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isro full form in hindi

ISRO Full Form In Hindi | इसरो का फुल फॉर्म (अन्य जानकारियाँ)

Posted on January 3, 2022February 24, 2022 by SATYAM SINGHAI

ISRO Full Form In Hindi and Other Details


आज इस तेजी से एक नये युग तरफ बढ़ रहे इस संसार में बहुत सी चीजें बदल रहीं हैं। वहीं कुछ ऐसे राष्ट्र भी है जो प्रगति के मामले में अन्य राष्ट्रों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा मात्र इसी दुनिया तक सीमित नहीं है बल्कि अब यह अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी है।

अब सैटेलाइट और अन्य भेजना के साथ साथ अमेरिका, रुस और चीन जैसे देशों ने अंतरिक्ष में अपने स्पेस स्टेशन स्थापित करके अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। हालांकि कि भारत भी इन सब के बीच पीछे नहीं रह गया है भारत भी तेजी से अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।

जिसमें भारत की स्पेस एजेंसी ISRO कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। तो आइए जानते हैं ISRO कज बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।


ISRO Full Form in Hindi

ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) भारत की एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है जिसकी स्थापना भारत में अंतरिक्ष से जुड़े कार्यों को करने के लिए वर्ष 1969 में की गई थी। वर्तमान में इसरों का मुख्यालय बेंगलुरु कर्नाटक में है।

पिछले कुछ सालों से ISRO ने कई उपलब्धियां प्राप्त की है। भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी लगातार प्रगति का श्रेय ISRO को ही दिया जाता है।


What is ISRO(इसरो क्या है)

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ISRO ने भारत का नाम बहुत ऊँचा किया है। जिससे भारत आज एक गौरवशाली देश बनकर सामने आया है। जब भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा कोई प्रोग्राम लॉन्च किया जाता है तो हम TV, न्यूज़ पेपर इत्यादि में इसरो के बारे में देखते या सुनते है तब उस समय हम कितना गौरवान्वित महसूस करते है।


ISRO (Indian Space Research Organization) भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। ISRO का प्रमुख काम भारत को अंतरिक्ष से सम्बन्धित तकनीक को उपलब्ध करवाना है। ISRO द्वारा किये गए कार्यों में Launch Vehicles तथा Rockets का विकास करना आदि प्रमुख कार्य शामिल है। भारत में ISRO के 40 से अधिक केंद्र है तथा जिसमें 17 हजार वैज्ञानिक काम करते है।


रॉकेट या लॉचिंग व्हीकल उस यान को कहते है जिससे उपग्रह को छोड़ते है, ISRO के पास 2 मुख्य रॉकेट्स है; PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) और GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle)। इसमें से PSLV का प्रयोग छोटे तथा हल्के रॉकेट को छोड़ने के लिए किया जाता है। PSLV के द्वारा 70 से भी ज्यादा उपग्रह अब तक छोड़े गए है। GSLV का प्रयोग भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए किया जाता है। जो पृथ्वी से 36 हजार किलोमीटर की ऊँचाई पर होते है।


History of ISRO(इसरो का इतिहास क्या है)


भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की संकल्पना या ISRO की स्थापना भौतिक वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री डॉक्टर विक्रम साराभाई द्वारा वर्ष 1969 में की गई थी। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे भविष्य में भारत के विकास का अहम भाग मानते हुए सन 1961 में अंतरिक्ष अनुसंधान को परमाणु ऊर्जा विभाग की देखरेख में रखा।

जिसका निदेशक होमी भाभा को बनाया गया। इसके बाद सन 1962 में INCOSPAR का गठन किया गया, जिसमें सभापति के रूप में डॉक्टर विक्रम साराभाई को पदस्त किया गया।


ISRO History In Hindi

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) की स्थापना विक्रम साराभाई द्वारा की गई थी, इसलिए इन्हें ISRO का जनक भी कहा जाता है। इसरो को अंतरिक्ष विभाग के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ISRO ने पहला उपग्रह 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया था, जिसका नाम आर्यभट्ट था।

सन 1979 तक ISRO अपने पूर्ण स्वदेशी सैटेलाइट बनाने में तो कामयाब रहा। पर अभी भी उसे अंतरिक्ष में सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए अन्य देशों से मदद लेनी पड़ती थी। लेकिन 1980 में अपना खुद का सैटेलाइट बनाकर इसे स्पेस में सफलतम प्रयास के साथ लॉन्च कर दिया गया।


Achievements of ISRO(इसरो की उपलब्धियाँ)


मंगलयान की शुरुआत अंतरिक्ष के इतिहास में भारत के लिए सबसे गौरवशाली रहा है। मंगलयान के पहले ही प्रयास में ISRO सफल रहा था। और पहले प्रयास में ही मंगल तक पहुँचने वाला पहला देश भारत है। 5 नवंबर 2013 को मंगलयान लॉन्च किया गया था।

जो 6,660 लाख किलोमीटर की यात्रा करके 24 सितम्बर 2014 को सफलता के साथ मंगल गृह में प्रवेश कर गया था।
भारत ने अपना खुद का GPS System स्थापित करने के लिए अप्रैल 2016 में सफलता के साथ अपने GPS Satellite NAVIC (Navigation With Indian Constellation) लॉन्च किया। ISRO ने 15 फरवरी 2017 को PSLV-C37 के द्वारा 104 सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। और सबसे ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करने का विश्व रिकॉर्ड बना दिया और भारत का नाम ऊँचा किया है।


पूर्णतः स्वदेश निर्मित यह स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भारत की मज़बूत उपस्थिति का परिचायक बना। पीएसएलवी यानी कि भारतीय अंतरिक्ष संगठन का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान अस्तित्व में आया।
प्रक्षेपण यान ऐसे रॉकेट्स को कहते हैं ,जो उपग्रहों, मानव रहित और मानव सहित यानों को अंतरिक्ष में ले जाने का काम करते हैं।

इसरो की मदद से भारत पहले ही प्रयास में मंगल तक सफलतापूर्वक पहुँचने वाला पहला देश बना। नासा, सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम और यूरोपीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अलावा, रेड प्लैनेट यानी मंगल पर पहुँचने वाला इसरो चौथा अंतरिक्ष संगठन बना।

15 फरवरी, 2017 को इसरो ने अंतरिक्ष में 104 सैटेलाइट्स लॉन्च किये। इन सैटेलाइट्स को पीएसएलवी-सी 37 द्वारा एक ही लॉन्च कार्यक्रम के ज़रिये छोड़ा गया।29 जुलाई, 2017 को इसरो ने Gsat-17 नामक संचार उपग्रह छोड़ा। Gsat-17 को लगभग 15 वर्षों के लिये डिज़ाइन किया गया है।


ISRO Chandrayan 2

भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ को 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना किया था। हालांकि, इसमें लगा लैंडर ‘विक्रम’ उसी साल सात सितंबर को निर्धारित योजना के अनुरूप चांद के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं रहा जिसकी वजह से पहले ही प्रयास में चांद पर उतरने वाला पहला देश बनने का भारत का सपना पूरा नहीं हो पाया।‘चंद्रयान-2’ के लैंडर के भीतर ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर भी था।


मिशन का ऑर्बिटर अब भी अच्छी तरह काम कर रहा है और यह देश के पहले चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ को आंकड़े भेजता रहा है जिसने चांद पर कभी पानी होने के सबूत भेजे थे।
इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में लगे उपकरणों से हाल ही में जुड़े संपर्क से हासिल हुए डाटा ने इस अभियान को 98 फीसदी तक सफल साबित किया है।

इतना ही नहीं यान का ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है और अगले पांच साल तक लगातार अहम डाटा भेजता रहेगा यानी अभी चंद्रयान-2 के जरिये चंद्रमा की सतह के बारे में जानने के कई मौके मिलेंगे।

इसे भी पढ़ें – UPPCL Full Form In Hindi |


ISRO Future Projects
Aditya L -1


भारत का महत्वाकांक्षी पहला सौर मिशन आदित्य-एल 1 पहली बार 2008 में घोषित किया गया था। यह सूर्य के लगभग पूर्ण क्षेत्र और गर्म प्लाज्मा का अध्ययन करेगा। आदित्य- एल1 400 किग्रा वर्ग का उपग्रह होगा। इसका मेल पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफी (वीईएलसी) होगा। यह मिशन 2022 तक लांच हो सकता है।


Chandrayan 3


इस रोवर को 2022 की तीसरी तिमाही में भेजने की योजना है। 250 करोड़ रोवर की कीमत होगी और कुल लागत आएगी 715 करोड़ रुपये। वहीं जनवरी 2023 में निसार सैटेलाइट एसएआर लांच करने की योजना है।


Gaganyan


मानव अंतरिक्ष यान गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष मिशनों को कक्षा में भेजा जाएगा। पहला मिशन दिसंबर 2021 में भेजे जाने का प्रस्ताव है। दूसरा मानव रहित मिशन जिसे वर्ष 2022-23 में लॉन्च किया जाना है। गगनयान मिशन के तहत तीन भारतीय को 2023 तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसके लिए चार टेस्ट पायलट का चयन किया गया है और उनकी रूस में ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है।


Shukrayan


इसरो 2024 में वीनस पर पहला मिशन शुक्रयान 1 लांच करेगा और इसी साल चांद पर एक अन्य मिशन की योजना है। वहीं मंगलयान 2 भी 2024 में ही लांच करने की योजना है। हालांकि कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शुक्रयान वन 2026 तक टल सकता है।


Space Station


इसरो गगनयान मिशन के बाद भारत का स्पेस स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। 2030 तक स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की तैयारी की जाएगी।

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ISRO Deep Ocean Mission

उपग्रहों का डिज़ाइन तैयार करना और उन्हें लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सफल कार्यों का अनुकरण करते हुए भारत सरकार ने महासागर के गहरे कोनों का पता लगाने के लिये ₹ 8,000 करोड़ की लागत से पाँच वर्षों हेतु यह योजना तैयार की है।


इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रमुख परिदेयों में से एक अपतटीय विलवणीकरण संयंत्र है जो ज्वारीय ऊर्जा के साथ काम करेगा, और साथ ही एक पनडुब्बी वाहन विकसित करना है जो बोर्ड पर तीन लोगों के साथ कम-से-कम 6,000 मीटर की गहराई तक जा सकता है।रिपोर्ट के अनुसार, यह मिशन 35 साल पहले इसरो द्वारा शुरू किये गए अंतरिक्ष अन्वेषण के समान गहरे महासागर का पता लगाने का प्रस्ताव करता है।


केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।इन तकनीकी विकासों को सरकार की एक अम्ब्रेला (यानी समग्र); योजना महासागर सेवा, प्रौद्योगिकी, अवलोकन, संसाधन मॉडलिंग और विज्ञान के तहत वित्तपोषित किया जाएगा।


अन्य योजनाएं


GSAT-6A: यह एक संचार उपग्रह (communication satellite) होगा। जिसे GSLV-F08 द्वारा लॉन्च किया जाएगा।

IRNSS-1I : यह एक नेविगेशन सैटेलाईट (navigation satellite) होगा और  इसे भी पीएसएलवी के ज़रिये ही लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है।
GSAT-29: GSLV-MkIII के दूसरे चरण का विकास यानी D-2 का आरंभ किया जाएगा।
 GSLV-MkIII के ज़रिये उच्च माध्यमिक उपग्रह (high throughput satellite) GSAT-29 को लॉन्च किया जाएगा।


GSAT-11:  GSAT-11, जो कि अब तक का सबसे बड़ा उपग्रह होगा को भी लॉन्च किया जाएगा।

सेमी-क्रायोजेनिक लॉन्च व्हीकल: सेमी-क्रायोजेनिक लॉन्च व्हीकल  इंजन के विकास का कार्य प्रगति पर है। जिसके परीक्षण का लक्ष्य वर्ष 2019 रखा गया है।
ह्यूमन स्पेस फ्लाइट:यह अभियान अभी तक अनुमोदित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है क्योंकि इससे ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन के लिये कई तकनीकों की आवश्यकता है।

इसरो का फुल फॉर्म –ISRO Full Form In Hindi पे दी गयी जानकारी कैसे लगी अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर व्यक्त करें।

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