Biography of Jayalalitha in Hindi
जीवन के बहुत सारे पहलुओं में कोई लगातार कामयाब नहीं होता तो कोई लगातार हारता नहीं।
जयललिता की जीवन की कहानी फिल्मी तो नहीं है पर यह किसी फिल्म से कम भी नहीं है
*तमिलनाडु की अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ के रूप में जयललिता
*पाँच बार मुख्यमंत्री बनी जयललिता!
*1948 से लेकर 2016 तक का सफर।
*बचपन से रहा एक्ट्रेस का क्रेज
*रामचंद्रन के मार्गदर्शन में रखा राजनीति में कदम
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है हर पल जिंदगी का इम्तिहान होता है जो छोड़ देते हैं समय से पहले जंग का मैदान उनको कुछ नहीं मिलता जो अंतिम सांस तक डटे रहते हैं उनके ही कदमो मे जहान होता है।
आज हम बात कर रहे हैं, जयललिता की जानिये इनके जीवन के उतार-चढ़ाव और इनके जीवन की इस कसौटी।
*जयललिता की प्रारंभिक जीवन-
जयललिता का जन्म कर्नाटक के मैसूर जिले में 24 फरवरी 1948 को एक अय्यर परिवार में हुआ था।उनके पिता का नाम जयराम था। वह एक पेशे से वकील थे।
महज जब वह 2 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया जिसके बाद वह और उनके भाई जय कुमार अपनी मां के साथ बैंगलोर में ही बस गये और उनकी प्रारंभिक शिक्षा बैंगलोर में ही हुई।
उनके परिवार में सभी सदस्यों के नाम के आगे उपसर्ग के तौर पर जय लगाया जाता था जिसका अर्थ होता था विजय होना।
इसलिए उनके भाई का नाम जय कुमार था और उनका खुद का नाम जयललिता रखा गया था।
*जयललिता की जीवन शैली-
जयललिता तमिलनाडु की पांच बार मुख्यमंत्री बनने वाली महिला थी। जयललिता की राजनीति की शुरुआत वहां के मशहूर द्रविड़ आंदोलन से प्रारंभ हुई।
जयललिता ने जब अपनी फिल्मी दुनिया को छोड़ कर राजनीतिक जिंदगी में कदम रखा तो वह एक भारतीय नारी की तरह साड़ी और सामान्य वस्त्र में नजर आई।
इसी से आगे बढ़ते हुए वहां तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी और तमिलनाडु की राजनीति में पुरुषों का वर्चस्व तोड़ा! इतना ही नही अपने द्वारा उठाए गए हर राजनैतिक कदम में स्थापित संकीर्ण सोच की उपेक्षा की।
*बचपन से फिल्मों में रुचि होना-
जयललिता ने अपने शैक्षणिक स्तर पर होते हुए फिल्मों में काम करना शुरू किया है जब वह 15 साल की थी फिल्मों में रुचि होने की वजह से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।
साउथ फिल्म इंडस्ट्री की एक जानी पहचानी खूबसूरत अदाकारा जयललिता जय राम को आज हर कोई जानता है उन्होंने अपने करियर में कई सारी भाषाओं में जैसे अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, तमिल और तेलुगु आदि भाषाओं की फिल्मों में अभिनय करके दुनिया में अपना परचम लहरा दिया।
*उनकी पहली फिल्म एपिस्टल थी जो अंग्रेजी भाषा में सन 1961 में रिलीज हुई थी।
*सन 1964 में उन्होंने एक कन्नड़ फिल्म में काम किया जिसका नाम चिन्नादा गोम्बे था उसमें वह मुख्य अभिनेत्री के रूप में नजर आई इस फिल्म का निर्देशन बीआर पंथुलु ने किया था।
*1965 में रिलीज हुई एक फिल्म मीरा आंधी में भी उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी।इस फिल्म में वह एक पहली अदाकारा ऐसी थी जो दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में कम बाजू की ड्रेसेस स्कर्ट गाउन और ऊनी सूट पहने हुए नजर आयी थीं।
*उन्होंने सन 1966 में एक और फिल्म में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इस फ़िल्म का नाम मनुसूलू ममथालू था। यह फिल्म तेलुगु भाषा में बनाई गई थी।
*सन 1972 में जयललिता ने शिवाजी गणेशन के साथ पट्टीकाडा पट्टनामा नामक एक तमिल फिल्म में महत्वपूर्ण किरदार निभाया जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
*उन्होंने शिवाजी गणेशन के साथ एक तमिल फिल्म देवा मगन में अपना बखूबी किरदार निभाया था जिसके लिए उन्हें बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म श्रेणी का भी पुरस्कार मिला। वह पहली ऐसी तमिल फिल्म थी जिसे इस अवार्ड से नवाजा गया था।
*1960 और 70 के दशक के बीच उन्होंने एमआर रामचंद्रन के साथ कई सारी फिल्में कि जो बेहद सफल रही और दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में वे दोनों ही धीरे-धीरे फेमस होते चले गए।
*बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर उन्होंने धर्मेंद्र के साथ फिल्म इज्जत में अपना बेहतरीन किरदार निभाया था जिसके लिए भी उन्हें बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर कई सराहना मिली थी।
इस प्रकार जयललिता ने फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनायीं ।
*कंगना राणावत ने थलाइवी मूवी में निभाया जयललिता का किरदार-
हाल ही में रिलीज हुई थी कंगना राणावत की फिल्म थालाइवी जिसमें उन्होंने जयललिता का किरदार निभाया।
बॉलीवुड में बनाई गई थालाइवी फिल्म इस बात को भी प्रमाणित करती है कि जयललिता याद रखने वाली और याद दिलाई जाने वाली हस्तियों में से एक थी।
इसको दर्शकों का अच्छा रिसपोस मिल रहा है।इसको की इतनी प्रशंसा इसलिए भी मिल रही है.

क्योंकि उन्होंने जयललिता को एक रिपोर्टर के रूप में भी प्रदर्शित किया और इस फिल्म कि इसलिए भी अधिक प्रशंसा हो रही है क्योंकि बहुत से लोग जयललिता के जीवन से परिचित है और बहुत होना भी चाहते है।
जयललिता ने अपने पूरे जीवन में शादी नहीं करी और इतनी आकर्षित और मधुर आवाज वाली ही जयललिता ने बचपन में ही जब अपने पिता को खोया और वह 15 साल की उम्र में है.
वहां फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा उसके बाद वह अपने जीवन में बड़ी और पाँच बार तमिलनाडु की सीएम रही।
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*अम्मा मुख्यमंत्री के पद पर-
जयललिता अपने दौर की सबसे कम उम्र की तमिलनाडु में महिला मुख्यमंत्री बनी थी।
वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने 1990 में एकजुट कर 1991 में जबरदस्त बहुमत दिलायी।
1991 में ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था।
तमिलनाडु की जनता लट्टे के विरुद्ध थे।
वह उसका समर्थन नहीं करते थे इसलिए जनता में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था,मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर रोक लगाई और केंद्र सरकार ने भी उसका पूरा समर्थन किया।
और 1989 में तमिलनाडु में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं।
इस प्रकार उनके राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव के साथ उनके निजी जीवन में भी बहुत बदलाव आया।
*राजनीति का सफर-
ए.आई.ए.डी.एम.के.) के संस्थापक ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम एम्. जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव नियुक्त किया और चार वर्ष बाद सन 1984 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया।
कुछ ही समय में वह ए.आई.ए.डी.एम.के. की एक सक्रिय सदस्य के रूप में नजर आई।
उन्हें एम.जी.आर. का राजनैतिक साथी माना जाने लगा और प्रसार माध्यमो में भी उन्हें ए.आई.ए.डी.एम.के. के उत्तराधिकारी के रूप में दिखाया गया।
जब एम.जी. रामचंद्रन मुख्यमंत्री बने तो जयललिता पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभालते नजर आये।
उनकी मृत्यु के बाद कुछ सदस्यों ने जानकी रामचंद्रन को ए.आई.ए.डी.एम.के. का उत्तराधिकारी बनाना चाहा और इस कारण से ए.आई.ए.डी.एम.के. दो हिस्सों में बट गया।
एक गुट जयललिता को समर्थन दे रहा था और दूसरा गुट जानकी रामचंद्रन को मिला।
*जहां राजनीति दौर जनता के लोग प्रशंसा हाथ आती है वही इसके कुछ विरुद्ध कार्य होने पर यह एक बदनामी का सबब भी बन जाती है।
ऐसे ही कुछ हुआ जयललिता के साथ भी जयललिता कई बार ऐसे ही विवादों में घिरी रहने लगी थी।
इसे पहली बार विवाद शुरू हुआ था 1996 में ,इनकी पार्टी हार गई थी जयललिता अपनी सीट भी नहीं बचा पाई थी।
जयललिता के विरूध पार्टी विरोधी और भ्रष्टाचार के कई आरोप उजागर हुए थे।
वह बीजेपी से भी जुड़ी परंतु कुछ ही समय बाद सरकार गिराने के विरुद्ध बदनामी भी हिस्से में आई।
*वक्त का पहिया जिस हिसाब से भाग रहा था, वैसे ही जलललिता का सियासी सफर भी बहुत तेजी से आगे बढ़ता रहा।
2001 में वहां सत्ता में फिर वापस आए और जयललिता के बारे में यह कहा जाता था कि वह कहीं भी जाती थी अपनी राजनीति कुर्सी साथ लेकर जाती थी।
*सन 1988 में पार्टी को भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत निष्काषित कर दिया गया। सन 1989 में ए.आई.ए.डी.एम.के. फिर से संगठित हो गया और जयललिता को पार्टी का प्रमुख बनाया गया।
1991, 2002 और 2011 में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगने के बावजूद वहां विधानसभा चुनाव जीती।
**क्या घटना थी उनके जेल जाने की-
जीवन में जितना मुश्किल है,सफलता को प्राप्त करना। उससे कहीं अधिक कठिन कार्य है।
उस सफलता को बनाए रखना ऐसे ही कुछ हुआ जयललिता के राजनीतिक जीवन में भी राजनैतिक जीवन के दौरान जयललिता पर सरकारी पूंजी के गबन, गैर कानूनी ढंग से भूमि अधिग्रहण और आय से अधिक पूंजी अर्जित करने के आरोप में 27 सितम्बर 2014 को सजा भी हुई और मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा.
वह कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने 11 मई 2015 को उनको आरोपों से मुक्त कर दिया और वह पुन: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री बनी।
*जयललिता ने जारी की 20 जन कल्याणकारी योजनाएं।
- अम्मा फ्री वाई-फाई (Amma Free Wi-Fi)
- अम्मा बेबी केयर किट्स (Amma Baby Care Kits)
- अम्मा पीपल सर्विस (Amma People Service)
- अम्मा एजुकेशन स्कीम (Amma Education Scheme)
- अम्मा स्किल (Amma skill)
- अम्मा नमक (Amma salt)
- अम्मा सीमेंट स्कीम (Amma Cement Scheme)
- अम्मा मेडिकल स्टोर (Amma Medical Store)
- अम्मा मैरिज हॉल (Amma Marriage Hall)
- अम्मा कॉल सेंटर (Amma call center)
- अम्मा टेबल फैन (Amma table fan)
- अम्मा टीएनएफडीसी फिश स्टॉल (Amma Tianfdisi Fish sta)
- अम्मा बीज (Amma seed)
- अम्मा कैंटीन (Amma canteen)
- अम्मा मिनरल वाटर (Amma Mineral Water)
- अम्मा थिएटर (Amma theater)
- जया टीवी (Jaya TV)
- अम्मा मोबाइल फोन (Amma mobile phone)
- अम्मा लैपटॉप (Amma laptop)
- अम्मा ग्राइंडर (Amma Grinder)
*जयललिता को पुरस्कारों से सम्मानित गया-
1972 में, तमिलनाडु सरकार ने उन्हें कलाइमाणी पुरस्कार से सम्मानित किया।
1991 में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) की एक डिग्री प्रदान की गई.
1992 में डॉ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की एक डिग्री जयललिता को प्रदान की गई.
1993 में मदुरै कामराज विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लेटर्स की एक डिग्री प्रदान की थी.
2003 में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की एक डिग्री दी गई थी.2003 में भारतीदासन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लेटर्स (ऑनोरिस कासा) की एक डिग्री प्रदान की गई थी.
एशियाई गिल्ड अवॉर्ड्स से “दशक की महिला राजनीतिज्ञ” पुरस्कार प्राप्त करने के लिए उन्हें 2004 में लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा आमंत्रित किया गया था.
2004 में गोल्डन स्टार ऑफ ऑनर एंड डिग्निटी अवॉर्ड को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा समिति ने समाज के कमजोर वर्ग और तमिलनाडु और भारत में लिंग समानता के क्षेत्र में उनकी सेवाओं को पहचानने में उनकी सेवाओं को मान्यता दी थी.
5 दिसंबर 2016 को चेन्नई अपोलो अस्पताल ,आईसीयू में हैं। 11:30 पर उन्होंने अंतिम सांस ली और वहा के प्रेस नोट ने उनके निधन की खबर जारी करी।
जयललिता को दिल का दौरा पड़ने से आईसीयू में एडमिट करवाया गया था। वह 22 सितंबर से आपोलो अस्पताल में एडमिट थी।द्रविड़ आंदोलन मे शामिल होने के कारण उनको दफनाया गया।
*क्यों दफनाया गया उन्हें हिंदू होने पर भी-
द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता उससे जुड़े होने के कारण इन्हें दफनाया गया।
द्रविड़ पार्टी की नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी। सामान्य हिंदू परंपरा के ख़ि़लाफ़ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक उपाधि का भी इस्तेमाल नहीं करते है ।
फिर भी जयललिताजी के जीवनी और आस्था को देखते हुए एक ब्राम्हण पंडीत ने अंतीम विधी करके दफन किया।
इनके राजनीतिक गुरु एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफ़नाया गया था। उन्हें जलाने के बजाय दफनाने का कारण राजनीति भी बताई गई है।
जयललिता की पार्टी आईएडीएमके उनकी राजनीतिक विरासत को सहेजना चाहती है, जिस तरह से एमजीआर की है।
कथित तौर पर यह भी कहा गया कि इस मामले में जो रस्म अपनाई गई है वो श्री वैष्णव परंपरा से ताल्लुक़ रखती है।
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Biography of Jayalalitha in Hindi आपको कैसी लगी अपनी राय जरूर व्यक्त करें।