Biography Of Kadambini Ganguly In Hindi

कदंबिनी गांगुली(kadambini ganguly)
किसी अन्य दीपक की लौ से या शांत और स्थिर वायु में दीपक को जलाना बहुत आसान बात है। लेकिन घोर अंधेरे में आंधियों के बीच दीपक को जलाना और हवाओं के बीच उसे बुझने से बचाए रखना एक कठिन चुनौती।
ऐसे ही अंधड़ो के बीच अपने अस्तित्व को बचाकर अन्य उजालों के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाली ज्योति के रूप में प्रज्जवलित हैं कदंबिनी गांगुली।
160वीं जन्म जयंती–
आपने रविवार को सर्च इंजन Google द्वारा प्रतीक Doodle को देखा होगा, जिसमें एक महिला की प्रतिकृति का चित्रण किया गया था। यह चित्र भारत की पहली महिला डॉक्टरों की सूची में काबिज कादंबिनी गांगुली जी का था। स्व.गांगुली मेडिसिन की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले भारतीय महिलाओं के बैच में शामिल थी।
कादंबिनी गांगुली जी का जन्म 18 जुलाई 1861 को तात्कालिक बंगाल के भागलपुर में हुआ था। वर्ष 1884 में जब कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में महिलाओं के प्रवेश तक पर प्रतिबंध था, तब कांदबिनी जी ने एडमिशन के लिए आंदोलन कर दिया, विश्वविद्यालय को इनके आगे झुकना पड़ा और इनके साथ कुछ और महिलाओं ने मेडिसिन की डिग्री हासिल की।
आंदोलन से एडमिशन
कादंबिनी गांगुली जी कलकत्ता के उच्च वर्ग से संबंध रखतीं थी। उन दिनों बंगाल में उच्च वर्ग की महिलाओं पर कड़े प्रतिबंधों को लगाए जाते थे। इन सब के बावजूद भी इन्होंने 1878 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी में की प्रवेश परीक्षा पास करने वाली पहली महिला बनीं। बाद में इन्होंने ने चंद्रमुखी बासु के साथ भारत की पहली महिला ग्रेजुएट होने का गौरव हासिल किया। इसके बाद 1884 में इन्होंने ने अपने पति द्वारकानाथ गांगुली के साथ मिलकर एक आंदोलन की मदद से कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में ना सिर्फ प्रवेश हासिल किया बल्कि स्कॉलरशिप भी हासिल की।
पहली महिला ग्रेजुएट
लेकिन यहीं तक इनकी लड़ाई समाप्त नहीं हुई। प्रवेश के बाद प्रोफेसर्स को यह बात रास नहीं की एक कैसे उनके बराबर में आकर शिक्षा प्राप्त कर सकती है। इसी सोच के चलते उन्हें कई डरा-धमका कर यहां तक की फेल करके भी पीछे ढकेलने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने ने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ते रहने का जज्बा बनाए रखा। इसके बाद वह आगे की शिक्षा के लिए स्कॉटलैंड भी गयीं। इसके बाद तीन अन्य प्रशस्ति हासिल कर महिला रोगों में विशेषज्ञता हासिल कर अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत की। ये पार्ट का सबसे अहम् पार्ट था।
पति की रहीं अहम भूमिका
अक्सर कहा जाता है कि एक कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला का योगदान होता है। लेकिन कांदबिनी गांगुली जी के जीवन में इसके विपरीत स्थिति रही। शादी के पहले कादंबिनी गांगुली नहीं बल्कि कादंबिनी बसु थी। उनकी शादी द्वारकानाथ गांगुली से हुई जो कि एक समाज सुधारक नेता थे और बहुजन हित में कार्य करने के लिए जाने जाते थे। इन्हीं की मदद से कादंबिनी गांगुली जी ने पितृसत्तात्मक समाज से लड़ने का साहस प्राप्त किया।
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
कादंबिनी गांगुली स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहीं। उन्हें कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। कांदबिनी गांगुली को कांग्रेस की सभा को संबोधित करने वाली पहली पह महिला होने का भी गौरव हासिल है। तथा बंगाल में छह महिलाओं के उस समूह की अध्यक्ष भी रहीं जिसमें रविन्द्र नाथ टैगोर जी की बहिन तथा पुत्री शामिल थीं।
क्या आप इनसे परिचित थे?(kadambini ganguly in hindi)
इतने कड़े संघर्ष के बाद कांदबिनी गांगुली इतिहास में महिला सशक्तिकरण की पुरोधा बनी। लेकिन इतिहास के पन्नों में उनका नाम आज केवल बंगाल तक ही सीमित रह जाता है। भारतीय इतिहासकार कहीं न कहीं उनका उल्लेख करने से चूक गए हैं।
हालांकि मार्च 2020 में बंगाली चैनल स्टार जलसा पर कादंबिनी गांगुली जी को समर्पित एक टीवी धारावाहिक प्रोथोमा कांदबिनी प्रसारित किया जाता है।
महामारी के इस कठिन दौर में हेल्थवर्कर्स सहित अन्य लोग इस व्यक्तिव से प्रेरित हो सकतें हैं।