों के उपयोग को भी पूरी तरह से निषेध करने की शुरुआत की गई थी।
भारत भी इस प्रोटोकाल के हस्ताक्षरकर्ता देशों में शामिल है।
Montreal Protocol ओज़ोन परत के संदर्भ में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसमें ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों के प्रयोग को कम करने पर ज़ोर दिया जाता है। Kigali Amendment in India
Kigali Amendment in Montreal Protocol
अक्तूबर 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में 197 देशों ने रवांडा की राजधानी Kigali में Montreal Protocol के तहत HFC कटौती को चरणबद्ध करने के लिये एक संशोधन को अपनाया। जिसे Kigali Amendment कहा गया।
Kigali Amendment का उद्देश्य हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को कम करके उसे चरणबद्ध तरीके से कम करना है। Kigali Amendment लक्ष्य वर्ष 2047 तक HFCs खपत में 80% से अधिक की कमी करना है।
Kigali Amendment in India क्या है?
ओज़ोन परत के क्षरण पर इसके शून्य प्रभाव को देखते हुए HFCs का उपयोग वर्तमान में एयर कंडीशनिंग, प्रशीतन और फोम इन्सुलेशन में हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HFC) व क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के प्रतिस्थापन के रूप में किया जाता है, हालाँकि ये शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं।
Kigali Amendment के विकसित देश वर्ष 2019 से HFCs की खपत कम करेंगे। अधिकांश विकासशील देश वर्ष 2024 में खपत को स्थिर कर देंगे। भारत सहित कुछ विकासशील देश अद्वितीय परिस्थितियों के साथ वर्ष 2028 में खपत को स्थिर कर देंगे। भारत अब इन्हीं संशोधन को Kigali Amendment in india के रूप में मंजूरी दी है।
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