Abraham Lincon Biography In Hindi-खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है!अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की जब बात आएगी तो उक्त पंक्तियां सदैव सबको ही याद आएंगी।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आपने किसी एक इंसान की जान बचाई है तो आप भगवान का रूप है या इससे कम तो नहीं है तो अब्राहम लिंकन ने तो पूरी कायनात बचा ली तो इनके बारे में क्या कहेंगे। इतिहास लिखा है और इतिहास रचा है।
अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय-(Abraham Lincon Biography In Hindi)
अब्राहम लिंकन का जन्म केंटुकी (अमेरिका) के हार्डिन काउंटी में एक लोग केबिन में हुआ थाउनके पिता का नाम थॉमस लिंकन था। वहां एक मजदूर थे तथा वहां मार्ग प्रशस्त करने के कारण समाज में सम्मानित भी किए गए थे।
अब्राहम लिंकन अपने परिवार में बड़े बेटे थे। उनके दो छोटे भाई बहन थे, परंतु उनकी बचपन में ही मृत्यु हो गई और अब्राहम लिंकन जब मात्र सात साल के थे तो उनकी माता नेसीं की भी मृत्यु हो गई। उस समय अब्राहम लिंकन पूरी तरह से बिखर गए थे।
एक गरीब परिवार में होते हुए अब्राहम लिंकन बचपन से ही इतना कष्टमय जीवन व्यतीत किया है परंतु जब वहां छोटे ही थे, जमीनी विवाद के कारण केंटुकी से इंडिआना अपना घर बदलना पड़ा जिनकी वजह से उनको अपने जीवन में काफी कष्ट उठाना पड़ा।
सारह थॉमस जॉनसन नामक एक महिला से शादी करी थी और यह दोनों ही इतने पढ़े लिखे नहीं थे परंतु सारह हमेशा अब्राहम को पढ़ने के लिए और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रही। इसकी दौरान उनके चार बेटे हुए थे।इनका परिवारिक जीवन होने के बाद भी इनकी मुश्किल कुछ कम नहीं हुई और दो लड़कों की बचपन में ही मृत्यु हो गई परंतु एक लड़का 18 साल का होने के बाद उसका देहांत हो गया ।
लिंकन की शैक्षणिक स्थिति-(Abraham lincon biography in hindi)
अब्राहम लिंकन के बारे में कहा जाता है कि वहां गरीब परिवार से होने के कारण उनकी पढ़ाई लिखाई विद्यालय में नहीं हो पाई थी परंतु उनके पिता मजदूरी करते थे और वह चाहते थे कि उनका बेटा भी उनके साथ मजदूरी करें तथा उनका काम में हाथ बटाए। अब्राहम लिंकन की पढ़ने की वजह एक और यह भी थी कि जब वहा इन्डियाना रहने चले गए थे और जहां पर किताबें आसानी से नहीं मिलती थी और उनको किताबें लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था,इस कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई घर पर ही पूरी थी।
उन्होंने अपना जीवन छोटी मोटी नौकरियां करके जैसे चौकीदारी, दुकानदारी और जनरल स्टोर पर काम करके तथा साथ-साथ सल्फ स्टडी भी करते रहे।तथा इस बीच में इतने चुनाव लड़े, कई पार्टियों के सदस्य बने,तब तभी उन्होंने गरीबों को न्याय दिलाने का काम किया।
इसी बीच उनका मन वकालत करने की तरफ मोडा और उन्होंने सन् 1844 में,और अपने एक दोस्त के साथ मिलकर वह वकालत का प्रशिक्षण करने लगे हैं। कुछ समय बाद वह वकील तो बन गए, परंतु इससे उनसे कोई आर्थिक लाभ ज्यादा नहीं हुआ।abraham lincon biography in hindi
क्योंकि वकालत वह अपनी मानसिक शांति और अपनी सतुष्टि के लिये कर रहे थे। पैसे कमाने के लिए नहीं और इसी कारण उन्होंने अपने किसी भी क्लाइंट से अधिक पैसे नहीं लिए। एक बार उनके क्लाइंट ने उनको $25 दिए थे। उन्हें $10 यह कह कर ही वापस कर दिए थे कि उनके केस में $15 की ही आवश्यकता थी।
लिंकन अपनी परेशानियों और अपनी असफलताओं से जितना कुछ भी अपनी जिंदगी में सीखते गए और कामयाबी हासिल करते गए, परंतु वह कभी उस स्ट्रगल को और उन कठिनाइयों को भूले नहीं थे, इसलिए वह बहुत उदार और ईमानदार व्यक्ति थे। इसी कारण उनको अमेरिका सन् 1860 लिये लेकर 1865 तक का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
और इसी के साथ 14 अप्रैल 1965 में ही अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन के फोर्ड थियटर में जॉन विल्केस बूथ ने उनको पीछे से गोली मार दी थी जब वह थिएटर में एक नाटक देख रहे थे और गोली पढ़ते ही चंदलम्हों में उनकी मृत्यु हो गई।
अब्राहम लिंकन की राजनीति-
For the people of the people by the people अब्राहम लिंकन के द्वारा दी गई है उक्त पंक्तियां ना सिर्फ अमेरिका,भारत में, बल्कि यह पूरे विश्व के लोकतंत्र में प्रसिद्ध विचारधारा है।
कई बार राजनीति में असफल हो जाने के बाद अब्राहम लिंकन ने फिर से राजनीति में कदम रखा था।
अब्राहम लिंकन बहुत से चुनाव लड़ने खड़े हुए थे, परंतु उन्होंने जिस पार्टी में पहले कदम रखा था, वहां पार्टी ही कुछ समय बाद खत्म हो गई और फिर 1956 में गणतंत्रवाद के सदस्य बने थे इस समय ही उन्होंने उपराष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा परंतु उनको बहुत कम वोट मिलने से वह हार गए हैं।
उस समय अमेरिका में गुलामी के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विवाद चल रहा था। राष्ट्र में हो रही हिंसा और डरेड स्कॉट के विवाद में अब्राहम लिंकन ने मुख्य भूमिका निभाई,उस समय है अब्राहम लिंकन को लोग काफी पसंद करने लगे थे क्योंकि उस समय अमेरिका में चल रही गुलामी के ऊपर काबू पाने का पूरा प्रयास किया और वह सफल भी हुए हैं। उत्तरी, अमेरिका और दक्षिणी के लोगआपस में विवादित हो गए थे.abraham lincon biography in hindi
इस विवाद को निपटाने के लिए अब्राहम लिंकन ने कहा कि-राष्ट्र का बंटवारा नहीं किया जा सकता है। किसी राष्ट्र का एक वर्ग दूसरे वर्ग पर गुलामी नहीं कर सकता है। सब एकजुट होकर रहेंगे और अब्राहम लिंकन के इसी कार्य को और ऐसी विचारधारा को देखते हुए उनका नाम अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए चुना गया।
अमेरिका के राष्ट्रपति-
1 फरवरी, 1861 में, जब अमेरिका में गृहयुद्ध की शुरुआत हो गई थी तब यहां फ्लोरिडा, अल्बामा, लौइसिआन जेओर्गिया, मिसिसिप्पी और टेक्सास अलग हो गए। इसी दौर में जब 1860 में अब्राहम लिंकन को अमेरिका का राष्ट्रपति बनाया गया तो अमेरिका के दक्षिणी राज्यों के गोरे लोग अमेरिका के उत्तरी राज्यो के लोगो को गुलाम बनाना चाहते थे।
इस दौर में अब्राहम लिंकन का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना मानो एक और चुनौती भरा रहा लेकिन लिंकन ने इस युद्ध में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।इस युद्ध के दौरान उनको बहुत सारी परेशानियां उठानी पड़ी थी। गृह युद्ध मानो जैसे उनके संविधान, राजनैतिक और नैतिकता की लड़ाई थी।1863 में बंधन मुक्ति की घोषणा कर दी गई थी और उत्तरी राज्यों की जीत हुई थी।
अमेरिका का ग्रहयुद्ध-
जब लिंकन अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति बने उस दौर ही सन् 1861 लेकर 1865 के बीच अमेरिका में गृह युद्ध छिड़ गया था जो कि अमेरिका के दक्षिणी लोग उत्तरी अमेरिका राज्यों के काले लोगों पर अपना अधिकार जमाना चाहते थे। वहां उनसे मजदूरी और अपना गुलाम बनाना चाहते थे और इस बात के अब्राहम लिंकन खिलाफ थे। वहां कहते थे कि कोई गोरा कोई काला कोई ऊंची जाति भेदभाव का नहीं होना चाहिए सब एक समान है।
17वीं और 18वीं शताब्दी में अमेरिका के दक्षिणी राज्य खेती करने के लिए प्रसिद्ध थे और अफ्रीका से आए लोगों को खेते में मजदूर और गुलाम बनाने का सोचने लगे थे। वहीं से उत्तरी अमेरिकाके राज्यो में इस के विरूद्ध उस समय 1801 में कानून पास हो गया था।abraham lincon biography in hindi
उत्तरी राज्यों के लोग खेती में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अधिक आर्थिक प्रगति करने लगे थे और वहां की जनसंख्या बढ़ रही थी तथा इसके विपरीत दक्षिण राज्यों में केवल वह आधुनिक कृषि पर ही निर्भर थे वह आर्थिक तरक्की से दूर थे।
यहां युद्ध के दौरान समुद्री तट और घाटे अधिक प्रभावित हुई थी जहां यूरोप से आयात-निर्यात होता था। समुद्री तट पर रोक दिया गया था और इसी तरह 1863 और 1864 में तख्तापलट हुआ तथा उत्तरी राज्यों की जीत हुई इसी के साथ गुलामी की प्रथा को खत्म कर दिया गया था और दक्षिणी राज्यों के लिए कोई सख्ती नहीं अपनाई गई थी तथा गुलामी के विरूध कानून बनाया गया।
अब्राहम लिंकन की जिंदगी की एक छोटी रोचक कहानी-
अब्राहम लिंकन एक बहुत गरीब परिवार से थे। उनके पिता मजदूरी करते थे और वह अपने पिता का मजबूरी में हाथ बटवाते थे। पूरा परिवार बहुत रूखी सूखी तरीके से गुजारा कर रहा था। एक दिन ऐसा आया कि जब घर में खाने के लिए कुछ नहीं था।
एक-दो दिन लिंकन देखा करें, परंतु वह अपने परिवार में बड़े थे और उनके छोटे भाई बहन की दुर्दशा उनसे देखी नहीं जा रही थी,वह कुछ सोचते रहे। उसके बाद एक मछली का कांटा उठाकर वह चलने लगी।नदी के किनारे जाकर बैठ गए हैं।abraham lincon biography in hindi
मछली पकड़ने के लिए हवा बहुत तेज चल रही थी, परंतु वहां दिनभर मछली पकड़ने के लिए बैठे रहे और सोचते रहे कि अगर कुछ मछलियां फस जाए तो घर में छोटे भाई बहनों को खाने के लिए कुछ मिल जाएगा और शाम को उनसे एक मछली फसा उसको लेकर चलने लगे,तभी रास्ते में उनकी एक मुलाकात सैनिक से हुई।
सैनिक ने उससे कहा कि मैं लंबे समय से अपने घर से दूर हूं और मैंने कुछ अच्छा खाना नहीं खाया। इस मछली को देखकर मेरा मन कर रहा है एक बाहर खाने का तो क्या तुम मुझे से दे सकते हो? वह बालक (अब्राहम लिंकन) सोचता रहे कि उनके करूं? घर में भाई बहनों को खाने को दूंगा। काफी देर सोचने के बाद उन्होंने सैनिक का पल्ला ज्यादा भारी समझा और वहां मछली सैनिक को दी।
सैनिकों ने अब्राहम लिंकन को धन्यवाद कह कर कहा है कि एक दिन तुम बहुत बड़े आदमी बनोगे हैं, वह चला गया और खाली हाथ जब घर आया तो उसने तो उसकी मां ने पूछा है। क्या एक भी मछली नहीं मिली?
तो अब्राहम लिंकन ने पूरी बात अपनी मां को बताई और कहा कि, मां क्या मैंने गलत किया तो उसकी मां ने कहा कि नहीं बेटा तुमने बिल्कुल सही किया तथा उनकी मां ने कहा कि तुम्हें सैनिक को मछली देखकर यह विश्वास दिया है कि जिस देश के लोग उनका जितना साथ देंगे वह देश के सैनिकों के हौसले उतने ही बुलंद होंगे। उनकी मां ने भी कहा कि तुम एक दिन बहुत बड़े आदमी बनोगे।
अब्राहम लिंकन की असफलताएं-
– सन् 1851 में अब्राहम लिंकन के पिता थॉमस लिंकन अपनी आखरी साँसे गिन रहे थे तभी उन्होंने अपने बेटे से मिलने की आखिरी इच्छा प्रकट की थी। जिस पर कहा जाता है कि अब्राहम लिंकन आखरी बार अपने पिता को पत्र लिखकर कहा था कि ‘अब मिलने से क्या फायदा,अब मिलकर दोनो ही दुखी होंगे! और वहां अपने पिता के अंतिम संस्कार पर भी नहीं गए थे।अब्राहम लिंकन अपनी दयालुता और ज्ञानता के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते थे। सवाल है कि उन्होंने अपने पिता के साथ ऐसा क्यों किया?
-अब्राहम लिंकन जब छोटे थे उस समय पर यूएसए में बच्चों को मारना सही समझा जाता था और अब्राहम लिंकन के पिता थॉमस लिंकन जो कि मजदूर थे। वहां अब्राहम लिंकन की पढ़ने लिखने के खिलाफ थे,वह उनके पढ़ाई पर क्रोधित होते थे।
और वह चाहते थे कि अब्राहम लिंकन पढ़ाई लिखाई ना करके उनके साथ मजदूरी करें। उनका काम में हाथ बटवाय इसलिए वहां उनके ऊपर क्रोधित होते थे और मार मार के अपने खेतों में काम करवाते थे और 15 साल की उम्र में अब्राहम लिंकन को यह महसूस होने लगा था कि वहां मजदूरी कर रहे हैं और एक गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं।इसलिए उन्हें गुलामी की जिंदगी से नफरत हो गई।
-अब्राहम लिंकन का जीवन शुरू से लेकर अंत तक संघर्षों से भरा रहा।अब्राहम लिंकन के चार बेटे हुए थे जिसमें दो की मौत उनकी आंखों के सामने हुई थी और तीसरे का नाम अपने पिता के नाम पर थॉमस दिया था परंतु फिर भी वो यह नाम लेते नहीं थे।और वहां थॉमस की जगह उसको tad बुलाते थे और tad का भी 18 साल की उम्र में मृत्यु हो गई।
-एक बार अब्राहम लिंकन अपने दोस्त को अपनी असफलताओं के बारे में बता रहे थे और बताते हुए वह निराश हो गए हैं परन्तु उसके बाद बोर्ड पर कुछ लिखते रहें तथा इसको पढ़कर उनके दोस्त के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उनके चेहरे पर चमक आ गई।अब्राहम लिंकन ने बोर्ड पर अपने असफलता के बारे मे लिखा था,हमें पता है कि जो जिंदगी भर स्ट्रगल करता हो उसके पास सीखने के लिए कितना कुछ होगा!
-अब्राहम लिंकन जब मात्र 21 साल के थे तब वह अपने पिता से अलग हो गए थे -और 1832 में वह अपनी नौकरी से निकाल दिए गए थे।-1833 में उन्होंने बिजनेस शुरू किया था। वह पूरी तरह से ठप हो गया था।-1835 में वह जिस लड़की से प्रेम करते थे, उनकी प्रेमिका का देहांत हो गया।-1836 में वह पूरी तरीके से डिप्रेशन में चले गए थे।-1843 में,उन्हें अपनी पार्टी से नॉमिनेशन नहीं मिला था।-1848 में वह दोबारा अपनी पार्टी से हार गए।
-1854 में वह सीनेट का चुनाव हारे।-1856 में वह वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव भी पूरी तरह से हारे गए।-1858 में वह दोबारा सीनेट का चुनाव हारे थे।-1861 वह दौर था जिसमें उनकी 11 असफलताओं के बाद उनको शानदार जीत हासिल हुई और उन्होंने अमेरिका का प्रेसिडेंट चुनाव लड़ा और अमेरिका के 16 प्रेसिडेंट बने। (अब्राहम लिंकन की जीवनी)
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-जो लोग अपनी जिंदगी में कामयाब होते हैं, उनके अंदर एक चीज देखने को मिलती हैं कि जिंदगी में जितनी भी प्रॉब्लम हो उसको वह चैलेंज के रूप में लेते हैं।
उनकी लगातार असफलता और एक शानदार जीत से यही सीखने को मिलता है कि जो लोग थकते और हारते नही खुदा ने उनके लिए कामयाबी को रखा है।अब्राहम लिंकन की इतनी असफलताओं के बाद,अब्राहम लिंकन के बारे में यह कहा जा सकता है कि हम लोग जो टीवी पर सीरियल्स में सफल आदमियों को देखते हैं, इसकी हकीकत यह है कि यहां सिर्फ 00.000.1 लोगो के साथ ही होता है,यानी के एक लाख में से एक आदमी के साथ ऐसा होता है।
अब्राहम लिंकन की मोटिवेशन लाइफ स्टोरी-(Biography ऑफ़
एक कोशिश और कर, बैठ ना हार कर तू,तू है पुजारी कर्म का, थोड़ा और इंतजार कर।विश्वास को दृढ़ बना,संकल्प को कृत बना।एक कोशिश और कर,बैठ ना हार कर तू।
अब्राहम लिंकन का जब जन्म हुआ था तो वह इतने गरीब परिवार से थे,गरीब परिवार से होने के बाद वह अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध और महान राष्ट्रपति बने, और उनका व्हाइट हाउस तक का सफर एक छोटे से गरीब घर से लेकर एक बड़ा व्हाइट हाउस तक का सफर संघर्ष भरा रहा।
जब अब्राहम लिंकन छोटे थे तब एक जमीनी विवाद की वजह से उनको अपना घर छोड़ना पड़ा था तब वह लगभग दो साल के थे परंतु अपने दूसरे घर में शिफ्ट होने के बाद भी इनकी परेशानी इनका पीछा तब पर भी इनकी कठिनाइयां इनका पीछा नहीं छोड़ रही थी और मात्र सात साल की उम्र में फिर से एक जमीनी विवाद पर इनको अपना घर वह भी छोड़ना पड़ा।
वह एक नदी के किनारे, छोटे से घर में रहने लगे हैं और वही उनके पिता खेती करने लगे,यहां पर भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई मात्र वहां नौ साल के थे जब उनकी मां का देहांत हो गया ।
अब्राहम लिंकन को पढ़ने का बहुत शौक था लेकिन इनके पिता चाहते थे कि वहां उनकी काम में मदद करें और अपने पिता के ऐसे स्वभाव के कारण ज्यादा दिनों तक स्कूल नहीं जा पाए।
अब्राहम लिंकन ने एक नाव बनाई और एक किनारे से दूसरे किनारे से लोगों को ले जाने का काम शुरू करने लगा, कुछ दिन उसमें खेती भी करी।और अपने बचे हुए टाइम में यह दूसरों के खेतों में खेती करके ही अपना गुजारा करता उसके कई टाइम बाद इन को एक दुकान में नौकरी मिली।
और साथ में सेल्फ स्टडी भी करते रहते रहे कुछ समय बाद उनको पोस्ट ऑफिस में पोस्टमैन की नौकरी मिल गई और इसी के दौरान उन्होंने लोगों की परेशानियों को देखकर राजनीति में आने का विचार किया।
उन्होंने उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा था, परंतु वह बुरी तरह हार गए थे और उन्हें पोस्टमैन की नौकरी छोड़ दी थी। इस वजह से उनके सारे पैसे भी खत्म हो गए। परंतु जिस लड़की से वह शादी करना चाहते थे.
उसकी भी किसी कारणवश किसी कारणवश मृत्यु हो गई थी,एक समय में सब कुछ उनके विरुद्ध हो रहा था और अब्राहम लिंकन इतना डिप्रेशन में चले गए थे कि अपने आप को छुरी चाकू से दूर रखने लगे थे कि कहीं वह खुद को मारना ना ले।
1842 में अब्राहम लिंकन ने शादी करी थी तो तब उनके चार बेटे हुए परंतु उनकी परेशानियां खत्म नहीं हुई थी। इन चार बेटों में सिर्फ एक ही बेटा जिंदा रहता।
अब्राहम लिंकन के जीवन को देखें तो यह कह सकते हैं कि अब्राहम लिंकन हर तरह से हार रहे थे परंतु हार नहीं मान रहे थे।
इन्होंने बार मेंबर का चुनाव लड़ा और हार गए। फिर उसके बाद उन्होंने खुद का बिजनेस भी शुरू किया, उसमें भी हार गए फिर स्टेट रजिस्टर्ड का चुनाव लड़ा। उसमें भी हार गए, फिर से एक बिजनेस शुरू किया था, उसमें भी सफलता हाथ नही आई और 36 साल की उम्र में उनका नर्वस ब्रेकडाउन हो गया तथा पाँच साल के बाद कांग्रेस का चुनाव लड़ा और उसमें भी असफल हो गए।
लगातार इतनी असफलताओं के बाद अच्छे-अच्छे टूट कर बिखर जाते हैं। पर अब्राहम लिंकन को अपनी जिंदगी में एक जिद थी कि जब तक कि जिंदा हूँ लड़ता रहूंगा और शायद यही इनकी सफलता की सबसे बड़ी कुंजी रही।
1860 में अब्राहम लिंकन ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा और अमेरिका का 16 वा राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त हुए।आखिर हार भी कब तक हराती इस बंदे को जो हारने को तैयार ही नही।
अब्राहम लिंकन के जीवन से हर विद्यार्थियों को और हर उस बिजनेसमैन को एक सिख मिलती है जो लगातार असफल होता रहा है असफल हो ना या हार ना, कोई अपमान की बात नहीं, परंतु कोशिश करना छोड़ देना यहां जिंदगी की सबसे बड़ी हार है।

अब्राहम लिंकन के तीन लाइफ लेसन-
अब्राहम लिंकन को पढ़ने के लिए पहले लॉ कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला,दूसरी ओर उन्होंने उधार लेकर बिजनेस शुरू किया है तो वह दिवालिया हो गए। तीसरा,वह 8 बार चुनाव हारते-हारते उसको एक शानदार जीत हासिल हो गई।
अब्राहम लिंकन जो भी बोलेंगे वह बिल्कुल प्रैक्टिकल और जीवन में उतारने लायक हो गया होगा। उनकी जिंदगी के यह तीन लेसन जो सिखने चाहिए है। अब्राहम लिंकन की जीवनी में अब्राहम लिंकन के यह तीन कोट्स! हैं निम्न –
1. मैं धीरे चलता हूं लेकिन मैं कभी उल्टा नहीं चलता-उनका कहना था कि अपने असफलता से भी ही कुछ न कुछ सीखते रहें और अपना एक गोल अवश्य रखें, उसको पाने के लिए दृढ़ निश्चय करते है तो हमें उसी तरह से पूरे दिन एक्टिविटी करनी चाहिए।
जिस तरह से हम रोजाना काम करेंगे,जैसे उठना,बैठना, खाने-पीने को रखेंगे। उसी तरह से हमको अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए सफलता और कामयाबी मिलेगी। हमारे रोज दिन के काम हमारे लक्ष्य को पाने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली है।
2. आप जो भी बनो बहुत बढ़िया बनो-अब्राहम लिंकन का कहना था कि आप जो भी करो आप खुद से करो और उसके लिए लगातार प्रयास करते रहो तथा आप अपने सपने में भी किसी दूसरे की तरह बनने की मत सोचो जो आप हो उसमें आपको शानदार जीत हासिल करो और अपनी एक्टिविटी को लेकर एक अच्छा व्यक्तित्व डिवेलप करो, किसी की कॉपी ना करो जो आप हो उसी में आप बहुत बढ़िया कर सकते हो।
3. जिसकी समझदारी समय के साथ नहीं बड़ती, मैं ऐसे इंसान से दूर रहता हूं।अब्राहम लिंकन का मुझे यह कोट्स सबसे ज्यादा पसंद है और जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को यह कोट्स सबसे ज्यादा ध्यान में रखना चाहिए।जिंदगी में कोई ऐसा नहीं होता जो जिंदगी में जो एक बार हारा न हो, हर इंसान अपनी जिंदगी में एक बार नाकाम जरूर होता है।
परंतु सबसे अच्छा इंसान वह होता है जो अपनी हार से कुछ न कुछ नया सीखता रहे जिसने अपनी गलतियों से ही कुछ नहीं सीखा। वह जिंदगी में कुछ नया सीखने नहीं सकता और तो वहां कुछ नया कर भी नहीं सकता, वह ही एक असफल व्यक्ति है तथा ऐसे व्यक्ति को आपको एक बार गाइड करना है और फिर आगे बढ़ जाना है। वह कुछ समझदार होंगे तो अपनी रह सही चुनेंगे।
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अब्राहम लिंकन के कोटेशन-
“कुछ करने की इच्छा वाले व्यक्ति के लिए इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। “
मुझे अगर किसी पेड़ को काटने के लिए ६ घंटे का समय तो मैं ४ घंटे अपनी कुल्हाड़ी को धारदार बनाने में बिताऊंगा।
अगर कोई भी काम कोई व्यक्ति अच्छे से कर सकता है, तो मैं कहूँगा उसे करने दीजिये। उसे एक मौका दीजिये।
अगर पहले हम ये जन लें की हम कहाँ पर हैं और हम किस दिशा में जा रहे हैं, तो हमें क्या और कैसे करना चाहिए इसका बेहतर निर्णय कर सकते हैं।
मैं जीतने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हूँ लेकिन मैं सही और सच्चे होने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।
जैसा की हमारी परिस्थितिया नयी हैं, हमें विचार करना चाहिए और तरीके से कम करना चाहिए।
अगर आप किसी भी व्यक्ति के अन्दर बुराई खोजने की इच्छा से देखते हैं तो आपको जरुर मिल जाएगी।
जिसके पास धार्मिक माँ है, वो गरीब नहीं है।”
मैंने ये हमेशा ये पाया है की कड़ी सजा या न्याय की तुलना में दया ज्यादा मीठे फल देती है।
सच्चा दोस्त वही हो सकता है जो उसका दुश्मन और आपका दुश्मन दोनों एक ही हो!
शत्रु को मिटाना है तो उसे मित्र भी बना सकते है।
यदि आप एकबार अपनों का भरोसा खो देते है फिर दोबारा से वह सत्कार और सम्मान नही पा सकते है।
आपके जीवन में कितने साल है ये मायने नही रखता है लेकिन बचे हुए सालो में आपका जीवन कितना है ये मायने रखता है।
भले ही धीमी गति से चलो लेकिन जरुर चलो और फिर कभी वापस लौटकर नही चलना।
यदि आपको सीधे खड़े रहना है तो पहले सुनिश्चित कर ले आपके पैर सही जगह पर है।
हमेशा ध्यान में रखिये की आपका सफल होने का संकल्प किसी भी और संकल्प से महत्त्वपूर्ण है।