Introduction(अकबर की जीवनी) :-
Biography of Akbar in Hindi- सम्राट अकबर हमारे देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज एक सुप्रसिद्ध नाम है जिसे देश का हर बच्चाजानता है। लेकिन कुछ लोगों को अकबर के इतिहास के बारे में अधूरी जानकारी है इसलिए आज लेख हम इसी अधूरी जानकारी को पूरा करने के लिए लाए हैं। तो चलिए आज के लेख में हम अकबर के संपूर्ण इतिहास के बारे में जानते हैं।
कौन थे अकबर ?
अकबर भारत के इतिहास के महान शासकों में से एक हैं जिन्होंने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया।अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीनमुहम्मद अकबर था।उनकी सफलता और कुशल शासन के लिए भारत की जनता ने उन्हें अकबर नाम से सम्मानित किया। अरबी में अकबर शब्द का अर्थ है ‘महान’। इसके अलावा उन्हें अकबर-ऐ-आजम, शहंशाह अकबर व महाबली शहंशाह के नामों से भी जाना गया जो तैमूरी वंशावली के मुगल वंश के तीसरे शासक के रूप में जाने गए।
अकबर ने सम्पूर्ण दिल्ली सल्तनत पर शासन किया और वह पूरे भारतवर्ष पर कब्जा करने की इच्छा रखने वाले बहादुर शासक थे। उन्होंने अपनी बहादुरी के दम पर पूरे भारतवर्ष पर राज किया और उनकी इसी बहादुरी और महानता के चलते उन्हें ‘अकबर महान व जहांपना’ जैसी कई उपाधियों से नवाजा गया।
जन्म व परिवार :-
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 को राजपूत शासक राणाअमरसाल के महल उमर कोट, सिंध में पूर्णिमा के दिन हुआ थाइसी आधार पर उनका नाम‘बदरुद्दीन मुहम्मद अकबर’ रखा गया।उनके जन्म के विषय में कहा जाता है कि काबुल पर विजय हासिल करने के बाद अकबर के पिता ने उन्हें बुरी नजर से बचाने के लिए उनकी जन्म नाम बदल दिए थे।
उनके पिता का नाम नसीरुद्दीनबाबर व दादा का नाम जहीरूद्दीन मुहम्मद था उन्होंने मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी।उनके पिता हुमायूं ने उनका नाम जलालुद्दीन मोहम्मद रखा क्योंकि हुमायूं को यह नाम उनके स्वप्न में सुनाई दिया था।
सम्राट अकबर की मां का नाम हमीदाबानो बेगम साहिबा था जो शेख अली अकबर जाने की बेटी थी और वह इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखती थी।बाबर का वंश तैमूर व मंगोल नेता चंगेज खान सेथा इसका मतलब अकबर के रक्त में दो प्रसिद्ध जातियों यानी तुर्क तथा मंगोल दोनों का मिश्रण था।
आरम्भिक जीवन :-
अकबर के जन्म के कुछ वर्ष बाद ही उनके पिता ने उन्हें देश से बाहर निकाल दिया था जिसके बाद अकबर के चाचा जिनका नाम मिर्जा अस्करी था और वह अफगानिस्तान में रहते थे उन्होंने अपनी बीवी संग मिलकर अकबर को अपने पास रखा और वहीं उसका पालन पोषण किया इस प्रकार अकबर कई वर्ष अपने पिता से दूर रहें।
इस प्रकार उनका बचपन उनके चाचा के साथ ही बीता। शुरुआत में अकबर अपने चाचा के साथ अफगानिस्तान के कंधार में रहते थे फिर कुछ वर्ष पश्चात वह काबुल में अकेले रहने लगे। अकबर के एक बहादुर व शक्तिशाली शासक बनने के पीछे उनके चाचा का भी हाथ था।
अपने युवावस्था से ही अकबर को युद्ध कला में दिलचस्पी थी इसीलिए उन्होंने युद्ध कला सीखी परंतु उन्हें पढ़ने-लिखने में जरा भी रुचि नहीं थी इसके अलावा हर क्षेत्रों में माहिर होने के कारण वह बेहद प्रसिद्ध राजा बने।बचपन में अकबर की दोस्ती एक राम सिंह नाम के व्यक्ति से हुई जो पूरे जीवन तक चली।
अकबर का शासन काल व युद्धों की शुरुआत –
अकबर जब 13 वर्ष के थे तभी उनके पिता हुमायूं की मृत्यु हो गई और फिर 14 फरवरी, 1556 ईस्वी को अकबर राजगद्दी पर बैठे। इस प्रकार 13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने शासन की उपाधि हासिल कर ली। इस दौरान अकबर अपने पिता के मंत्री ‘बैरम खां’ के मार्गदर्शन के अधीन रहकर शासन कला सीख रहे थे।
सिंहासन सम्हालने के दौरान अकबर पंजाब गए और वहां के राजा शेर शाह सुरी के पुत्र सिकंदर शाह सूरी से युद्ध किया इस युद्ध में सिकंदर शाह का सब कुछ नष्ट हो गया और उसने अपना शासन छोड़ दिया। इस युद्ध के बाद से ही अकबर की प्रसिद्धिव चर्चाओं की शुरुआत हो गई।
जब अकबर सिकंदर शाह से युद्ध के लिए पंजाब आया था तब उसी दौरान इस मौके का फायदा उठाते हुए एक हिंदू शासक ‘हेमू’ द्वारा दिल्ली पर हमला किया गया और उसने दिल्ली पर कब्जा कर लिया इसके बाद अकबर ने अपनी सेना संगहेमु की सेना पर चढ़ाई बोल दी अन्त में‘पानीपत के तृतीय युद्ध’ में अकबर ने हेमु को भी पराजित कर दिया।
वैवाहिक जीवन –(Biography of Akbar in Hindi)
अकबर ने अपने जीवन में कुल 7 विवाह किए जिनसे उनको कई संताने हुईं। उन्होंने पहला विवाहसन् 1551 में अपने चाचा की पुत्री रुकैया बेगम से किया था। फिर दूसरा विवाह अकबर की मां से किया था। इसके बाद भी उन्होंने कई राजकुमारियों से विवाह किया जिनमें सुल्तान बेगम साहिबा, मरियम उज-जमानी बेगम साहिबा और राजपूत राजकुमारी जोधा बाई सहित दो अन्य शामिल थीं।
व्यक्तिगत जीवन –
अकबर एक ऐसे शासक थे जिन्होंने हिंदू व मुस्लिम दोनों धर्मों को बराबरी पर रखा।
उन्होंने इन दोनों धर्मों के बीच दूरियों व अलगाव को कम करने के उद्देश्य से “दीन-ए-इलाही” नामक एक ग्रंथ की भी रचना की।
अकबर ने अपने राज्य की जनताओं के लिए अपना राज दरबार हमेशा खुला रखा।
अकबर ने अपने पूरे जीवन काल में अपनी प्रजा के हित के लिए, उनकी आवश्यकताओं व समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अनेक कार्य किए इसीलिए आज भी उन्हें एक महान शासक के रूप में याद किया जाता है।
अकबर के शासन काल में सभी धर्मों को समानता व स्वतंत्रता प्राप्त थी।
अकबर का साम्राज्य विस्तार –
अकबर ऐसे राजा थे जिन्होंने पूरे भारत पर राज्य करने की चाह रखी और उन्होंने उस पर अमल भी किया।
- दिल्ली-आगरा विजय :-अकबर के सम्राट की राजगद्दी पर बैठने के बाद दिल्ली-आगरा पर कब्जा करना उनकी पहली विजय थी। यह उनके राज्य विस्तार का पहला युद्ध था जिसे ‘पानीपत का युद्ध’ के नाम से जाना गया। अकबर और हेमू के बीच में यह युद्ध हुआ था।
- गुजरात पर विजय :- 1574 ईस्वी में अकबर गुजरात की ओर बढ़ा किंतु अकबर व गुजरात के शासक के मध्य कोई युद्ध नहीं हुआ बल्कि उसने अकबर की अधीनता स्वीकार ली। अकबर के चले जाने के बाद मुरफ्फर शाहने अपने राज्य को पुनः स्वतंत्र घोषित कर दिया जिसके उपरांत अकबर ने चढ़ाई की और मुरफ्फर की हार हुई।
- बंगाल पर विजय :- गुजरात पर कब्जा करने के बाद एक बार पुनः अकबर बंगाल की और बढ़ा उस दौरान वहां का शासक सुलेमान था।सुलेमान ने डर से ही अकबर की अधीनता स्वीकार ली। 1574 में सुलेमान के पुत्रदाऊद खां ने स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी इस प्रकार अकबर ने फिर बंगाल पर आक्रमण किया और परिणाम में दाऊद खां को हार हाथ लगी।
- मालवा विजय :- 1560-1562 आदम खां और मीर मोहम्मद व अकबर के बीचयह युद्ध हुआ जिसमें अकबर की जीत हुई।
- राजपूताने के अन्य राज्यों पर विजय :- जोधपुर, जैसलमेर,कालिंजर, रणथंभौर,बीकाने आदि अकबर के अधीन हो गए।
- गौंडवाना पर विजय :-यह युद्ध वीर नारायण और अकबर के बीच हुआ जिसमें अकबर को जीत मिली।
- जौनपुर अजमेर ग्वालियर पर विजय :- 1556-1560
अकबर ने इन सब राज्यों पर कब्जा करके मुगल साम्राज्य में मिला दिया।
- चित्तौड़ (हल्दीघाटी का युद्ध) :-18जून, 1576
महाराणा प्रताप व अकबर के मध्य यह युद्ध हुआ जिसमें अकबर विजयी हुआ।
- काबुल विजय :- 1585 ईस्वी में अकबर काबुल पर अधिकार चाहता था उस दौरान काबुल का शासक अकबर का सौतेला भाई मिर्जा मुहम्मद हकीम था। दोनों में युद्ध हुआ जिसमें अकबर को जीत मिली। अंत में अकबर ने छोटे-बड़े सभी राज्यों को मुगल साम्राज्य में मिला दिया।
अकबर के “नवरत्न”(Biography of Akbar in Hindi)
अकबर के दरबार में नौ सलाहकार व्यक्ति ऐसे थे जो उन्हें हर कार्य में सलाह दिया करते थे। अकबर इन नौ खास दरबारियों को उनका ‘नवरत्न’ कहा गया। इन नवरत्नों के बारे में नीचे पढ़ें।
बीरबल– इन नौरत्नों की सूची में सबसे पहला नाम बीरबल का है क्योंकि वह अकबर के दरबार का सबसे अधिक बुद्धिमान व्यक्ति था इसीलिए वह अकबर का सबसे करीबी व खास सलाहकार था।
अब्दुल रहीम खान –अब्दुल रहीम अकबर के संरक्षक सिपाही बैरम खां के पुत्र व एक महान कवि थे।
मानसिंह– अकबर के सेनापति थे और जयपुर के कछवाहा वंश के राजकुमार भी थे।
तानसेन– अकबर के दरबार में एक कवि व गायक थे।
टोडरमल–टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे।
फौजी – फ्रांसीसी कवि थे और अकबर के पुत्र को गणित पढ़ाते थे।
अबुल फजल –अकबर के राज दरबार में लेखक थे।
रचनाएँ :- आइना-ए-अकबरी, अकबरामा।
फकीर अजुउद्दीन–फकीर अजुउद्दीनअकबर के सलाहकार थे।
मुल्लाह दो पिअजा- यह भी अकबर के सलाहकार थे।
संक्षिप्त विवरण –
- जन्म तिथि –15 अक्टूबर, 1542
- जन्म स्थान –अमरकोट, पाकिस्तान
- वंशज –तैमूर
- शासनकाल-27 जनवरी 1556 से 21 अक्टूबर 1605
- राज्याभिषेक – 14 फरवरी, 1556
- मृत्यु तिथि–27 अक्टूबर, 1605(फतेहपुर सीकरी, आगरा)
- समाधि स्थल – बिहिस्ताबादसिकंदरा, आगरा।
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