भारतीय प्रधान मंत्री के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को कौन नहीं जानता।
एक अकेला सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र जैसे वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अजीत डोभाल को ही सर्जिकल स्ट्राइक 2016 का मास्टरमाइंड कहा जाता है। फ़रवरी 2019 में सीमा-पार पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में किये गए हवाई हमले भी अजीत डोभाल की ही निगरानी में किये गए थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अजीत डोभाल जी का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित गिरि बनेल्स्युन गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जी. एन. डोभाल है जो भारतीय सेना में एक अधिकारी थे।
अजीत डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) में हुई।
आगरा विश्वविद्यालय से 1967 में उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। अजीत डोभाल को आगरा विश्वविद्यालय ने दिसंबर 2017 में विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
मई 2018 में, डोभाल को कुमाऊं विश्वविद्यालय से साहित्य में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई। नवंबर 2018 में, उन्होंने एमिटी विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की।
अजीत डोभाल जी ने 1968 में केरल कैडर के एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपना पुलिस करियर शुरू किया।
नियुक्ति के चार साल बाद ही 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए। डोभाल जी के करियर का अधिकतर समय इंटेलीजेंस ब्यूरो में ही व्यतीत हुआ था और वे 2005 में आईबी चीफ (चीफ ऑफ़ इंटेलिजेंस ब्यूरो) के पद से रिटायर हुए।
अजीत डोभाल का आईपीएस करियर
1968 में, अजीत डोभाल भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए और पंजाब और मिजोरम में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल थे। उस समय उन्हें ‘इंडियन जेम्स बॉन्ड’ नाम दिया गया था।
1972 में 2 जनवरी से 9 जनवरी तक, डोभाल ने थालास्सेरी, कन्नूर में भी कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्कालीन गृह मंत्री के करुणाकरण द्वारा विशेष नियुक्ति की गयी।
28 दिसंबर, 1971 को थालास्सेरी, कन्नूर में एक सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था जहां आरएसएस पर मुसलमानों और मस्जिदों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया।
अजीत डोभाल जी ने 1999 में कंधार वार्ता में शामिल उन तीन वार्ताकारों में मुख्य थे जिन्होंने IC-814 से यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत की थी।
उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के कम से कम 15 अपहरणों को सफलतापूर्वक समाप्त किया।
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अजीत डोभाल का इंटेलिजेंस करियर
मिजोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट विद्रोह के दौरान अजीत डोभाल ने लालडेंगा के सात कमांडरों में से छह पर जीत हासिल की।
अजीत जी अराकान-बर्मा और चीनी क्षेत्र के अंदर कई वर्षों तक भूमिगत रह कर ख़ुफ़िया जानकारी एकत्र की। यहीं से वे सिक्किम चले गए।
सिक्किम के भारत में विलय होने के समय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने पाकिस्तान में सात साल तक खुफिया जासूस (अंडरकवर एजेंट) के रूप में काम किया।
उन्होंने रिटायर होने के बाद एक समारोह बताया था कि जासूसी के दौरान उन्हें लगभग पहचान लिया गया था। किसी तरह वह बचकर निकले। उन्हें ही सर्जिकल स्ट्राइक का मास्टर माइंड माना जाता है।
अजीत डोभाल की प्रतिनियुक्ति
अजीत डोभाल जी जनवरी 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने दिसंबर 2009 में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की और इसके संस्थापक निदेशक बने।
अजीत जी ने प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए सक्रिय रूप से संपादकीय टुकड़े लिखे हैं।
भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा, इसकी चुनौतियों और विदेश नीतियों पर भारत और विदेशों में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों आदि में व्याख्यान दिए हैं।
- 2009 और 2011 में, अजीत डोभाल जी ने ‘इंडियन ब्लैक मनी अब्रॉड इन सीक्रेट बैंक्स एंड टैक्स हैवन्स’ नमक विषय पर दो रिपोर्टें लिखी हैं।
30 मई 2014 को अजीत डोभाल जी को भारतीय प्रधानमंत्री का पांचवां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है।
3 जून, 2019 को उन्हें दुबारा अगले 5 वर्षों के लिए इंडियन प्राइम मिनिस्टर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में नियुक्त किया गया।
अजीत डोभाल को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, 30 मई, 2014 को भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA )के रूप में नियुक्त किया गया था।
नियुक्ति के एक महीने बाद ही, जुलाई 2014 में, उन्होंने तिकरित, इराक के एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।
25 जून 2014 को, अजीत डोभाल ने एक शीर्ष गुप्त मिशन पर इराक के लिए रवाना हुए और इराक सरकार के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की।
अजीत डोभाल जी की बैठक के बाद, 5 जुलाई को आईएसआईएल (ISIL) के आतंकवादियों ने सभी भारतीय नर्सों को एरबिल शहर में कुर्द अधिकारियों को सौंप दिया।
एयर इंडिया का एक विशेष विमान इन नर्सों को लेकर भारत के कोच्चि वापस पहुंचा।
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, अजीत डोभाल ने म्यांमार से संचालित नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-K) के खिलाफ सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ सीमा पार सैन्य अभियान की योजना बनाई।
अभियान सफल रहा और भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन में 20-38 अलगाववादी मारे गए। हालांकि, म्यांमार सरकार ने ऐसे दावों का खंडन किया और कहा कि नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के खिलाफ की गयी कार्रवाई पूरी तरह से सीमा के भारतीय हिस्से में हुई। इसके अलावा नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड ने भी भारत के दावे का खंडन किया।
वह पाकिस्तान के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में सैद्धांतिक बदलाव के लिए लोकप्रिय हैं। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को रक्षात्मक से रक्षात्मक आक्रामक रणनीति में
बदल दिया। रिपोर्टों के अनुसार, 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक भी उनके ही दिमाग की उपज थी ।
उन्होंने तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन में भारतीय राजदूत विजय केशव गोखले के साथ मिलकर अपने राजनयिक संबंधों के माध्यम से डोकलाम गतिरोध को भी हल किया है।
अक्टूबर 2018 में, अजीत डोभाल को रणनीतिक नीति समूह ( यसपीजी ) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
27 फरवरी, 2019 को, पाकिस्तान में भारतीय वायु सेना (IAF) के हवाई हमले और बाद में भारत में पाकिस्तान एयर फ़ोर्स के जवाबी हवाई हमले और पाकिस्तान की सेना द्वारा भारतीय पायलट अबिनंदन वर्थमान को पकड़े जाने के बाद, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। अबिनंदन वर्थमान को पाकिस्तानी सेना ने शांति के संकेत के रूप में और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए रिहा किया था। जब भारतीय पायलट पाकिस्तान की हिरासत में था, तब अजीत डोभाल जी ने भारतीय पायलट अबिनंदन वर्थमान रिहा करवाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री के साथ बात की थी।
3 जून, 2019 को, अजीत डोभाल जी को दुबारा अगले 5 वर्षों के लिए भारतीय प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हीं की अगुवाई में म्यांमार की सेना ने 15 मई, 2020 को 22 विद्रोहियों के एक समूह को एक विशेष विमान में भरकर भारत सरकार को सौंप दिया, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय थे।
अजीत डोभाल जी ने कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दिया है जिसे सुनकर जेम्स बांड के कारनामे भी धूमिल पड़ जाते हैं। अजीत डोभाल से भारत के बड़े-बड़े मंत्री भी खौफ खाते हैं।
भारतीय सेना द्वारा 2016 में पाकिस्तान और 2019 में म्यांमार सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए अजीत डोभाल ने भारत के शत्रुओं को सीधा और साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत आक्रामक-रक्षात्मक रवैया अख्तियार कर चुका है।Ajit Doval Biography In Hindi
अजित डोभाल की सैलरी कितनी होगी ?
अजित डोभाल की मासिक सैलरी लगभग 162500 रूपये होगी।
अजीत डोभाल की उम्र क्या है ?
अजित डोभाल की उम्र 76 वर्ष (20 जनवरी 1945) है।