Biography of Dr. Jagdish Shukla

Biography of Jagdish Shukla :- स्याही की पर्याप्त गुंजाइश और कागजी संसाधनों की कोई कमी ना हो तो एक बार को इतिहास की इबारत लिखना आसान हो जाता है। लेकिन जब बूंद- बूंद स्याही और कतरा कतरा कागजों को समेटकर, तथा अक्षरों की मितव्ययता को ध्यान में रखते हुए जब किन्हीं विचारों को गढ़ा जाता है, तब वह शब्द हिस्सा बनते हैं एक स्वर्णिम इतिहास का। ऐसी ही स्वर्णिम इबारत के पुरोधा हैं भारतीय मूल के अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर जगदीश शुक्ल।
UP से US तक की यात्रा
उपरोक्त दर्शन से तालमेल बैठाने के लिए डॉ जगदीश शुक्ल (Dr. Jagdish shukla) जी प्रारंभिक जिंदगी को जानना बेहद जरूरी है। आपने भारत में रहते उत्तरप्रदेश के बलिया शहर का नाम जरूर सुना होगा। उत्तरप्रदेश का शहर बलिया भौगोलिक दृष्टि से बिहार में झांकता हुआ प्रतीत होता है। आजादी के पहले की बात की जाए तो उस वक्त तक यह शहर उतना जींवत और चर्चित नहीं था। इसी जिले के एक छोटे से गांव मिड्ढा में जगदीश शुक्ल जी का जन्म हुआ।
बरगद के नीचे प्रारंभिक शिक्षा
इस गांव की बात की जाए तो उस वह सिद्ध करता है कि महान लोग, महान जगहों से नहीं आते बल्कि महान जगहों का निर्माण करतें हैं। शुक्ल जी के गांव में बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य आदि का प्रबंध लगभग ना के बराबर था। ऐसें में गांव के भविष्य की शिक्षा का जिम्मा एक बूढ़ा बरगद का वृक्ष अपने कंधों पर संभाले हुए था। जगदीश जी की प्रारंभिक शिक्षा इसी बरगद के तले हुई।
कहते हैं ना असली दीपक वही हैं जो आंधियों में भी अपने लौ को बचाए रखें। इसी दिये की भांति शुक्ल जी ने श्योपुर से हाईस्कूल और सतीश चंद्र को इंटर पास करके पावन किया। इसके बाद बलिया में अलग से विज्ञान की पढाई करके शुक्ल जी ने बीएससी ऑनर्स के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। 18 वर्ष की आयु तक आपने भौतिकी, गणित और भू विज्ञान से स्नातक पास किया। सन 1964 में जियोफिजिक्स से परास्नातक की डिग्री प्राप्त की। (Biography of Jagdish Shukla)
MIT से डॉक्टर ऑफ साइंस
1971 तक आते आते शुक्ल जी (Jagdish Shukla) भू- भौतिकी से पीएचडी की उपाधि धारण कर चुके थे। लेकिन उनका मन सफलता के सफर को यहीं रोकने का कतई नहीं था। आगे के अध्ययन के लिए शुक्ल जी ने विलायत का रूख किया। 1976 तक अमेरिका के प्रख्यात मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मेटियोरोलॉजी में डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त की। (Biography of Jagdish Shukla)
जॉर्ज मैसन में अध्यापक
(Biography of Jagdish Shukla) अब विज्ञान का यह प्रखर बीज, अब ज्ञान के उन्नत फलों से लद चुका था। अब समय आ गया था कि अपनी प्रकाश से नव प्रदीपों को भी रोशन किया जाये। इसी अनुक्रम को जीवंत करने शुक्ल जी अमेरिका के जॉर्ज मैसन यूनिवर्सिटी मे अर्थ साइंस और ग्लोबल चेंज विषय के विशेष प्रध्यापक नियुक्त हुए। जहां आपके सानिध्य में वायुमंडल, समुद्रीय, और पृथ्वी विज्ञान और जलवायु गतिशीलता के अध्ययन के प्रसार हेतु पीएचडी कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इन्हीं के मार्गदर्शन में देश विदेश के दर्जनों नवोदित विद्वान विषय में पारंगत हुए।
मौसम विज्ञान से दुनिया का परिचय
1970 के दशक में उन दिनों Butterfly effect और Chaos effect पर शोधकर्ताओं का विशेष ध्यान था। परंतु मौसम संबंधी पूर्व आकलनों के संबंध में अभी एक बड़ा संशय व्याप्त था। शुक्ल जी ने शोध के माध्यम से पूर्वानुमेयता की नवीन अवधारणा का विकास किया, और जलवायु की भविष्यवाणी के लिए एक ठोस वैज्ञानिक आधार का विकास किया, जो वातावरण के निचले क्रम की स्थितियों की विविधताओं और वातावरण के साथ उनके प्रभाव को स्पष्ट किया।
सटीक और विश्वसनीय मौसमी पूर्वानुमानों से समाज को व्यापक वैज्ञानिक निहितार्थ और संभावित लाभों पर विशेष अध्ययन के लिए शुक्ल जी ने मैरीलैंड विश्वविद्यालय में अपने प्रोफेसर पद से इस्तीफा देने का एक असाधारण और जोखिम भरा कदम उठाया।
नौकरी छोड़ सेवा को चुना (Biography of Jagdish Shukla)
इसके बाद शुक्ल जी ने अपने गैरेज में एक गैर-लाभकारी संस्थान (NGO), IGES शुरू किया। शुक्ला और उनके वैज्ञानिक सहयोगियों के काम ने दुनिया भर के कई मौसम और जलवायु केंद्रों द्वारा नियमित और गतिशील मौसमी भविष्यवाणी के लिए प्रेरित किया। जिससे समाज को कृषि और आर्थिक गतिविधियों का प्रबंधन करने तथा प्राकृतिक आपदाओं से जीवन और संपत्ति को बचाने में मदद मिली है।
COLA की स्थापना
शुक्ल जी ने भूमि की सतह पर जलवायु परिवर्तनशीलता और पूर्वानुमेयता के महत्व को भी पहचाना और इसलिए महासागर भूमि वायुमंडल अध्ययन केंद्र (COLA) की स्थापना की। जलवायु गतिकी में वातावरण-भूमि के महत्व की मान्यता ने कई शोध कार्यक्रमों, क्षेत्र प्रयोगों और अंतरिक्ष-मिशनों को जन्म दिया है। शुक्ल जी द्वारा दिया गया एक अन्य महत्वपूर्ण योगदान 1980 के दशक की शुरुआत में वायुमंडलीय टिप्पणियों का पूर्वव्यापी विश्लेषण करने का उनका प्रस्ताव था।
COLA के वैज्ञानिकों ने अवधारणा के प्रमाण के रूप में पहला पायलट रीएनालिसिस उस समय किया जब समुदाय को रीनलिसिस की व्यवहार्यता के बारे में संदेह था। पिछले डेटा का पुनर्विश्लेषण और जलवायु निदान अध्ययन अब जलवायु अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण घटक है।
इसके अतिरिक्त शुक्ल जी ने मानसून अवसादों की गतिशीलता, जलवायु परिवर्तनशीलता, बर्फ, अल्बेडो, मिट्टी की नमी और सतह खुरदरापन का प्रभाव, मौसमी परिवर्तनशीलता पर अरब सागर, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर और उत्तरी प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के तापमान का प्रभाव, मानसून की अंतर-मौसमी और अंतर-वार्षिक परिवर्तनशीलता, मानसून, उष्णकटिबंधीय सूखा, और अल नीनो और दक्षिणी दोलन की भविष्यवाणी और भविष्यवाणी, अमेज़न वनों की कटाई,और बंजर भूमि आदि पर अध्ययन करके उन बिंदुओं पर प्रकाश डाला जो अब तक अंधेरे में थे। आपने लेखक या सह-लेखक के रूप में 250 से अधिक वैज्ञानिक पत्रों और पुस्तक अध्ययनों में योगदान दिया है।
विभिन्न संस्थाओं में योगदान
भारत में वैज्ञानिक प्रगति में शुक्ल जी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आमंत्रण पर, शुक्ल जी ने नई दिल्ली, भारत में राष्ट्रीय मध्यम दूरी के मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) की स्थापना में मदद की। स्वर्गीय डॉ. अब्दुस सलाम की मदद से, शुक्ल जी ने इटली के ट्राइस्टे में इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (ICTP) में एक मौसम और जलवायु अनुसंधान समूह बनाने का काम किया। जो विकासशील देशों के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। शुक्ल जी समेत COLA के वैज्ञानिकों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय और महासागरीय विज्ञान के एक नए विभाग की स्थापना में भी योगदान दिया। (Biography of Jagdish Shukla)
वहीं कोलंबिया विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट एंड सोसाइटी (IRI) और हवाई विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल पैसिफिक रिसर्च सेंटर (IPRC) की स्थापना के लिए उद्घाटन समितियों के सदस्य रहे। ICTP के निदेशक और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव के सहयोग से, शुक्ल जी ने दक्षिण एशियाई जलवायु आउटलुक फोरम की स्थापना में मदद की, जो दक्षिण एशियाई देशों को मानसून पूर्वानुमानों उपलब्ध करवाने के लिए सक्षम बनाता है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कहने पर, शुक्ला को भारत के मौसम और जलवायु उद्यम को आगे बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार पैनल के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया था। इसके अलावा भी शुक्ल जी भारत और विश्व भर की अनेकों मौसम और पर्यावरण संबंधी समितियों और कमेटियों के सदस्य रहे हैं।
पुरस्कार और सम्मान
1982 में शुक्ल जी को नासा (NASA) के द्वारा Exceptional Scientific Achievement Medal प्रदान किया गया। जो नासा का सर्वोच्च सम्मान है।
1996 में Indian Meteorological Society (AMS), तथा The Academy of Sciences of the Developing World (TWAS) के द्वारा शुक्ल जी को फैलोशिप प्रदान की गई।
2001 में, आपको भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी का वॉकर गोल्ड मेडल मिला, जो भारत में सर्वोच्च वैज्ञानिक पुरस्कार है।
2005 में अमेरिका के सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान Carl-Gustaf Rossby से नवाजा गया।
2007 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा 52वां IMO पुरस्कार
2008 में अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की फैलोशिप प्रदान की गई।
2012 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटील द्वारा द्वारा शुक्ल जी को पद्मश्री (Padma Shri) पुरस्कार दिया गया।
2016 में अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी के मानद सदस्य बनाए गए।
Dr. Jagdish Shukla
डॉ जगदीश शुक्ल जी अद्भुत व्यक्तित्व के धनी हैं । उपरोक्त तामम उपलब्धिओं के बाद भी वे अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, आज भी जब वे भारत आते हैं आने के बाद परिवार के सदस्यों तथा समाज में वैसा ही रहन सहन वैसी ही भोजपुरी भाषा का प्रयोग जैसे कि उनके ह्रदय में यहां की माटी की खुशबू हो।
आशा करता हु की आपको हमरी पोस्ट Biography of Jagdish Shukla जरूर पसंद आयी होगी |
इसे भी पढ़े – R N KAO BIOGRAPHY – INDIAN SPY