भारत और नदियों का पुरातन काल से गहन संबंध रहा है. भारत में नदियां भोगौलिक के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखतीं हैं.
एक ओर से हिमालय से घिरे होने से भारत की नदियों को बेहतर उद्गम स्थल मिलता है. जिसका परिणाम है कि भारत में अधिकतर बारहमासी नदियां प्रवाहित होती है. Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal

भारतीय भू- भाग पर मुख्यत: दो अपवाह तंत्रों के अंतर्गत नदियां विचरण करतीं है.
जिसमें पहला है हिमालयी अपवाह तंत्र और दूसरा प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र.
हिमालयी अपवाह तंत्र में वे नदियां आतीं हैं जिनका उद्गम स्थल सुदूर हिमालय की चोटियों में स्थित होता है.
जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियां प्रायद्वीप से निकलकर अपने मुहाने तक पहुंचती हैं. Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
हिमालयी अपवाह तंत्र के अंतर्गत तीन नदी तंत्र पाए जाते हैं। जिनमें सिंधु नदी तंत्र, गंगा नदी तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र शामिल है.
एक नदी को उसकी मुख्य नदी के नाम से पहचाना जाता है। जैसे सिंधु नदी तंत्र में सिंधु प्रमुख नदी है। इसके अंतर्गत आने वाली अन्य नदियां इसकी सहायक नदियों में शामिल हैं.
वहीं प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र की नदियों की बात की जाए तो इसमें नर्मदा, ताप्ती, महानदी, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी आदि शामिल हैं। सर्वप्रथम हम हिमालयी अपवाह तंत्र की नदियों को जानेंगे.
सिंधु नदी तंत्र
सिंधु नदी
सिन्धु नदी चीन स्थित तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट से चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है वहां से अपने उत्तर पश्चिम में बहती हुई, लद्दाख में दमचोक के निकट भारत में प्रवेश करती है.
जहां से भारत में बहती हुई गिलगित के रास्ते पाकिस्तान के दर्दिस्तान में प्रवेश करती है. जहां से पूर्व की ओर बहते हुए कराची के पास अरब सागर में गिरती है.
सिंधु नदी की कुल लंबाई 2,880 किमी. लम्बी है. भारत में सिंधु नदी की लम्बाई 1,114 किमी. है.
जिसमें से 709 किमी. के हिस्से को छोड़कर अन्य बहाव क्षेत्र पाक अधिकृत कश्मीर यानि POK में आता है। इसका जल संग्रहण क्षेत्र 11.65 लाख वर्ग किमी. है.
लद्दाख का लेह शहर इस नदी के दायीं ओर अवस्थित है.
तिब्बत से अरब सागर तक की यात्रा के दौरान सिंधु नदी में झेलम, रावी, चिनाब, व्यास, सतलज पांच मुख्य सहायक नदियां आकर मिलती है.
जो सिंधु नदी तंत्र का निर्माण करतीं हैं.
चिनाब नदी
चिनाब सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश के बारालाचा दर्रे के निकट होता है.
हिमाचल प्रदेश में चिनाब नदी का निर्माण, चंद्रा एवं भागा नामक दो नदियों से मिलकर होता है। इसीलिए चिनाब को हिमाचल प्रदेश में चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है.
यह नदी पाकिस्तान में जाकर सिंधु नदी में मिल जाती है। लेकिन इससे पहले इसमें झेलम, रावी, व्यास तथा सतलज नदी आकर मिलती हैं.
इसकी कुल लंबाई 1180 किमी है.
झेलम नदी
झेलम नदी का उद्गम जम्मू कश्मीर की पीरपंजाल पर्वत की श्रेणी में शेषनाग झील से होता है। यह नदी 170 किमी भारत पाकिस्तान की सीमा बनाती हुई.
यह बहती हुई वूलर झील में मिलती है, झंग के निकट चिनाब नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 720 किमी है। श्रीनगर इसी नदी के किनारे अवस्थित है. Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
रावी नदी
इस नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के समीप है। रावी पंजाब की इन पांच नदियों में सबसे छोटी नदी है.
व्यास नदी
इसका उद्गम स्थल भी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के निकट व्यासकुंड है। यह सतलज की सहायक नदी है.
यह कपूरथला के निकट ‘हरिके’ नामक स्थान पर सिन्धु से मिल जाती है। यह पुर्ण रूप से भारत में (460-470 किमी.) बहती है.Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
सतलज नदी
यह तिब्बत में मानसरोवर के निकट राकस ताल से निकलती है और भारत में शिपकीला दर्रे के पास से प्रवेश करती है.
यह नदी सिंधु नदी के समानांतर बहती है। हिमाचल प्रदेश और पंजाब होते हुए। पाकिस्तान के बहावलपुर में यह चिनाब नदी में मिलती है.
चिनाब में मिलने से पहले व्यास नदी इसमें मिल जाती है। भाखड़ा नांगल बांध इसी सतलज नदी पर बनाया गया है.
सिंधु जल समझौता
सिंधु समेत झेलम, रावी, व्यास, चिनाब, सतलज, रावी ये पांचों नदियां भारत और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवाहित होती है.
इनमें से ज्यादातर नदियां दोनों ही देशों में बहती है। ऐसे में कूटनीतिक दशाओं के चलते अपने हिस्से में जल के प्रवाह को बधित किया जा सकता था.
इसी के चलते वर्ष 1960 में भारत तथा पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि नामक समझौता हुआ.
जिसके अंतर्गत व्यास, रावी, सतलज यानि पूर्वी नदियों का जल भारत को तथा पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब के जल का ज्यादातर जल पाकिस्तान को मिलता है।Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
गंगा नदी तंत्र
गंगा नदी
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है.
वास्तव में गंगा का निर्माण देवप्रयाग में अलकनंदा एवं भागीरथी के संगम के बाद संयुक्त धारा गंगा नदी के नाम से जानी जाती है.
इसके बाद दोनों की संयुक्त धारा गंगा के नाम से बहती है। इसने मध्य हिमालय व लघु हिमालय को काटकर संकरे महाखड्ड (गार्ज) का निर्माण किया। Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
यह उत्तराखंड में हरिद्वार के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। गंगा नदी की सर्वाधिक लम्बाई उत्तर प्रदेश में है.
इलाहाबाद या प्रयागराज के निकट गंगा से यमुना मिलती है जिसे संगम या प्रयाग कहा जाता है.
प. बंगाल में गंगा दो धाराओं में बंट जाती है एक धारा हुगली नदी के रूप में अलग होती है, इसी हुगली नदी के किनारे कोलकाता नगर बसा है.
जबकि मुख्यधारा भागीरथी के रूप में आगे बढ़ती है।Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में जमुना के नाम से भागीरथी(गंगा) में मिलती है। इनकी संयुक्त धारा को पद्मा कहा जाता है।
पद्मा नदी में बांग्लादेश में मेघना नदी मिलती है। Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
बाद में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र की संयुक्त धारा मेघना से मिलने के बाद मेघना के नाम से आगे बढ़ती है और छोटी-छोटी धाराओं में बंटने के बाद बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा माना जाता है। जिसका विस्तार हुगली और मेघना नदियों के बीच है.
सुन्दरी वृक्ष की अधिकता के कारण इसे ‘सुन्दर वन डेल्टा’ कहा जाता है।
गंगा की सहायक नदियों को दो भागों में बांटा जाता है। जिसमें बांयी ओर मिलने वाली सहायक नदियों में गोमती, घाघरा, गण्डक, बूढ़ीगंगा, कोशी, महानंदा, ब्रह्मपुत्र.
जबकि दांयी ओर मिलने वाली नदियों यमुना, टोंस, सोन आदि शामिल हैं। Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
यमुना नदी
यमुना गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह उत्तराखंड स्थित बंदरपूंछ चोटी के यमुनोत्री हिमनद से निकलती है.
यह गंगा की सबसे लम्बी(1,370 किमी.) सहायक नदी है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हिंडन, ऋषि गंगा, चंबल, बेतवा, केन एवं सिंध है। Bharat ki Pramukh Nadiya aur unke Udgam Sthal
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट आंग्सी हिमनद से निकलती है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी सांग्पो नाम से जानी जाती है.
यह नमचा बरबा पर्वत शिखर के निकट अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है तब इसका नाम दिहांग होता है.
इसके बाद दिहांग 2 सहायक नदी, दिबांग और लोहित के मिलने के बाद यह ब्रह्मपुत्र नाम से जानी जाती है। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र को जमुना नाम से जाना जाता है.
तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र से बांग्लादेश में मिलती है। इसके बाद ब्रह्मपुत्र पद्मा(गंगा) में मिल जाती है.
ब्रह्मपुत्र नदी सहायक नदियां इस प्रकार है। दांयी ओर से ब्रह्मपुत्र नदी में मिलने वाली – सुबनसिरी, कामेंग, मानस, संकोज, तीस्ता.
बांयी ओर से मिलने वाली नदियां लोहित, दिबांग, धनश्री, कालांग आदि शामिल हैं.
प्रायद्वीपीय की प्रमुख नदियां
गोदावरी नदी
यह सबसे बडी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है जिसके कारण इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है .
यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में निकलती है और बंगाल की खाड़ी में अपने जल का निर्वहन करती है.
इसकी सहायक नदियां महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से निकलती हैं। जिनमें पेनगंगा, इंद्रावती, प्रन्हिता और मंजरा शामिल हैं.
कृष्णा नदी
यह दूसरी सबसे बडी पूवी प्रायद्वीपीय नदी है जो सहयाद्रि में महाबलेश्वर के निकट से निकल कर बहती है। इसकी कुल लंबाई 1,401 किलोमीटर है.
कोयना, तुंगभद्रा और भीम इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है.
महानदी
यह छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में सिहावा के पास निकलती है और बंगाल की खाड़ी में अपना मुहाना बनाती है। इस नदी की अधिकतम लंबाई उड़ीसा में पाई जाती है.
यह 851 किमी लंबी है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 1.42 लाख वर्ग किमी तक फैलता है। इस नदी का 53 प्रतिशत जल निकासी घाट मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में निहित है और 47 प्रतिशत उड़ीसा में निहित है.
कावेरी नदी
यह कर्नाटक में कोगदु जिले के ब्रह्मगिरि पहाड़ियो से निकलती है। इसकी लंबाई 800 किमी है और यह 81,155 वर्ग किमी के क्षेत्र में बहती है .
इस नदी में अन्य प्रायद्वीपीय नदियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम अस्थिरता के साथ साल भर पानी रहता है.
क्यूंकि ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में पूर्वोत्तर मानसून के मौसम (सर्दियों) के दौरान और निचले भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (गर्मी) के दौरान बारिश होती है.
इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदियां काबिनी, भवानी और अमरावती हैं.
नर्मदा नदी
यह अमरकंटक पठार के पश्चिमी दिशा में लगभग 1,057 मीटर की ऊंचाई पर दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विंध्य श्रंखला के बीच दरार घाटी में से निकलती है.
यह संगमरमर की चट्टानों में एक सुरम्य कण्ठ बनाती है और जबलपुर के पास धुंआधार झरने के रूप में बहती है .
लगभग 1,312 किलोमीटर की दूरी बहने के बाद ये एक व्यापक 27 किलोमीटर लम्बे नदीमुख के गठन करके भरूच के दक्षिण में अरब सागर में मिलती है .
इसका जलग्रहण क्षेत्र 98,796 वर्ग किलोमीटर है। सरदार सरोवर परियोजना इस नदी पर बनाया गया है.
तापी नदी
पश्चिम की ओर बहने वाली यह अन्य महत्वपूर्ण नदी है । यह मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई से निकलती है.
यह 724 किमी लंबी है और 65,145 वर्ग किमी के क्षेत्र में बहती है । इसके लगभग 79 प्रतिशत घाट महाराष्ट्र में , मध्य प्रदेश में 15 फीसदी और गुजरात में शेष 6 प्रतिशत निहित है.
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