प्रवासी मजदूर, कोरोना महामारी के बाद प्रवासन की भयावह तस्वीर देखकर यह शब्द समूह अपने साथ अब दर्द और मजबूरी का एक गहरा आघात लेकर आता है।
हम सबने देखा कि किस तरह से प्रवासी मजदूर अपना जीवन दांव पर लगाकर, अपने घरों से हजारों मील दूर जीविकोपार्जन के लिए जाते हैं।
Khori Village Demolition full details in hindi
हाल ही में दिल्ली और फरीदाबाद के निकट खोरी गांव से ऐसी ही संवेदनशील घटना सामने आई है।
जहां अरावली के जंगलों में स्थित खोरी गांव, जहां देशभर के प्रवासी मजदूर निवास करते थे, को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया है।
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दरअसल स्थानीय पर्यावरण संरक्षकों का मानना है कि यह जगह पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।
जिसके संबंध उन्होंने ने सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने का आग्रह किया था। जिस पर कार्रवाई करते हुए, न्यायालय ने फैसला सुनाया है।
वहीं देखा जाए तो यह मामला कथित तौर मजदूरों से की गई धोखाधड़ी का है।
जिसमें स्थानीय ठेकेदारों के साथ साथ की सरकारी महकमों के अधिकारियों का शामिल होना भी पाया गया है। Khori Village Demolition full details in hindi
क्या है पूरा मामला?
भारतीय वन अधिनियम 1927, वन क्षेत्र के भीतर किसी भी निर्माण या निवास स्थान को वर्जित करता है।
जबकि खोरी गांव अरावली जंगलों के वन क्षेत्र में स्थित है जो हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव और मेवात जिलों में 448 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
7 जून 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम को क्षेत्र खाली करने के लिए एक विध्वंस अभियान चलाने का आदेश दिया था। Khori Village Demolition full details in hindi
खोरी गाँव, जो चर्चा के केंद्र में है, धीरे-धीरे उन वर्षों में बसा, जब बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश राज्यों तथा हरियाणा के अन्य हिस्सों से, 1980 के दशक में खदान मजदूरों के रूप में काम करने के लिए, बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर इस क्षेत्र में चले आए थे।
इस दौरान अरावली में खनिजों का खनन बड़े पैमाने पर हुआ करता था।Khori Village Demolition full details in hindi
पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के अत्यधिक दोहन से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रकार, 2009 में खनन बंद हो गया लेकिन खोरी गांव में रहने वाले लोग यहीं रह रहे हैं।Khori Village Demolition full details in hindi
वन क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ जब नगर निगम ने कार्रवाई शुरू की तो मामला कोर्ट में पहुंचा।
2010 में, खोरी गांव वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अवैध घरों को ध्वस्त किए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। Khori Village Demolition full details in hindi
खोरी गांव पुनर्वास के पक्ष में एक अन्य याचिका 2012 में दायर की गई थी।
हरियाणा सरकार को 2016 में उच्च न्यायालय द्वारा खोरी गांव के निवासियों के पुनर्वास पर निर्णय लेने का आदेश दिया गया था। Khori Village Demolition full details in hindi
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पुनर्वास नीति ने 2003 को कट-ऑफ वर्ष के रूप में स्थापित किया, जिसका अर्थ है कि 2003 से पहले इस क्षेत्र में रहने वाले परिवार या व्यक्ति पुनर्वास योजना के तहत आवास के लिए पात्र होगा।
यह आवास हरियाणा राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाना है। Khori Village Demolition full details in hindi
जेल हालांकि, 2017 में नगर निगम ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 19 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र में सभी अवैध संरचनाओं को हटाने का आदेश दिया।
इसके बाद, पिछले साल सितंबर में 1,700 से अधिक घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। Khori Village Demolition full details in hindi
इसके बाद विभिन्न मांगों और आपत्तियों के चलते खोरी ग्राम की न्यायिक कारवाई जारी रही।
लगभग एक साल की न्यायिक प्रक्रिया के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव की जमीन को वन क्षेत्र का ही हिस्सा माना।
जिसके बाद 7 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय नगर निगम को 6 सप्ताह के भीतर वन भूमि पर सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये।
जिसके फलस्वरूप निगम और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही के बाद खोरी ग्राम लगभग खत्म हो चुका है। Khori Village Demolition full details in hindi
कितने लोग हो रहें हैं विध्वंस से प्रभावित?
स्थानीय नगर निगम के एक सर्वेक्षण की मानें तो खोरी गांव में विध्वंस की कार्रवाई में कुल 5,158 आवासीय इकाइयां प्रभावित हुईं हैं।
इनमें रहने वाले लोग ज्यादातर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के प्रवासी हैं, जो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।
जो दिहाड़ी मजदूर, ऑटो चालक, घरेलू नौकर आदि के रूप में काम करते हैं। घरों के मालिकों का कहना है कि उन्होंने लगभग 15 साल पहले नगद भुगतान के बाद इस भूमि को खरीदा था।
ग्रामीणों की मानें तो भू-माफियाओं ने वन विभाग और पुलिस प्रशासन के सहयोग से यहां लोगों को बसाया है।
निवासियों ने कहा कि वन विभाग की जमीन को धोखे से बेचा गया और लोगों को अपने घर बनाने की अनुमति दी गई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही बिजली, पानी की आपूर्ति पहले ही कट चुकी है।
7 जून 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद
ग्रामीणों ने 30 जून को एक महापंचायत बुलाने की योजना बनाई, जिसमें हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष गुरुनाम सिंह चधुनी को महापंचायत के मुख्य वक्ता के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।
लेकिन पुलिस ने सभा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। Khori Village Demolition full details in hindi

क्या होगी पुनर्वास की नीति?
सुप्रीम कोर्ट के खोरी गांव विध्वंस किए जाने के बाद से ही ग्रामीणों के मानवधिकार हनन के सिलसिले में विरोध के सुर तेजी पकड़ने लगे।
जानकारों का कहना था कि जब स्थानीय नगर निगम, पुलिस, वन विभाग तथा जिला प्रशासन की सांठगांठ से ग्रामीणों को कथित तौर पर भूमि बेचे गयी है तो इस धोखाधड़ी के एवज में ग्रामीणों के पुनर्वास की व्यवस्था किया जाना जरूरी है।
इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर फैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को पुनर्वास की नीति निर्धारित करने का फैसला सुनाया। Khori Village Demolition full details in hindi
क्या है पुनर्वास नीति के नियम
इसके लिए ड्राफ्ट पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है. पॉलिसी के तहत खोरी में रहने वाले परिवार के मुखिया को अपना परिवार पहचान पत्र या फिर बिजली का बिल व बड़खल विधानसभा का वोटर आईडी कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा.
इसके बाद ही उसे इस पॉलिसी का लाभ मिल पाएगा. इसके अलावा पॉलिसी के तहत अप्लाई करने वाले लोग 6 महीने तक किराए पर कहीं भी रह सकते हैं. उनको 2000 रुपये महीने नगर निगम की तरफ से दिए जाएंगे। Khori Village Demolition full details in hindi
स्थानीय नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो पुनर्वास नीति के ड्राफ्ट को लगभग तैयार कर लिया गया है। फरीदाबाद के डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में खोरी गांव के लोगों को बसाया जाएगा।
इस बीच प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए आवासों को तैयार करवा दिया जाएगा। जिसके बाद खोरी गांव के लोगों को इसमें में विस्थापित करा दिया जाएगा। Khori Village Demolition full details in hindi
इसके साथ ही जो लोग अपनी मर्जी से पुलिस का सहयोग करते हुए, घर खाली करके जाएंगे उनको विशेष तौर से छूट दी जाएगी और जिनके पास यहीं का परिवार पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज होंगे वे फरीदाबाद के किसी भी हिस्से में किराए पर रह सकते हैं।
उनको नगर निगम की ओर से 2000 रुपये प्रति महीने के हिसाब से 6 महीने तक किराया दिया जाएगा। Khori Village Demolition full details in hindi
नीति के अनुसार, नया आवास चाहने वालों को इन तीन शर्तों में से कम से कम एक शर्त को पूरा करना जरूरी है। परिवार के मुखिया का नाम 1 जनवरी, 2021 तक बड़खल विधानसभा क्षेत्र मतदाता सूची में पंजीकृत होना चाहिए।
परिवार के मुखिया के पास 1 जनवरी, 2021 तक हरियाणा सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र होना अनिवार्य है।
परिवार के किसी सदस्य के पास हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) द्वारा जारी बिजली कनेक्शन होना चाहिए।
इसके अलावा पात्र परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। Khori Village Demolition full details in hindi
कहां तक सफल है पुनर्वास नीति का मसौदा?
हालांकि पुनर्वास नीति की कमियों को उजागर करती हुई सुप्रीम कोर्ट अब भी कई याचिकाओं पर फैसला सुनाया जाना बाकी है।
सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार याचिका मामला, अशोक कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा समेत कई अन्य मामलों पुनर्वास नीति पर फैसला लंबित है। Khori Village Demolition full details in hindi
वहीं बेघर मजदूर तथा अन्य गैर सरकारी संगठनों ने तथा याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा सरकार की पुनर्वास योजना, जो नगर निगम एवं हरियाणा सरकार की ओर से ड्राफ्ट के रूप में तैयार की गई है.
उसमें कई सारी कमियां है जिसमें सरकार को संशोधन करने की आवश्यकता है साथ ही उस नीति को नोटिफाई करने की जरूरत है क्योंकि बिना नोटिफाई किए यह पुनर्वास की नीति मात्र कागज का एक टुकड़ा बन कर रह जाएगी और किसी को पुनर्वास नहीं मिलेगा।
इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने तत्काल ही खोरी गांव के सभी मजदूर परिवारों को पुनर्वास देने एवं पुनर्वास की नीति में बदलाव करने की मांग की। Khori Village Demolition full details in hindi
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