न्याय व्यवस्था में महिलाओं के स्थान को लेकर कल भारत में ये ख़बर सुर्खियों में रही, भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, कि कॉलेजियम द्वारा तीन महिलाओ के नाम की सिफ़ारिश की गयी है.
वी. रमना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए 9 नामों की सिफारिश की है female cji of india.

भारत की न्याय प्रणाली
भारत की न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी प्रणाली में से एक है, ये प्रणाली अंग्रेजों द्वारा भारत में शासन करते वक़्त बनाई गयी थी और जब भारत उनसे आज़ाद हुआ तो स्वतंत्र भारत में ये सन् 1950 से लगातार काम कर रही है. लोगो को न्याय पहुचाने का काम कर रही है. भारत की न्याय व्यवस्था में देश की अलग अलग अदालते है. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय है और भारत के कई न्यायालय है. भारत के अलग अलग राज्यो में निचली अदालते भी है, इसके अलावा फास्ट ट्रॅक कोर्ट और लोक अदालते है.
भारत के भारतीय संविधान विधायिका, न्यायपालिका, और कार्यपालिका तीनो को बराबर अधिकार देता है, इनमे से न्यायपालिका का काम संविधान की सुरक्षा करना होता है। जिस कारण इसे संविधान का संरक्षक भी कहते हैं।
इन तीन महिला न्यायधीशों के नाम है
. न्ययमूर्ति बी.वी. नाग रत्ना ( कर्नाटक उच्च न्यायालय )
· न्ययमूर्ति हीमा कोहली( तेलंगाना उच्च न्यायालय )
· न्ययमूर्ति बेला त्रिवेदी ( गुजरात उच्च न्यायालय )
अन्य 6 न्यायधीशों की सूची में शामिल नाम है
· चीफ जस्टिस अजय ओका ( कर्नाटक हाइकोर्ट )
· चीफ जस्टिस विक्रम नाथ ( गुजरात हाइकोर्ट )
· चीफ जस्टिस जे. के. माहेश्वरी ( सिक्किम हाइकोर्ट )
· जस्टिस सी टी रवि कुमार ( केरल हाइकोर्ट )
· जस्टिस एम एम सुंदरेश ( मद्रास हाइकोर्ट )
· पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी. एस. नरसिम्हा
क्या कयास है?
इस बात के कयास लगाए जा रहे है, न्ययमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ( कर्नाटक उच्च न्यायालय) भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने के आसार है.
इन सभी नामों में से पी. एस. नरसिम्हा एक मात्र व्यक्ति है, जिसका नाम सीधा बार काउंसिल से सीधा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप के चयनित हुए है. अगर इन सिफारिशो को सरकार के द्वारा मंजूर किया जाता है. तो सर्वोच्च न्यायालय में न्यायधीशों की सांख्य 33 हो जाएगी हालाकि नवीन सिन्हा के सेवा निर्वित होने से एक और पद खाली हो जाएगा.
महिला न्यायधीशों को लेकर इतिहास(female CJI of India)
26 जनवरी 1950 में उच्चतम न्यायालय का गठन किया गया था, तब से लेकर अब तक महिला बहुत ही कम संख्या में महिला न्यायधीशों की नियुक्ति हुई है. एक आकड़े के अनुसार सिर्फ़ 7 महिला न्यायधीशों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय में हुए है.
एम. फ़ातिमा. बीबी ने प्रथम बार 1989 में भारत के उच्चतम न्यायालय का कार्यभार सम्हाला था .
वर्तमान में सिर्फ़ एक महिला न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय में सेवारत है. जिनका नाम न्ययमूर्ति इंद्रा बनर्जी है 2018 में वो पदोन्नति होकर मद्रास उच्चतम न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय आई.
कॉलेजियम प्रणाली क्या है ?
- ये प्रणाली भारत में 1993 में लागू हुई थी.
- भारत में ये मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और उनके स्थानान्तरण की प्रणाली है, जिसके द्वारा सारे निर्णय लिए जाते है.
- ये प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विकसित हुई है.
- इस प्रणाली में कोई भी संसद या संवैधानिक पद पे बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति हास्तक्षेप नही कर सकता है.
- ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन के सारे निर्णय इस प्रणाली द्वारा किए जाते है.
- इस प्रणाली में भारत के पांच मुख्य सदस्य होते है.
- जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश और 4 वरिष्ठ न्यायाधीश होते है.
किस तरह विकसित हुई ये प्रणाली ?
इस प्रणाली के अनुसार देश से सारे सर्वोच्च न्यायालय से जुड़ी हुई बातें को तय किया जाता है. इस प्रणाली की चर्चा हमेशा हमारे देश में किसी ना किसी रूप में होती आयी है. चाहें वो अच्छे कारण से हो या कोई धांधली या फिर किसी अन्य कारण से
- इस प्रणाली का भारत के संविधान में कोई ज़िक्र नही किया गया है.
- अक्टूबर 1998 में इस प्रणाली का नाम चर्चा में आया था.
- ये प्रणाली 3 जजो के फ़ैसले के बाद में सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए प्रभाओ में आया था.
जजो की नियुक्ति प्रक्रिया क्या है?
इस प्रणाली कि सिफारिश उच्चतम न्यायालय द्वारा भारत की सरकार को की जाती है, इसको भारत सरकार दो बार से ज़्यादा नही नज़रअंदाज कर सकती है. केन्द्र सरकार के पास भी अपने चुने हुए नाम कॉलेजियम को भेजने की अनुमति है. नामों के आने के बाद कॉलेजियम प्रणाली के अंतरगत निम्नलिखित लोगो की जॉच के बाद रिपोर्ट कॉलेजियम को भेजी जाती है. प्रणाली के अंतर्गत ये आदान प्रदान जारी रहता है और फिर न्यायाधीश की नियुक्ति होती है. केन्द्र को भेजे गये नामों को कब तक स्वीकार करना है, इसकी तय समय सीमा नही है. लेकिन दो बार के बाद केन्द्र को नामों को स्वीकार करना ही पड़ता है.
कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना ?
इस मौजूदा प्रणाली में काई ख़ामिया पाई जाती है.
“भाई भतीजावाद की पक्षधर” कही जाने वाली इस प्रणाली में ज़्यादातर एक परिवार के सदस्यो को जगह मिलती है.
इस प्रणाली में प्रतिभाशाली जज काई बार नज़र अंदाज किए जाते है.
पारदर्शिता में कमी होने के कारण काई बार ये विवादो में बनी रहती है.
इस प्रणाली को बदलने के प्रयास
- 2014 में कांग्रेस ने इस प्रणाली को बदलने का प्रयास किया था और ”राष्ट्र न्यायिक नियुक्ति आयोग” कर गठन कर इसको बदलने की सिफारिश की थी.
- लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इस प्रणाली को असंवैधानिक करार दे दिया था.
- ”राष्ट्र न्यायिक नियुक्ति आयोग” का गठन 6 सुप्रीम कोर्ट के जजों के द्वारा किया जाना था.
- इसके अंतर्गत दो सर्वोच्च न्यायालय के जज, अलग अलग क्षेत्रों से जुड़ी दो जानी मानी हस्तिया और क़ानून मंत्री को शामिल किया जाना था.
- विपक्षी दल का नेता ना होने तथा अतिरिक्त अन्य वजहों से सुप्रीम कोर्ट ने इस गठन को अमान्य करार दे दिया था.
सर्वोच्च नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है ?
सुप्रीम कोर्ट भारत की सर्वोच्च न्यायालय हैं जो भारत के संविधान और लोगों से जुड़े हुए सारे आरोपों को गहराई से जांच कर के उसका निष्पक्ष रूप से निवारण देता है. चाहें मुकदमा देश की शांति का हो, या राज्य की मनमानी का. अमीर का हो या गरीब का ये अपने आप में एक न्यायमूर्ति के रूप में कार्य करता है, आइए जानें कौन इनके जजों का चयन करता है.
- अनुछेद 124/2 के तहेत सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है.
- अनुछेद 217 के तहेत उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उस राज्य के राज्यपाल के परामर्श लेने के बाद जिस राज्य से संबंधित जज है, की जाती है उच्च न्यायाधीश से भी परामर्श लिया जा सकता है.
भारत में महिला न्यायाधीश(female CJI of India)
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में बहुत ही कम महिला न्यायाधीश की नियुक्ति इन 71 सालो में की गयी है (female justice of india) ग़ौरतलब है की 1950 में भारत के सुप्रीम कोर्ट को अस्तित्व में लाया गया था, ,तब से केवल 7 महिला न्यायाधीश की नियुक्ति हुई है. जसिमें पहली महिला न्यायाधीश थी फ़ातिमा बीबी जिन्हे 6 अक्टूबर 1989 नियुक्त किया गया था.
उसके बाद भारत में 7 और महिला न्यायाधीश हुई है, वर्तमान में भारत की सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश समेत 27 न्यायाधीश है. एक महिला न्यायाधीश है जिनका नाम इंद्रा बानर्जी है.
- सुजाता मनोहर दूसरी महिला न्यायाधीश थी जिन्हे 7 नवंबर 1994 में नियुक्ति मिली थी.
- रूपा पाल को 2000 में नियुक्ति मिली थी, जिन्होने सबसे ज़्यादा 6 साल अपना कार्यभार संभाला.
- ज्ञान सुबा मिश्रा 2010 में सुप्रीम कोर्ट गयी.
- रंजना देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा, क्रमशा: 2014, 2020 और 2021 को नियुक्त हुई.
- इंद्रा बानर्जी की नियुक्ति 2017 में हुई जो आज की तारीख तक सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त है female cji of india.