Inside Edge Season 3 Review in Hindi
बीता सप्ताह सिनेमा और ओटीटी मनोरंजन से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास रहा। इस हफ्ते एक नहीं बल्कि कई ऐसी कहानियां विभिन्न प्लेटफार्म्स पर परोसी गई जिन्होंनें दर्शकों को भरपूर मनोरंजन दिया। इस हफ्ते बहुचर्चित सीरीज मनी हाईस्ट का अतिंम सीजन आया।
इसके अलावा अभिषेक बच्चन की मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म बॉब विश्वास भी ओटीटी पर प्रीमियर हुई। वहीं सिनेमाघरों में सुनील शेट्टी के बेटे अहान की फिल्म तड़प भी आई। लेकिन हिंदी भाषी वेब सीरीज के शौकीन लोगों के लिए फिल्म इनसाइड ऐज का तीसरा सीजन चर्चा का विषय बना।
जिसकी सबसे बड़ी वजह रही सीरीज का क्रिकेट की पृष्ठभूमि से जुड़ा होना रहा। पिछले दो सीजन सफलता को देखते हुए दर्शक लंबे समय से इनसाइड एज के तीसरे सीजन का इंतजार कर रहे थे।
Inside Edge Season 3 Cast
फिल्म की कास्ट की बात करें तो मुख्य भूमिका में विवेक ऑबराय, विक्रांत धवन के, रिचा चड्डा, जरीना मलिक के तथा अमिर बशीर, भाईसाहब के किरदार में हैं। इसके अलावा तनुज विरवानी, वायु राघवन के, अमित सियाल, देवेन्द्र मिश्रा के, सपना पब्बी मंत्रा पाटिल की भूमिका में हैं।
इसके अलावा सिद्धांत, अक्षय ऑबराय, अंगद बेदी, मनु ऋषि चड्डा, करन ऑबराय, सन्नी हिंदूजा और सयानी गुप्ता अन्य सहायक किरदारों में हैं।
Inside Edge Season 3 Plot
Inside Edge Season 3 Review in Hindi – कहानी की बात करें तो फिल्म की कहानी दूसरे सीजन की एंडिग के बाद से शुरू होती है जहां मुबंई मेवरिक्स पर दो साल लगाया दिया जाता है। इस बार कहानी को घरेलू प्रीमियर लीग से उठाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के स्तर पर रखा गया है। फिल्म में इस बार इंडिया और पाकिस्तान के खिलाफ हो रही एक सीरीज को केन्द्र में रखा गया है।
जैसा कि दूसरे सीजन के एंड में दिखाया गया था कि भाईसाहब पर फिक्सिंग के आरोप लगते है और वह इसमें अपनी बेटी यानि मंत्रा पाटिल को फसा कर जेल भेज देते हैं। इसी बीच विक्रांत धवन और जरीना मलिक, भाईसाहब के खिलाफ एक दूसरे से हाथ मिला लेते हैं।
तीसरे सीजन में भाईसाहब अपने खोई हुई सत्ता को फिर संभालने का प्रयास कर रहें हैं। इस बार उनकी भूमिका क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर दिखाई गई है। विक्रांत धवन और जरीना मलिक के अलावा इस भाईसाहब की बेटी मंत्रा भी उनसे अपना बदला लेने में जुटी हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच मैच शुरू होता है। इसी बीच भाईसाहब बैटिंग के माध्यम से इस मैच के जरिए अच्छा खासा पैसा बनाने में जुड जाते हैं। लेकिन उनके सपने पूरे होते इससे पहले ही भारत में बैटिंग को गैर कानूनी बताकर प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
लेकिन भाईसाहब पूरी सीरीज में फिर बैटिंग को फिर से कानूनी दायरे से बाहर निकालने का प्रयास करते हैं। लेकिन क्या वे इस काम में सफल हो पाएंगे या कोई और महारथी इस खेल में उनका रास्ता रोक लेगा इसका जबाव आपको सीरीज देखकर मिल जाएगा। सीरीज अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है।
Inside Edge Season 3 Review
इस बार कहानी ना सिर्फ क्रिकेट को दिखाती है बल्कि इसके आस पास की सभी उठापटक को सामने लाती है। जैसी कि एक क्रिकेट बोर्ड की राजनीति कैसे काम करती है। और भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज को कैसे आयोजित किया जाता है। इससे किसे लाभ पहुंचता है। इसके अलावा क्रिकेट के ब्रॉडकास्ट के अलावा विज्ञापन और स्पॉन्सरशिप के पीछे के पूरे गणित को फिल्म में बखूबी तौर पर दिखाया गया है।
इसके अलावा कहानी के सब प्लॉट को भी इस बार बेहतर आकार दिया गया है। जिसमें कैरेक्टर बिल्डिंग पर बहुत फोकस किया गया है। भाईसाहब, विक्रांत धवन, जरीना मलिक के बचपन और बैकग्राउंड को कहानी में सब प्लॉट में डाला गया है। जो कहानी को मजेदार और कैरेक्टर को रोचक बनाती हैं।
इसके अलावा फिल्म में दिखाए गए क्रिकेटिंग सीन किसी भी तरीके से बनावटी नहीं लगते हैं। मेकर्स ने फिल्म को बहुत हद तक असल रूप में दिखाने का प्रयास किया है जिसमें कई मौको पर सफल भी होते हैं।
हालांकि क्रिकेट मैचों को सहीं ढंग से दिखाने का श्रेय फिल्म की राइटिंग को भी जाता है। जिसे राइटर सीरीज के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए तो बाकी पूरी कहानी को मजबूती से पकड़ कर रखते हैं। सीरीज के राइटर करन अंशुमन और नीरज हैं।
सीरीज की खास बात यह रही है कि सीरीज में जो कुछ भी घटता है वह किसी ना किसी तरीके से क्रिकेट से जुड़ जाता है। जिससे दर्शक हर एक चीज से आसानी से कनेक्ट हो पाता है। सीरीज में रियल क्रिकेट से जुड़ी कुछ असली घटनाओं को भी रिक्रिएट करने की कोशिश की गई है।
जो आपको असली घटना की याद दिला सकता है। इसके साथ मैदान की बाहर की पॉलिटिक्स कैसे मैदान को खेल को चला सकती है इसका बेहतर उदाहरण इस सीरीज में मौजूद है।
यदि भारत और पाकिस्तान का मैच हो तो खिलाड़ियों के बीच गहमागहमी होना लाजमी है। कहानी में इस मुद्दे को सहीं ढंग से पकड़ा गया है। वहीं खिलाड़ियों के किरदारों की बात की जाए तो सभी खिलाड़ियों को एक से अधिक रूपों में दिखाया गया है।
यदि संतुलित शब्दों में कहा जाता जाए तो हर एक किरदार अपने साथ एक ग्रे साइड लेकर चलता है। लेकिन फिल्म की राइटिंग उसे किसी भी ढंग से किरदार पर हावी नहीं होनें देती। जो कि सीरीज का एक और मजबूत पक्ष है।
Inside Edge Season 3 Negative Points
इतने सारे पॉजिटिव के बाद कुछ निगेटिव प्वाइंट्स भी हैं। जो कहानी को सर्वश्रेष्ठ से नीचे की रेटिंग पर खींच लाते हैं। सीरीज एक अच्छे पेस के साथ शुरू होती है। लेकिन मिड तक आते आते कहानी बहुत धीमी हो जाती है। जो कहीं ना कहीं हमें नजरें घुमाने पर मजबूर कर देती है।
फिल्म के दस एपिसोड और प्रत्येक का कमोबेश एक घंटे का होना कुछ हद तक अखर जाता है। अंत तक पहुंचते कहानी में कई किरदारों को एक के बाद एक क्रम में अपने किये का पछतावा होने लगता है जिससे कहानी रियलिटी से दूर जाती नजर आती है।
वहीं एक लय में आगे बढ़ती कहानी के बीच में आने वाले कुछ जबरदस्ती के लव मेकिंग सीन्स कहानी से दर्शकों के जुड़ाव को मुश्किल बनाते हैं।
Inside Edge Season 3 Acting Performances
एक्टिंग की बात करें तो यशवर्धन पाटिल उर्फ भाईसाहब या आमिर बशीर ने बेहतरीन एक्टिंग की है। वह अपने किरदार को पिछले दो सीजन की तरह ही पकड़ कर रखते हैं। कुछ कुछ मोमेंट्स पर दर्शक उनसे नफरत करने लगते हैं।
जो कि उनकी एक्टिंग स्किल के लिए खिताब की तरह है। वहीं उनके अपनी बेटी मंत्रा उर्फ सपना पब्बी के साथ किए गए कुछ सीन बिल्कुल अलग लेवल पर एक्टिंग के स्तर को लेकर जाते हैं।
विवेक ऑबराय के किरदार की बात करें तो उनका रोल पिछले दो सीजन की अपेक्षा थोड़ा कमजोर लिखा गया है लेकिन विवेक अपनी एक्टिंग के दम पर इस किरदार में भी जान डालने का काम करते हैं।
वहीं बात की जाए रिचा चड्डा की तो जरीना मलिक के किरदार की विरासत को वह पूरे तरीके से कायम रखती हैं। उन्होनें एक बार फिर जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है।
वहीं देवेन्द्र मिश्रा के किरदार में अमित सियाल ने एक बार अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। वहीं तनुज विरवानी अपने किरदार के अग्रेशन को बहुत अच्छे ढंग से प्ले करते हैं। सपना पब्बी भी इस बार चर्चा करने लायक एक्टिंग करती दिखाई दी हैं।
Inside Edge Season 3 W orth Watching or Not
सभी एंगल से देखने के बाद लगता है कि कहानी अपने आप में पूरी है। लेकिन स्लो स्पीड जैसे नेगेटिव प्वाइंट आपको इसे देखने के लिए रोक भी सकते हैं। लेकिन यदि आप एक इस देखना शूरू कर देते है तो ट्विस्ट और टर्न्स आपको अंत देखने से नहीं रोक पाएंगे।
और यदि आपने इसके अन्य दो सीजन्स को देखा है तो आपके लिए तीसरा सीजन भी देखने लायक है लेकिन यदि आप तीसरे सीजन से कहानी में घुसने का प्रयास करेंगें तो आपके हाथ निराशा के अलावा कुछ भी नहीं लगेगा।
Inside Edge Season 1 and 2 Explained
पहली सीजन की कहानी मुख्य रूप से घरेलू प्रीमियर लीग की टीम मुबंई मेवरिक्स उसके खिलाड़ियों और मैनेजमेंट से जुड़ी है। यह क्रिकेट की आड़ में फिक्सिंग से ड्रग्स तक की हर चीज को परोसा जा रहा है।
इसी बीच एक नए खिलाड़ी सिद्धांत चतुर्वेदी के किरदार के माध्यम से जातिवाद जैसी मुद्दों पर भी जोर दिया गया है। इसी बीच टीम के कोच की मौत हो जाती है और कहानी क्रिकेट के मैदान के बाहर पुलिस थाने तक पहुंच जाती है। पहला सीजन एक रोचक ढंग से अनसुलझी गुत्थी जैसा मोड़ देकर खत्म हो जाती है।
अब बात करें दूसरे सीजन की तो कहानी में बड़ा ट्विस्ट यह है कि मुबंई के पुराने कप्तान अंगद बेदी को हटाकर स्टार बल्लेबाज वायु उर्फ तनुज विरवानी को टीम का कप्तान बना दिया जाता है।
इसके अलावा फिल्म में भाई साहब के रोल को और गहराई से दिखाया जाता है। इस सीजन में विक्रांत धवन को कहानी से साइड आउट करने की कोशिश की जाती है।
इस सीजन में ऑक्शन, फिक्सिंग और डोपिंग जैसे घटनाओं पर जोर दिया गया है। अंत में भाई साहब फिक्सिंग क मामले में बुरी तरह फस जाते हैं। लेकिन वह सारा इल्जाम मुबंई की मालकिन और अपनी बेटी सपना पब्बी पर डालते हैं।
इस प्रकार भाईसाहब अंत में ट्रंप कार्ड खेलकर बचे हुए नजर आते हैं। दोनों ही सीजन में रिचा चड्डा, आमिर बशीर और विवेक ऑबराय अपनी बेहतरीन एक्टिंग का प्रर्दशन करते हैं।
इसे भी पढ़ें –Squid game review in Hindi