Essay On Plastic Pollution In Hindi
वर्तमान समय में प्लास्टिक की आवश्यकता
प्लास्टिक शब्द लेटिन भाषा के प्लास्टिक्स तथा ग्रीक भाषा के शब्द प्लास्टीकोस से लिया गया है।
आवश्यकता को आविष्कार की जननी कहा जाता है।प्लास्टिक अपशिष्ट चीजों से बनी हुई एक पदार्थ होता है।जो रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होता है।
कई साल पहले से प्रचलित प्लास्टिक वर्तमान की जरूरत बन गया है।ऐसा लगता है वर्तमान समय में है इसके बिना अपनी जीवन की जरूरतों को पूरा ही नहीं कर सकता।
इसलिए इसका इस्तेमाल दिन प्रतिदिन बढ़ता गया परंतु वातावरण और पर्यावरण के लिए खतरा भी बन गया है परंतु फिर भी बढ़ती साइंस और टेक्नोलॉजी ने इसका भी एक हल निकाला है।
प्लास्टिक वेस्ट को भी कई जगहों पर इस्तेमाल में लाया गया है।
जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट से बने सजाने की सामग्री, सड़क बनाने के इस्तेमाल में और इसी प्रकार पुराने प्लास्टिक अपशिष्ट को इस्तेमाल करके बच्चों के खिलौने बनाना, फर्नीचर इत्यादि ऐसी जगह पर प्रयोग करना जहां वह एक सजाने की सामग्री भी लगे और उपयोग में आने वाली भी!
लेकिन फिर भी इसकी बढ़ती हुई जरूरतो और इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
आइए जानें क्या है इसके प्रभाव पर्यावरण पर, और क्यों बना हुआ है इससे खतरा और सरकार ने क्या नियम निकाले हैं इसको रोकने के लिए।
क्यों है प्लास्टिक समस्या के रूप में-
भारत में प्लास्टिक पर पाबंदी की मांग ज़ोर-शोर से उठती रही है. भारत ही क्यों, दुनिया के कई देशों में इस पर पाबंदी लगी है.
वैसे इस पाबंदी पर भी शर्तें लागू हैं. मगर, आज प्लास्टिक को दुनिया में इंसानियत ही नहीं हर तरह के जीव के लिए दुश्मन के तौर पर देखा जाता है.
प्लास्टिक के कचरे से पूरी दुनिया परेशान है. समंदर हो या नदियां. पहाड़ हों, दूर स्थित द्वीप हों या मैदान,यहां तक गली, सड़कों ,नालों ,सीवर पाइप में बीच में प्लास्टिक के अधिक उपयोग से इसके दुष्प्रभाव दिखाई पड़ते हैं।
हर जगह प्लास्टिक के कचरे से प्रदूषण और पर्यावरण को भारी नुक़सान हो रहा है.
प्रकृति से या अन्य मानव द्वारा निर्मित वस्तुओं और कृत्य से जो चीजे वरदान के रूप में है, मिलती है।
मानव को जो चीज वरदान के रूप में मिलती है वही उसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने पर आगे चलकर एक शाप के रूप में स्थापित हो जाती है।
यही कारण है कि प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से तथा हर चीज छोटी सी छोटी जो आज अधिक इस्तेमाल होने लगी है, वहां एक मानव के लिए शाप के रूप में स्थापित होती जा रही है।
बढ़ता हुआ पर्यावरण ग्लोबल वार्मिंग गर्मी का तापमान बडना यहां पर्यावरण के लिए एक हानिकारक घटक है।
उससे भी ज्यादा भयानक मानव जीवन के लिए यह एक अभिशाप के रूप में है तथा प्लास्टिक का अधिक उपयोग मुख्य समस्या बन गयी हैं।

क्या प्रभाव है इसका वातावरण पर-
बढ़ता हुआ प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण पर सबसे दुष्प्रभाव प्रभाव है।
समुद्रों मे, वातावरण में यहां तक कि पेड़ पौधों की उर्वराशक्ति पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है और वर्तमान समय में प्लास्टिक के लगभग 50000 टुकडे समुद मे तैर रहे हैं।
दुनिया के लगभग 40% देश के प्लास्टिक को प्रतिबंध किया जिसमें फ्रांस, चीन, इटली और रवांडा जैसे देश शामिल है।
अमेरिका जैसे विकसित देश में कागज के बैग बेहद लोकप्रिय हैं. वास्तव में प्लास्टिक हमारे लिए उत्पादन से लेकर इस्तेमाल तक की स्थितियों में खतरनाक है.
इसका निर्माण पेट्रोलियम से प्राप्त रसायनों से होता है. पर्यावरणीय लिहाज से यह किसी भी स्थिति में इंसानी सभ्यता के लिए बड़ा खतरा है.
यह जल, वायु, मुद्रा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है. इसका उत्पादन अधिकांश लघु उद्योग में होता है जहां गुणवत्ता नियमों का पालन नहीं होता है.
मानव जाति के लिए हमारे वायुमंडल में जो ओजोन परत है बढ़ता पर वायु प्रदूषण वह ओजोन परत को इतना दूषित कर रहा है कि आगे चलकर पृथवी का तापमान बढ़ेगा।
ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने से मानव जाति को इतनी क्षति होगी कि इसका अंदाजा लगाना असंभव है।
प्लास्टिक अपशिष्ट से क्यों है पर्यावरण को खतरा-
*प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़ देश में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है।
साल 2015-16 में करीब 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था। राजधानी दिल्ली में अन्य महानगरों के मुक़ाबले सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।
*रि-साइक्लिंग की प्रक्रिया भी प्रदूषण को बढ़ाती है। रि-साइकिल किए गए या रंगीन प्लास्टिक थैलों में ऐसे रसायन होते हैं, जो ज़मीन में पहुंच जाते हैं और इससे मिट्टी और भूगर्भीय जल विषैला बन सकता है।
जिन उद्योगों में पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर तकनीक वाली रि-साइकिलिंग इकाइयां नहीं लगी होतीं उनमें रि-साइकिलिंग के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के कहा है कि प्लास्टिक मूल रूप से नुक़सानदेह नहीं होता, लेकिन प्लास्टिक के थैले अनेक हानिकारक रंगों, रंजक और अन्य तमाम प्रकार के अकार्बनिक रसायनों को मिलाकर बनाए जाते हैं।
जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक है और यहां लगातार पर्यावरण के लिए एक दुष्ट कारक के रूप में है।
क्यों बढ़ा है प्लास्टिक का इस्तेमाल-
कांच की बोतलों के मुकाबले प्लास्टिक की बोतल ले अधिक सस्ती पड़ती है।और प्लास्टिक की बोतलों का आसानी से ले जाने और लाने में भी सुविधा रहती है.
जबकि कांच की बोतलों को लाना ले जाना में एक कठिनाई उत्पन्न होती है कांच की बोतलों का भार अधिक रहता है।
इन भारी कांच की बोतलों को ले जाने में देखा जाए तो 40 परसेंट अधिक ईंधन खर्चा होता है और
इन को जलाने पर प्लास्टिक की बोतलों के मुकाबले पाँच गुना यह ज्यादा प्रदूषित होती हैं।
लिहाजा शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च किया है कि कांच की बोतलों के मुकाबले ये कम खर्चीली और आसानी से कैरी करने वाली होती है।
इसलिए इनका उपयोग भी ज्यादा बढ़ा है।लेकिन जो चीज एक वरदान के रूप में होती है, आगे चलकर कहीं ना कहीं उस का अधिक उपयोग होने पर वह एक शाप के रूप में भी स्थापित हो जाती है।
इस को नियंत्रण करने के लिए क्या उपाय होने चाहिए
प्लास्टिक अपशिष्ट एक प्राकृतिक घटक चीज नहीं है बल्कि यहां एक मानव द्वारा निर्मित पदार्थ है तथा इसको इसको रोकने के लिए उपाय सबसे ज्यादा मानकों पर ही निर्भर करता है।
मानव को ही जब पूरी तरीके से जागरूक होना पड़ेगा तभी यहां नियंत्रण में आ सकता है।
जैसे कि मल्टी – लेयर पैकेजिंग , ब्रेड बैग , फूड रैप ( Food Wrap ) और प्रोटेक्टिव पैकेजिंग , जैसे एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपभोग में लानी होगी कमी लानी होगी.
कपड़े के थैलों , जूट बैग्स और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक जैसे जैवनिम्नीकृत और कम्पोस्टेबल विकल्पों की तरफ रुख किया जाना भी अत्यधिक जरूरी है।
*जैसे राज्य सरकार ने 2015 में या प्लास्टिक के बैग पर रोक लगाई थी और यह चेतावनी दी थी कि यदि कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करता है तो वह ₹5000 जुर्माना देना पड़ेगा और इस पर बनाने वाली कंपनियों पर भी जुर्माना लगाया था।
परंतु सरकार कोई भी योजना बनाए जब तक जनता पूरी तरीके से उसका साथ नहीं देती तब तक वह व्यर्थ हो जाता है इसलिए आज भी इसका उपयोग अत्यधिक लोग कर रहे हैं
*जनता में जागरूकता का होना अत्यधिक आवश्यक है।
वहां प्लास्टिक बाग का इस्तेमाल कम करे और अधिक जूट और कपड़े के बने बैक का इस्तेमाल करें । Essay On Plastic Pollution In Hindi

अपशिष्ट को लेकर जागरूकता अभियान-
प्लास्टिक अपशिष्ट हमारे देश की ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है और समय-समय पर सरकार के द्वारा इसके लिएअभियान चलाए गये ताकि लोगो मे जागरूकता लाई जा सके।जिसमें से कुछ अभियान में है।
स्वच्छ भारत मिशन ,
इंडिया प्लास्टिक पैक्ट ,
प्रोजेक्ट रीप्लान ,
अन – प्लास्टिक कलेक्टिव और
GloLitter Partnerships Project प्लास्टिक पैक्ट लॉन्च करने वाला भारत एशिया का पहला देश है।
प्लास्टिक अपशिष्ट को रोकना इतना जरूरी है कि इसके लिए हर उचित प्रयास किए गए हैं जैसे कि मुंबई में महानगरपालिका ने शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए और प्लास्टिक अपशिष्ट को रोकने के लिए एक मुहिम की शुरुआत करी थी.
जिसमें जिसमें नागरिकों से यह विनती करी गई थी की वह प्लास्टिक कूड़े को इधर उधर ना फेंके, बल्कि इखट्टा करके नगरपालिका को सौंप दे तो वहां उनको इसके बदले में पूरी सब्जी का कूपन देगी जिसको वह किसी भोजनालय पर देख कर भोजन कर सकते हैं।
इस तरह के अभियान से जनता का पर्यावरण और प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रति जागरूक भी होती है और उनकी आर्थिक सहायता भी होती है।
सारी योजनाएं में प्लास्टिक अपशिष्ट को रोकने के लिए सरकार प्रयासरत हैं, परंतु अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। ऐसे मे क्या तय होगी आगे की राह।
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प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016-
*प्लास्टिक कचरा प्रबंधक संचालन नियम, 2011 के स्थान पर केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को स्थान दिया ।
प्रबंधक नियम 2016 का मुख्य उद्देश्य यह था कि प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई को 40 माइक्रॉन से 50 माइक्रॉन करना था।
*दूसरी ओर इस नियम को नगर पालिका से बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों की ओर भी करना था।
*और प्लास्टिक कैरी बैग के उत्पादक को आयातकों और इनको बेचने वालों पर पूर्व पंजीकरण के माध्यम से इनके ऊपर शुल्क लगाना था तथा 2016 में ही बायोमेडिकल कचरा प्रतिबंध लाया गया.
जिसके तहत मानव एवं पशुओं के शारीरिक अपशिष्ट उपचारों में यह कचरा पैदा होता है यह कचरा अस्पतालों, ब्लड, बैंक, पैथोलॉजी आदि प्रयोगशालाओं में से निकलता है।
इस नए नियम का उद्देश्य देश भर की 168869 स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं (एचसीएफ ) से रोजाना पैदा होने वाले 484 टन बायोमेडिकल कचरे का उचित प्रबंध करना है।
बायोमेडिकल कचरा रखने वाले थैलियों या कंटेनरों को नष्ट करने के लिए बार-कोड प्रणाली बनाई जाएगी।
यह नियम राज्य सरकार को आम बायो- मेडिकल कचरा उपचार एवं निपटान सुविधा बनाने के लिए ज़मीन मुहैया करायी जाने की बात करता है ।
और ये बायोमेडिकल कचरा नियम 2016 अधिसूचितअन्य कचरा प्रबंधन नियम के अतिरिक्त है। Essay On Plastic Pollution In Hindi
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2021-
पर्यावरण मंत्रालय,जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 13 अगस्त 2021 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम अधिसूचित किया गया।
यह अधिनियम जल स्तर और थल स्तर पर बिखरे हुए प्लास्टिक अपशिष्ट पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाया गया है।
यहां नया नियम प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट 2016 को संशोधित करते हुए नया नियम 2022 तक होने वाले अपशिष्ट उत्पादो को नियंत्रण करने के लिए प्रतिबंध करेगा।
1 जुलाई , 2022 से polystyrene और expanded polystyrene समेत अन्य कई एकल – उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण , आयात , भंडारण , वितरण , बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध किया जायेगा।
100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या फिर पीवीसी बैनर जैसी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगया जायेगा वही Mistic waste Management Amendment Rules , 2021 प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई को 30 सितंबर , 2021 से 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर , 2022 से 120 माइक्रोन की जाएगी।
एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध लगायेगी।
गौरतलब है कि एककल उपयोग होने वाले प्लास्टिक से प्रदूषण का खतरा अधिक बना रहता है।
यहां नियम एकल उपयोग वाली वस्तुओं के उपयोग को नियंत्रण करने के लिए लागू किया गया है इसके अंतर्गत आइसक्रीम स्टिक्स कैंडी, स्टिक गुब्बारों में उपयोग स्टेट्स और थर्माकोल से बने अन्य पर वस्तुएं शामिल है.
इसके अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थों से बने हुए कटोरी, चम्मच ,प्लेट, ग्लास और मिठाई के डिब्बे पार्किंग वाले इत्यादि वस्तुओं को भी शामिल किया गया है। Essay On Plastic Pollution In Hindi
लोगो द्वारा पूछे जा रहे प्रश्न का उत्तर
प्लास्टिक के पर्यावरण पर दुष्प्रभाव को कम करने के 5 उपाय लिखिए?
5 उपाय निम्न हैं –
1. प्लास्टिक का कम प्रयोग करके।
2. प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करके।
3. सरकार द्वारा प्लास्टिक को बैन करके।
4. प्लास्टिक को उद्योगों द्वारा दुबारा उपयोग करके नए उत्पाद बना के
5. प्लास्टिक से बनी चीजों के दाम को अधिक करके
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