Akshay Urja Diwas 2021(अक्षय ऊर्जा दिवस 2021)
अक्षय उर्जा को हम नवीकारणीये उर्जा भी कहते है, ये वर्तमान के एक महत्पूर्ण चर्चाओ में से एक है. जिसके बारे में पूरा ग्लोबल वर्ल्ड आज बात कर रहा है Akshay Urja Diwas 2021. ये एक ऐसी उर्जा है, जो अपने प्रकतिक स्रोतो पर निर्भर करती है।
प्रकतिक होने के कारण इनकी हमारे अट्मॉस्फियर में कमी नही है, सीधे शब्दो में ये हमारे लिए नेचर का गिफ्ट है. वायु उर्जा, सौर्य उर्जा, पवन उर्जा, बायोमास उर्जा है. इस प्रकार की जितनी भी उर्जा हमारे सामने है, वो अक्षय उर्जा है.
Akshay Urja Diwas 2021 कब मनाया जायेगा
भारत में अक्षय उर्जा दिवस Akshay Urja Diwas 2021(अक्षय ऊर्जा दिवस 2021) 20 अगस्त को मनाया जायेगा और ये हर साल इसी दिन मनाया जाता है और ये 2014 से मनाया जा रहा है. इसका पहला समारोह नई दिल्ली में मनाया गया था।
इसके बाद हर साल इसे देश के अलग अलग इलाक़ो में मनाया जाने लगा. जिस तरह से उर्जा आज की ज़रूरत बन चुकी है. हमारा पूरा जीवन इस पर निभर करने लगा है, अक्षय उर्जा और भी ज़रूरी होती जा रही है और लोगो को इसके प्रति जागरूक करने की ज़रूरत है
अक्षय उर्जा को हम नवीकारणीये उर्जा भी कहते है, ये वर्तमान के एक महत्पूर्ण चर्चाओ में से एक है. जिसके बारे में पूरा ग्लोबल वर्ल्ड आज बात कर रहा है Akshay Urja Diwas 2021.
उर्जा क्या है?( What is Akshay Urja)
उर्जा को हम ऐसे भी समझा सकते है, उर्जा को ना हम पैदा कर सकते है ना ख़त्म कर सकते है. उर्जा को सिर्फ़ एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है. उसी प्रकार वायु उर्जा, सौर उर्जा, पवन उर्जा, बायोमास उर्जा इनको भी हम बना नही सकते सिर्फ़ एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकते है. इन्हीं चीजों को Akshay Urja Diwas 2021 में भी बताया जायेगा।
सौर उर्जा क्या है ?(What is solar energy)
सौर उर्जा को हम अक्षय उर्जा का एक बहुत बड़ा घटक मानते है. सौर्य उर्जा में हम सूरज की रोशनी को बिजली में बदल कर उसका इस्तेमाल करते है. उसी को हम सौर्य उर्जा कहते है.
पवन उर्जा क्या है?(what is wind Energy)
पवन उर्जा में हम हवा में उपस्थित एनर्जी को इन्वॉल्व कर के उसे यंत्रो के द्वारा उसको बिजली में बदल कर के उसका इस्तेमाल करते है. इस प्रकार हम हमारे आस पास स्थित उर्जा को बदल के उनका इस्तेमाल कर रहे है. इस तरह के संसाधन कभी ख़त्म नही हो सकते है, इस तरह की उर्जा को हम अक्षय या नवीकरणीये उर्जा कहते है.
अक्षय उर्जा का हमारे देश के बढ़ने में योगदान
सबसे पहले इस तरह की उर्जा को इस्तेमाल कर के देश को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है, वो देश अपनी बेसिक ज़रूरतो को पहले पूरा करे, वो अपने देश में रहने वालो लोगों की दैनिक दिनचर्या की सही से पूर्ति करें, अगर बेहतर सुविधा नही होगी, एजुकेशन इंफ़्रा स्ट्रक्चर नही होगा, तो आप अपने नागरिकों को इतना बेहतर कैसे बना सकते है, वो इस तरह की उर्जा के स्रोतो का पता करे और उनको इस्तेमाल करने के काबिल बन सके.
लिमिटलेस है अक्षय उर्जा
इस उर्जा को यही बात ख़ास बनती है, अगर आप इसको जानते है, इस उर्जा को इस्तेमाल करने का तरीका आपने खोज लिया है, तो ये लिमिटलेस होती है. ऐसे कई देश है जहा उर्जा की किल्लत है. संसाधन में इतने धनी नही है. चाहे आप अफ्रीकन देशो या कुछ एशियन देशों का भी उदहारण ले सकते है. तो ऐसे देशों का भला करने के लिए या हम उन लोगों तक एनर्जी पहुचने के लिए भी उर्जा का इस्तेमाल कर सकते है.
अक्षय उर्जा और परंपरागत स्रोतों के बीच का अंतर और प्रभाव
- परंपरागत उर्जा के स्रोतों का जैसे कोयला, गैस या पेट्रोल का हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है और ये संसाधन सिमित भी है, लेकिन अगर बात अक्षय उर्जा की करें तो ये किसी भी तरह की हानि हमारे पर्यावरण को नहीं पहुचती है.
- अक्षय उर्जा हमारे लिए काफ़ी उपयोगी है और ग्लोबल वॉरमिंग या ग्लोबल गर्मी पर भी इसका असर ना के बराबर है, पर परंपरागत स्रोतो के साथ ऐसा नही है, वो हमारे पर्यावरण को काफ़ी नुकसान पहुचा रहे है, जो हमारी पृथ्वी के नाश का कारण बन रहा है.
- तो अगर हम अक्षय उर्जा का इस्तेमाल करें, जहा हम उन उर्जा का इस्तेमाल कर रहे है. जो हमे नुकसान पहुचा रही है, तो मुस्किले हल हो सकती है और हम पर्यावरण को बचा सकते है, इसका हम समान वितरण भी कर सकते है, इसके लिए हमे किसी भी तरह की मुस्किल नही होगी क्यूकी ये एनर्जी लिमिटलेस है.
- 20 वीं सदी में हम जिस तरह से हम परंपरागत उर्जा पर अपना ध्यान दे रहे थे, 21 वीं सदी में हम रिसर्च से निकल कर अक्षय उर्जा का निर्माण करने की तरफ देखेंगे. क्यूकी ये ही हमारा भविष्य होने वाला है. जो हमे तबाही से बचा सके . हमारे आस पास हम सोलर प्लांट और पवन चक्कियो को देख सकते है, जिसका उपयोग समाज में अथवा सरकार द्वारा बढ़ता जा रहा है.
- आने वाले वक़्त में जिन पारंपरिक स्रोतो को बनाने में हमारी पृथ्वी को सालों लगे थे, हम उसे जितनी जल्दी उपयोग कर रहे है. वो दिन दूर नही है जब हम उन्हे ख़त्म कर देंगे, इसलिए आने वाली शताब्दी अब निश्चित तौर पे हम अक्षय उर्जा की तरफ ही अपना रुख़ करने वाले है.
भारत में अक्षय उर्जा (Akshay Urja in India)
- भारत एक अकेला ऐसा देश बोला जाता है. जहा अलग से एक मंत्रालय अक्षय उर्जा को बढ़ावा देने और बढ़ाये जाने का कार्य करना है.
- इसका लक्ष्य ये भी है की आने वाले वक़्त में 2022 तक 175 गीगावॉट उर्जा पैदा करना है.
- दुनिया में ऐसे कई देश है, जहा उर्जा नही है. तो ऐसे में हम उर्जा बना कर उनको पहुचते है, तो हमे बहुत फ़ायदा हो सकता है.
- साल 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय उर्जा का मार्क हासिल करने के खातिर नवीन और अक्षय उर्जा मंत्रालय ने हाइब्रिड् विद्युत परियोजना, बायोमास परियोजना, सौर उर्जा पार्क का निर्माण अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना शुरू करना है.
- बायोगैस आधरित कुछ परियोजना को बढ़ावा देना है.
- सरकार ने ये लक्ष्य बना के इन परियोजना पर काम करना और इनको बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.
- इन सब परियोजनाओ में सौर मिशन सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है. जिसका काम बिजली उत्पादन के लिए सौर उर्जा को बढ़ावा देना है.
- इसका उद्धेश्य सौर उर्जा को उत्पादन लागत को कोयला गैस की उत्पादन लागत के के बराबर बनाना और नये संयंत्रो का निर्माण करना है.
- सौर उर्जा बनाने के बाद हम बहुत तरह के उर्जा संबंधी समस्याओ का समाधान पा सकेगे.
हाल ही में अक्षय उर्जा की ख़बरे Akshay Urja Diwas 2021(अक्षय ऊर्जा दिवस 2021)
- ग्लोबल रिपोर्ट के अन्तर्गत कहा गया है ( रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी नेटवर्क 2021 ) के अनुसार ये अनुमान है की भारत उर्जा बनाने में 5 वी पोज़िशन पे रहा.
- जिस तरह से हम इसको सीरीयस ले रहे है, काम रहे है. तो वो दिन दूर नही है, जब हम पूरी दुनिया में उर्जा बनाने और उसको इस्तेमाल करने में सबको पिछड़ देंगे.
- भारत ने इंटरनॅशनल सोलर ग्रूप कर गठन किया है, फ्रॅन्स के साथ मिल के उसको अच्छा रेस्पॉन्स मिला है, दुनिया भर से इस तरह मिल के काम करने से और दूसरे देशो की हेल्प से हम एक अच्छा मुकाम सोलर एनर्जी में हासिल कर पाएगे.
- विश्व स्थिति रिपोर्ट 2018 के अनुसार जल विद्युत उर्जा में 5 वी स्थान पे थे, 2017-2020 उर्जा उत्पादन 91.15 बिलियन यूनिट रहा है, जसिमें सभी प्रकार के उर्जा स्रोत शामिल है.
- ये परियोजनाए ज़्यादा से ज़्यादा निजि क्षेत्रो में लागू कर के उनको सक्षम बनाने का प्रयास सरकार कर रही है. सरकार द्वारा सब्सिडी का भी प्रयास किया जा रहा है, जिससे अक्षय उर्जा को बढ़ावा मिल सके और हम अपने देश को इस काबिल बना सके की आने वाले वक़्त में जब पारंपरिक स्रोत का दहेन हो तो हमारे पास और भी स्रोत हो जिससे हम उर्जा की पूर्ति कर सके किसी भी तरह का संकट हमे ना झेलना पड़े.
- एक आकड़े के अनुसार गैर परंपरागत उर्जा की FDI में हमारा देश पिछले 5 साल 776 से 3217 मिलियन डॉलर की व्राद्धि हुई है Akshay urja Diwas 2021(अक्षय ऊर्जा दिवस 2021 ) में।
- ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार ये कहा गया है, इस वक़्त हमारा देश इस तरह की उर्जा बना कर खुद को तेज़ी से बदल रहा है.
- खुद को उस काबिल बना रहा है, जहा आने वाले ख़तरो का सामना और पर्यावरण में अपनी भागीदारी को वो सही से निभा सके.
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Nice information