India entered in unesco super 40 group
India has officially entered in UNESCO Super 40 Group with Dholavira
भारत अब UNESCO की उस सूची शामिल हो गया है जिसमें 40 या उससे अधिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल वाले देश शामिल हैं। हाल ही में गुजरात के कच्छ क्षेत्र में स्थित धौलावीरा Dholavira पुरातात्त्विक को भारत के 40वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। धौलावीरा विश्व की सबसे पुरानी और विकसित मानव सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता का हिस्सा है। यह इस सभ्यता का 5वें सबसे बड़े क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है।
इसके साथ ही भारत विश्व धरोहरों के संरक्षण के लिए बनाई गये सुपर-40 क्लब (Super-40 Club for World Heritage Site Inscriptions) में भी शामिल हो गया है। भारत को इस सूची में Brown रैंकिंग प्राप्त हो गई है। जो भारत के अलावा स्पेन, जर्मनी और फ्रांस को प्राप्त है। इन देशों में क्रमशः 49,48 और 47 वर्ल्ड हेरिटेज स्थल है।
अब मात्र पांच देशों से पीछे है भारत India has officially entered in UNESCO Super 40 Group
UNESCO ने 50 से यह उससे अधिक हैरिटेज साईट वाले देशों को Purple सदस्य और 40-49 स्थलों वाले देशों को Brown सदस्य के रूप में चिन्हित किया है। इससे कम स्थल वालें देशों को स्थल संख्या के अनुसार विभिन्न रंगों में वर्गीकृत किया गया है। सबसे ज्यादा स्थलों के साथ Purple सदस्य के रूप में इटली 57 स्थल और चाइना 56 स्थल, शीर्ष दो में शामिल हैं।
भारत में अब कुल 40, UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज स्थल नामांकित हो चुके हैं। 1978 में सबसे पहले महाराष्ट्र स्थित अंजता की गुफाओं को, विश्व धरोहरों में शामिल किया गया था। तो से लेकर 2014 तक भारत के 30 स्थल विरासत का हिस्सा बने। 2014 के बाद से अब तक 10 स्थलों ने इस सूची में जगह बनाई है। पिछले हफ्ते तेलंगाना के रामप्पा मंदिर को भारत के 39वें स्थल के रूप में चुना गया था। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारा रामप्पा मंदिर पर आधारित आर्टीकल पढ़ सकते हैं।
क्या है धौलावीरा Dholavira का ऐतिहासिक महत्व? India has officially entered in UNESCO Super 40 Group
धौलावीरा Dholavira को दक्षिण एशिया की सबसे अच्छे तरीकों से संरक्षित शहरी बस्ती के रूप में जाना जाता है। इसकी खोज वर्ष 1968 में पुरातत्त्वविद् जगतपति जोशी द्वारा की गई थी।
धौलावीरा, Dholavira, Indus Valley Civilization में पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो, गनेरीवाला और हड़प्पा तथा भारत के हरियाणा में राखीगढ़ी के बाद पांँचवा सबसे बड़ा महानगर था। यह UNESCO की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल होने वाला पहला और एकमात्र स्थल है।
सिंधु घाटी सभ्यता या IVC पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में लगभग साढ़े चार हजार साल पहले दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में विकासित थी। यह एकमात्र प्राचीन शहरी सभ्यता के रूप में जानी जाती है।
इसकी सुनियोजित शहरी जल निकासी व्यवस्था तात्कालिक तकनीकी व्यवस्था के महत्व को दर्शाता है। यह पूर्ण रूप से व्यापार और वाणिज्य पर केन्द्रित अर्थव्यवस्था थी। इसमें आंतरिक के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय व्यापार के भी प्रमाण मिले हैं। विशाल बंदरगाह और विदेशी सिक्के इसकी गवाही देते हैं। धौलावीरा ने ओमान तथा मेसोपोटामिया से व्यापार को सुगम बनाया।
धौलावीरा Dholavira में एक प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के शहर के अवशेष मिले हैं। इसके दो भाग हैं: एक चारदीवारी युक्त शहर और शहर के पश्चिम में एक कब्रिस्तान। चारदीवारी में दुर्ग और पूजा स्थलों के साक्ष्य मिले हैं। अन्य भागों में जलाशयों के अवशेष मिले हैं। दुर्ग की बेहतर किलेबंदी और व्यापक जलाशयों का निर्माण इस स्थल की विशेषता है।
धौलावीरा Dholavira कहां स्थित है? India has officially entered in UNESCO Super 40 Group
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धौलावीरा Dholavira कर्क रेखा पर स्थित है। यह क्षेत्र अन्य हड़प्पा स्थलों के समान नदी के किनारे स्थित ना होकर, कच्छ के महान रण में कच्छ रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य में खादिर बेट द्वीप पर स्थित है।
इस साइट पर विभिन्न खनिज और कच्चे माल के स्रोतों तांबा, खोल, एगेट-कारेलियन, स्टीटाइट, सीसा, बैंडेड चूना पत्थर आदि के खनन के साक्ष्य प्राप्त हुये है।
सिंधु घाटी लिपि में निर्मित 10 बड़े पत्थरों के शिलालेख है, शायद यह दुनिया का सबसे पुराने साइन बोर्ड है।
धौलावीरा Dholavira और हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण हैं?
हड़प्पा और धौलावीरा Dholavira का व्यापार बड़े स्तर पर मेसोपोटामिया पर निर्भर करता था। मेसोपोटामिया सभ्यता के पतन के बाद इस सभ्यता ने अपना बड़ा खपत केन्द्र को दिया।
इसका पतन मेसोपोटामिया के पतन के साथ ही हुआ, जो अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण का संकेत देता है। सरस्वती जैसी नदियों के सूखने के कारण धौलावीरा Dholavira को गंभीर सूखे को भुगतना पड़ा। जिसके कारण लोग गंगा घाटी की ओर या दक्षिण गुजरात की ओर तथा महाराष्ट्र की ओर उन्मुख हो गए। सूखे के कारण धौलावीरा Dholavira एक दलदली क्षेत्र में बदल गया। जिससे यहां नौकायन प्रभावित हो गया।
आपको बता दें कि Indus valley civilization, सिंधु घाटी सभ्यता तथा हड़प्पा सभ्यता तीनों एक ही सभ्यता के नाम है। आज इसका आधे से ज्यादा हिस्सा पाकिस्तान में स्थित है।
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