Homoeopathic Medicine for Allergy in hindi
Allergy:- एलर्जी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वान पिरकेट ने किया था जब कोई बाह्य पदार्थ के संपर्क में आने से व्यक्ति बीमार होने है अनुभव करता है. एलर्जी तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली यह मान लेती है की वो जिस चीज़ की संपर्क आया है या किसी चीज़ को खाया वो हानिकारक है।
शरीर की रक्षा के लिए हमारी शरीर एंटीबाडी उत्पन्न करती है एंटीबाडी शरीर की ऊर्जा कोशिकाओं को प्रेरित करती है की वह रक्त में विभिन्न रसायनो को भेजती रहती है उसी में से एक रसायन है हिस्टामिन।
हिस्टामिन आँख,गले, फेफड़े,त्वचा पे कार्य करता है और एलर्जी सम्बन्धी प्रतिक्रिया के लक्षण भी उत्पन्न करता है। जब शरीर एलर्जी के विरुद्ध एंटीबाडी का निर्माण कर देती है जो की उत्पन्न होने एलर्जी को पहचान लेती है और हिस्टामिन को रक्त में देना शरीर शुरू कर देती है।

क्या एलर्जी अनुवांशिक होती है ?
कुछ लोगो को जन्म से ही होती है क्यों की वो अनुवांशिक रूप से मिली होती। लड़को में लड़कियों के मुकाबले अनुवांशिक एलर्जी ज्यादा होती है।
विभिन्न प्रकार के एलर्जी
कई प्रकार के खाद्य पदार्थ, केमिकल्स, धूल और फूलों के परागकड़ आदि ये सभी एलर्जी उत्पन्न कर सकते है
पदार्थ के आधार पे एलर्जी के प्रकार ➖
फ़ूड एलर्जी :- इंडिया में 2 से 3 प्रतिशत व्यस्क और लगभग 8 प्रतिशत बच्चे फ़ूड एलर्जी से प्रभावित हैं। गेंहू, बाजरा , सोयाबीन, अंडे,मछली, और दूध से बने उत्पादों से एलर्जी पायी गयी और कुछ सब्जियों की ब्बत करें तो बैगन, भिंडी के भी मामले देखे गए हैं।
फ़ूड एलर्जी के लक्षण –
- उलटी और दस्त आ जाना
- पेट में दर्द होना या पेट का ऐंठना
- भूख कम लगना
- ब्लड प्रेशर में कमी
बचाव के उपाय :-
जिन चीज़ों से एलर्जी हों उनको खाने से परहेज़ करना चाहिए या फिर इसका इलाज कराना चाहिए।
पेट एलर्जी ➖
जानवरों की त्वचा, फर , प्रोटीन ये सब एलर्जन कहलाता है इससे एलर्जी हो सकती है। जानवरों के जो फर होते हैं उसमे धुल और दूसरे एलर्जी वाले पदार्थ भर जाते हैं जिनसे एलर्जी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। एलर्जी से पीड़ित लोगों में ज्यादातर को पालतू जानवरो से भी एलर्जी हो जाती है।
पेट एलर्जी के लक्षण :- आँख के पलकों के नीचे और नाक का लाल हो जाना या खुजली होना।
बचाव : अगर आप इस प्रकार के एलर्जी से प्रभावित हैं तो आप जानवरो से सीधे संपर्क में न आएं या अगर आ भी जा रहे हैं तो अपने हाथ को साबुन से धो लें।
डस्ट या धूल से एलर्जी :-
आंकड़ों के आधार पे माने तो एलर्जी के हुए शिकार लोगो में सबसे ज्यादा (लगभग 80%) लोग इसी एलर्जी के शिकार होते हैं यानी की उनको धुल से एलर्जी होती है।
धुल एलर्जी के लक्षण :- आँखों से आंसू बहना, उनका लाल हो जाना, उनमे खुजली होना, या नाक से पानी आना, नाक में खुजली होना।
डस्ट एलर्जी से बचने के उपाय:-
धूल आदि से बचे जँहा भी ज्यादा धूल निकल रहे हैं ऐसे स्थान पे जाने से बचे.
आंकड़ों के अनुसार:-
- लगभग 25% भारतीय जनता एलर्जी से पीड़ित है इनमे से पॉंच प्रतिशत लोग ला एलर्जी जो है वो अस्थमा में तब्दील हो जाती है।
- गर्मियों में यह आंकड़ा बढ़ जाता है क्योंकि पर्यावरण में उपस्थित एलर्जन और इर्रिटेन्ट जैसे धूल,परागकड़ आदि काफी अधिक मात्रा में निकलते हैं।
- यदि बच्चो के माता या पिता एलर्जी के शिकार हैं तो 50% यह सम्भावना रहती है की ये एलर्जी उनके बच्चों में भी आ सकती है।
- यदि माता और पिता दोना एलर्जी के शिकार हैं तो बच्चों में 75% सम्भावना रहती है की बच्चा भी एलर्जी से पीड़ित हो सकता है
एलर्जी का इलाज होम्योपैथिक मेडिसिन के द्वारा (homeopathic treatment of allergy)
होम्योपैथिक मेडिसिन एलर्जी के पीड़ित व्यक्तियों के इलाज़ के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है क्योंकि होम्योपैथिक मेडिसिन प्राकृतिक रूप से बनायीं जाती है यानि की इनमे इस्तेमाल हुए मटेरियल प्राकृत से लिए गए होते हैं।
बेस्ट होम्योपैथिक मेडिसिन फॉर एलर्जी (homeopathic medicine for allergy in hindi):-
एक होम्योपैथिक मेडिसिन जो की आपके एलर्जी काफी अच्छी साबित हो सकती है उसका नाम है जो की haslab कंपनी के द्वारा निर्मित है। यह दवा लाखों लोगो के लिए काफी कारगर साबित हुई इस दवा का उपयोग कर आप भी अपने एलर्जी का सही उपचार कर सकते है.