INS Vikrant 2021: India’s first MADE IN INDIA Aircraft Carrier

भारतीय सेना ने भारतवासियों को गर्व करने के अनेक मौके दिए हैं। इसी श्रृंखला में 5 अगस्त 2021 के दिन एक और इतिहास की इबारत लिखी गई (INS VIKRANT 2021 )। जिससे भारतीयों का सीना एक बार फिर चौड़ा होने वाला है। वहीं पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए यह बुरी खबर होने वाली है। इस बार बारी थी भारतीय नौसेना यानि भारतीय नेवी की। गुरुवार को भारतीय नेवी ने बहुप्रतीक्षित INS Vikrant को सी ट्रायल के लिए उतार दिया है। अब समुद्र में लगभग एक साल तक इसकी कार्य कुशलता का आकलन किया जाएगा।
समंदर में भारत का नया रक्षक INS Vikrant
INS Vikrant का नाम 1971 के युद्ध में विजय भूमिका निभाने वाले युद्धपोत विक्रांत को समर्पित है।
Vikrant शब्द संस्कृत भाषा के विक्रांत: से लिया गया है। जिसका अर्थ है बाधाओं को प्राप्त कर विजय प्राप्त करने वाला। इस एयरक्राफ्ट का ध्येय वाक्य “जयेम सं युधि स्पृध:” है। जिसका अर्थ है युद्ध में स्पर्धा करने वाले दुश्मन का नाश करना। यह। वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है।
आपको बता दें कि INS Vikrant भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। विशेष बात यह है कि इस एयरक्राफ्ट को पूरी तरीके से भारत में ही निर्मित किया गया है। जो कि गर्व को दोगुना कर देता है।
इसके साथ ही भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास एक से अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर मौजूद हैं। भारतीय नौसेना के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर पहले से मौजूद है जिसे INS Vikramaditya के नाम से जाना जाता है। जिसे वर्ष 2014 रूस से खरीदा गया था। INS VIKRANT 2021
कैसे INS Vikrant है आत्मनिर्भर भारत निर्माण में सहयोगी?
भारतीय नेवी के अनुसार एयरक्राफ्ट के लगभग 76% भाग को स्वदेशी तरीकों से तैयार किया गया है। इसके निर्माण में लगभग 25 हजार करोड़ की लागत का अनुमान है।
भारतीय नेवी का कहना है कि लगभग 50 भारतीय कंपनियों को इस प्रोजेक्ट से लाभ मिला है। वहीं 2000 भारतीयों को प्रत्यक्ष तौर पर इस प्रोजेक्ट निर्माण में रोजगार मिला।
INS Vikrant की बनावट में लगभग 40000 वर्करों को अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार दिया गया है। नौसेना का यहां तक मानना है कि प्रोजेक्ट में लगी लगभग 25 हजार करोड़ की लागत का लगभग 80 से 85 प्रतिशत हिस्सा भारतीय अर्थव्यवस्था को ही लाभान्वित करेगा। INS VIKRANT 2021
Indigenous Aircraft Carrier (IAC) क्या है?
शुरुआती स्तर पर इस प्रोजेक्ट को Indigenous Aircraft Carrier (IAC) -1 नाम दिया गया है। नौसेना में शामिल किये जाने के बाद इसे INS Vikrant के नाम से जाना जाएगा। इसे केरल स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के द्वारा तैयार किया गया है।
INS Vikrant की संरचना की बात की जाए तो यह एक भारी भरकम एयरक्राफ्ट कैरियर सिद्ध होता है। INS Vikrant का वजन 40,000 टन माना जा रहा है। इसकी ऊंचाई 59 मीटर है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 14 Decks को जगह दी गई है। वहीं बाएं से दाएं तक INS Vikrant की Length 262 मीटर है। INS VIKRANT 2021
Strengths of INS Vikrant
INS Vikrant में 1700 क्रू मेंबर्स के लिए 2300 कम्पार्टमेन्ट को बनाया गया है। वहीं महिला सैन्यकर्मियों के लिए विशेष केबिनों का निर्माण किया गया है।
INS Vikrant के प्रदर्शन शक्ति की बात की जाए तो Top Speed पर यह लगभग 28 Knots की रफ्तार से चल सकता है वहीं इसकी Cruising Speed 18 knots तथा Endurance लगभग 7500 Nautical miles तक आंकी जा रही हैं।
INS Vikrant की Weaponry की बात की जाए तो इसमें 34 Fixed Wing और Rotary एयरक्राफ्ट मौजूद हैं।
इसके साथ MiG 29K fighter Aircraft तथा Kumov-31 चेतावनी हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध होंगे। अमेरिका में निर्मित MH-GOR Multi-Role helicopter भी INS Vikrant का हिस्सा रहेंगे। INS VIKRANT 2021
INS Vikrant का समुद्री ट्रायल अगले साल तक चलेगा। अगस्त 2022 तक इस एयरक्राफ्ट कैरियर के नौसेना में शामिल होने का अनुमान है। इसके नेवी में शामिल होने के साथ ही भारत एक से अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर रखने वाले देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।
इस सूची में अमेरिका 11 एयरक्राफ्ट कैरियर, चीन, इटली और यूनाइटेड किंगडम 2-2 Aircraft Carrier के साथ शीर्ष पर मौजूद हैं। INS VIKRANT 2021
क्या चीन से निपट पाएगा INS Vikrant?
इस सूची में तकनीकी रूप से सक्षम जापान शामिल नहीं हैं। क्योंकि उनकी विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि जापान को दुश्मन से मुकाबला करने के लिए लंबी समुद्री दूरी तय नहीं करनी होगी।
जापान को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन से निपटने के लिए मात्र दक्षिण चीन सागर को पार करना होगा जिसके लिए हेलीकॉप्टर कैरियर काफी होंगे।
यदि भारत इस नजरिये से सोचे तो भारत को भविष्य में एक से अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर की जरुरत होने वाली है। भारत को तेजी से उभर रहे चीन से मुकाबला करना होगा। चीन की नौसेना विश्वभर में शीर्ष शक्तियों में शुमार है। जिनसे निपटने के लिए भारत को अपनी तैयारी मजबूत रखनी होगी। INS VIKRANT 2021
INS Vishal भी है कतार में
इसी रणनीति को मद्देनजर रखते हुए भारत एक और एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तैयारी में है। इसी के समकक्ष के अगला प्रोजेक्ट Indigenous Aircraft Carrier (IAC) -2 को भी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के तहत बनाने की तैयारी में है।
जिसे भारतीय नौसेना में INS विशाल के रूप में शामिल किया जाएगा। यह INS Vikrant के बाद स्वदेशी रूप से तैयार होने वाला दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। जिसके लगभग 2030 तक तैयार होने के आसार हैं। हालांकि इसकी संरचना आदि के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
भारत उन पांच से छह देशों में भी शामिल हो चुका जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तकनीक मौजूद हैं। इससे भारत जब चाहे अपनी समुद्री ताकत में इजाफा कर सकता है। साथ उन देशों से निवेश को भी आकर्षित कर सकता है जिनके पास एयरक्राफ्ट निर्माण की क्षमता मौजूद नहीं है। जिसके सामरिक संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। INS VIKRANT 2021
भारतीय नेवी के इतिहास का सुनहरा पन्ना
4 अगस्त को भारतीय नेवी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो साझा किया। जिसमें एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant समुद्री ट्रायल के दौरान तैरता नजर आ रहा है।
ट्वीट में लिखा गया “1971 की जीत के 50 वर्षों बाद भारतीय नेवी के इतिहास ने एक गौरवान्वित लम्हा जुड़ चुका है। यह भारत में बनने वाला अब तक का सबसे शक्तिशाली सैन्य उपकरण है।” ट्वीट यह भी गया है कि ऐसे ही कई और हथियार आने वाले हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर सेना को बधाई दी। उन्होंने ने कहा कि भारतीय जलशक्ति के लिए बेहद गौरवशाली और उत्साहित करने वाला कदम है। साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत को भी प्रोत्साहित करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि विक्रांत रक्षा क्षेत्र में हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प का साक्षी है। स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, विक्रांत का निर्माण कोचिन-शिपयार्ड ने किया है। INS VIKRANT 2021
नौसेना के मुताबिक, कोविड महामारी की चुनौैतियों के बावजूद कोचिन शिपयार्ड ने सी-ट्रायल को शुरू कर एक मील का पत्थर हासिल किया है.
स्वदेशी विमान-वाहक युद्धपोत को उसी आईएनएस विक्रांत का नाम दिया है जिसने 1971 के जंंग में पाकिस्तान के खिलाफ विजय में एक अहम भूमिका निभाई थी। INS VIKRANT 2021
कब हुई थी INS Vikrant के निर्माण की शुरुआत?
2004 में INS Vikrant को बनाने का ऑर्डर दिया गया। 2009 में इसे इसे बनाने का काम शुरू किया गया। 2013 में INS Vikrant को लांच कर दिया गया।
2015 में तात्कालीन भारत के रक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि स्वदेशी Aircraft Carrier INS Vikrant दिसंबर 2018 में भारतीय नौसेना को दिया जाएगा। लेकिन इसी बीच कुछ अनियमितताओं के चलते निर्माण कार्य नीम पड़ गया।
मई 2017 में स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि निर्माण में हो रही देरी की समस्या को सुलझा लिया गया है। इस रिपोर्ट में INS Vikrant को 62% पूर्ण बताया गया।
साथ ही 2017 के अंत तक समुद्री परीक्षण की बात भी कही गई। लेकिन समस्या जस की तब रही। इसके निर्माण के तीसरे फेज को लागू किया और बजट को भी बढ़ाया गया।
समुद्री परीक्षण से संकेत मिलता है कि साल के अंत में Aviation trial के बाद, भारत का पहला स्वदेशी रूप से निर्मित विमानवाहक पोत 2022 में नौसेना को सौंपा जाएगा। INS VIKRANT 2021
INS Vikramaditya
भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikramaditya पहले से मौजूद है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर पहले सोवियत नेवी का हिस्सा हुआ करता था। जिसे 1982 में लांच करके,1987 में सोवियत नेवी में शामिल किया गया। INS VIKRANT 2021
नौ साल सेवा देने के बाद सोवियत संघ के विघटन तथा रखरखाव के अभाव में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। वर्ष 2004 में भारत सरकार ने मोडिफिकेशन की शर्त पर इसे खरीद लिया। जुलाई 2013 में इसके ट्रायल के बाद, जून 2014 में इसका जलावतरण हुआ। INS VIKRANT 2021
Why is INS Vikrant important?
INS Vikrant 260 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा पोत है। जो कि 37,500 टन तक का विस्थापन कर सकता है। जहाज की अधिकतम गति 28 समुद्री मील पर घोषित की गई है, जिसमें 18 समुद्री मील की गति से 7,500 समुद्री मील तय करने की क्षमता है। INS Vikrant में 160 अधिकारियों समेत 1400 नाविकों के एक बड़े क्रू को ले जाने की क्षमता है।
STOBAR विमानवाहक पोत 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को समायोजित करने में सक्षम होगा, जिसमें मिग-29K लड़ाकू जेट और Ka-31 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। INS VIKRANT 2021
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