83 MOVIE REVIEW IN HINDI INTRO
क्रिकेट यह भारत सिर्फ एक खेल ही नहीं हैं बल्कि कई फीसदी भारतीय में क्रिकेट का जूनून खून की तरह रगों में दौड़ता है। इतना ही नहीं क्रिकेट को हमारे देश में एक मजहब के तौर पर देखा जाता है।
भारत की टीम जब मैदान में उतरती है तब ना सिर्फ 11 खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि 100 करोड़ से ज्यादा भारतीय भी देश के लिए एक कतार में खड़े नजर आते हैं। क्रिकेट के अलावा सिनेमाई जगत ही ऐसा दूसरा क्षेत्र हैं जहां दर्शकों में जबरदस्त लोकप्रियता देखी जाती है।
तो सोचिए जब ये दोनों क्षेत्र एक दूसरे के साथ आकर खड़े हो जाएं तो सूरत ए हाल कुछ देखने लायक ही होगा। इस अनुभव की कल्पना ही रोमांच से भर देती हैं। लेकिन यह कल्पना को अब हकीकत में महसूस किया जा सकता है। जी हां इस हफ्ते यानि क्रिसमस वीकेंड पर भारत में लगभग तीन हजार से ज्यादा स्क्रीन्स के साथ 1983 की विश्व विजेता टीम पर बनी फिल्म 83 रिलीज हो चुकी है।
जिसमें भारत में क्रिकेट के धर्म बनने की शुरूआत कहां से हुई इस यात्रा को दिखाने का प्रयास किया है। क्रिकेट प्रेमियों और सिनेमा दर्शकों के लिए यह फिल्म बहुप्रतीक्षित मानी जा रही थी। साथ ही इस फिल्म पर एक अच्छे स्टोरीलाइन को दिखाने का दबाव भी था।
क्योंकि 1983 के कई किस्सों को लोगों नें सुन तो रखा था लेकिन आज तक अपनी आंखों से इस सुनहरे पल को देखने का और इमोशन के साथ जीने का अवसर कुछ कम ही लोगों को मिला था। लेकिन कबीर खान और उनकी टीम ने मिलकर इस सपने जैसी दिखने वाली जीत को हकीकत के आयाम दिये।
शुरूआती रिस्पांस को देखा जाए तो फिल्म दर्शकों रोंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव देने में सफल साबित हुई है। फिल्म और करीब से जानने के लिए कुछ और पहलुओँ को देखना जरूरी है।
83 MOVIE CAST(83 मूवी के कलाकार)
फिल्म 83 की कास्ट की बात की जाए तो फिल्म में एक दो नहीं बल्कि दर्जन भर से ज्यादा मुख्य किरदार हैं। चूकिं 83 के विश्व कप टीम में प्रत्येक खिलाड़ी की अपनी विशेष जगह थी इसलिए मेकर्स ने सभी के योगदान को दिखाने के लिए एक बड़ी स्टार कास्ट को जगह दी है।
टीम के कप्तान यानि कपिल देव की भूमिका में रणवीर सिंह हैं। उनकी पत्नि रोमी देव के किरदार में दीपिका पादुकोण हैं। लिटिल मास्टर कहे जाने वाले सुनील गावस्कर के किरदार में ताहिर राज भसीन हैं।
पूर्व चयनकर्ता और भारतीय बल्लेबाज कृष्णमचारी श्रीकांत की भूमिका को अभिनेता जीवा ने निभाया है। शाकिब सलीम मोहिंदर अमरनाथ को दर्शा रहें हैं। संदीप पाटिल की भूमिका में उनके बेटे चिराग पाटिल हैं।
दिनकर शर्मा कीर्ति आजाद के रूप में दिखाई दे रहे हैं। निशांत दहिया, रोजर बिन्नी के किरदार को प्ले कर रहें हैं। पंजाबी अभिनेता तथा गायक हार्डी संधु और अमी विर्क, क्रिकेटर मदनलाल और बलविंदर सिंह संधु का किरदार निभा रहे हैं। जतिन सरना, यशपाल शर्मा की भूमिका में हैं। साहिल खट्टर ने विकेटकीपर सैयद किरमानी की भूमिका निभाई है।
आदिनाथ कोठारे, दिलीप वेंगेसकर की भूमिका में हैं। धैर्य कर्वा, रवि शास्त्री और आर बद्री सुनील विल्सन के किरदार में हैं। टीम मैनेजर पी आर मान की भूमिका में पंकज त्रिपाठी नजर आ रहे हैं। बोमन ईरानी, कमेंटेटर और पूर्व भारतीय खिलाड़ी फारूख इंजीनियर का किरदार निभा रहें हैं।
ब्रजेन्द्र काला, राजीव गुप्ता, विजय पाटकर भी कुछ सीन्स में नजर आते हैं। इसके अलावा विदेशी खिलाड़ियों की एक बड़ी लंबी कास्टिंग की शामिल की गई है। कुल मिलाकर मेकर्स ने फिल्म को असली ढंग से दिखाने के लिए कास्टिंग पर अच्छी खासी मेहनत की है।
83 MOVIE PLOT
फिल्म की कहानी पूरी तरह से केन्द्रित है एक ऐसी टीम पर जो अच्छ खासे मायने में अंडरडॉग मानी जाती है। जब आपको कमजोर कोई दूसरा समझे तो वह एक प्रेरणा देता है। लेकिन जब आपके अपने आपको कमजोर समझे तो आप पर निराशा के बादल मंडराने लगते हैं।
लेकिन जब आपको सभी कमजोर समझे और कुछ भी ना कर पाने के काबिल भी, तब आपके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं होता लेकिन कुछ कर दिखाने के लिए सब कुछ होता है।
पिछले दो वर्ल्ड में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम 1983 में भी इंग्लैण्ड की सरजमी पर वर्ल्ड खेलने जाती है। लेकिन इस टीम से किसी को भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं होती। टीम का घरेलू बोर्ड, देश के अपने लोग, विदेशी टीमें, पत्रकार, क्रिकेट के जानकार इस टीम को महज टीमों के लिए प्रैक्टिस का जरिया घोषित कर देती हैं। लेकिन इस टीम को एक शख्स अपनी सांसों पर जिंदा रखता है। वह है इस टीम का कप्तान कपिल देव।
वह कप्तान अपने कंधों पर बीड़ा उठाता है, टीम की गाड़ी को खींचने का। और उम्मीद लगाता है एक ऐसी प्रदर्शन की जो उसे अपनों की नजरों में एक काबिल जगह दिलवा सके। टीम की और फिल्म की कहानी और उसका अंजाम हम सबको पता है।
फिल्म में जो दिखाया गया वह है उस हकीकत का साक्षात्कार। फिल्म की शुरूआत एक ही लक्ष्य से शुरू होती है और हास्य और इमोशन तथा परिस्थितियों के सैलाब में गोते खाते हुए अपने तक पहुंचती हैं। इस दौरान एक दर्शक को वह सब कुछ जीने का मौका मिलता है जो फिल्म से उम्मीद लगाकर सिनेमाघरों तक पहुंचा था।
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83 MOVIE REVIEW IN HINDI (83 मूवी का आकलन)
अब आकलन इस बात की फिल्म अच्छी है तो क्यों है और कमतर है तो क्या कारण हैं। सबसे पहले रूझानों में कहा जाए तो फिल्म उम्मीद से बेहतर वाली है। लेकिन यदि कुछ तकनीकी और लॉजिकल पहलू छोड़ दिये जाएं तो, इन पर भी बात होगी लेकिन पहले कुछ सकारात्मक पहलू देखे जाएं।
आज की पीढ़ी जो क्रिकेट की दीवानी है उनमें लगभग सभी लोग ऐसे हैं जिन्होनें 83 के वर्ल्ड कप को अपने आंखो के सामने से गुजरते नहीं देखा होगा। या कहें कि यह युवाओं के युग से बाहर की बात है। हमने इस विश्व को या तो कागजों पर पड़ा है।
या टुकड़ों में इसकी फुटेज को देखा है। लेकिन इन सब से हमें बस जानकारी मिली है ना कि हमनें इस लम्हें को जिया है। इस लम्हें को जीने का पूरा मौका यह फिल्म देती है।
यह फिल्म हमें उस दौर में ना सिर्फ ले जाती है बल्कि उस समय को जीने का पूरा मौका भी देती है। हम इस फिल्म के माध्यम से जान सकते हैं कि वे कौन से कारण थे जो इस टीम को अंडरडॉग मानते थे।
और ऐसे क्या क्रांतिकारी परिवर्तन हुए कि यह टीम रातोंरात सिरमौर बन कर उभरी। यह सारी यात्रा फिल्म 83 हमें पौने तीन घंटों में करवा देती है।
यह फिल्म आज की युवा पीढ़ी को इस गौरवशाली क्षण से रूबरू करवाने पर पूरा और बारीकी से ध्यान देती है। लगभग हर हद तक इसमें कामयाब भी होती है। यह उन यादों का रिक्रिएशन है या वह नींव है जिस पर आज के भारतीय क्रिकेट की मजबूत इमारत टिकी हुई है।
अब बात की जाए फिल्म की राइटिंग की तो फिल्म में कई मौकों पर किरदारों को ताकतवर डायलॉग बोलने का मौका दिया गया है। इसके अलावा डायलॉग केवल लफ्फाजी साबित नहीं होते बल्कि लोगों के जहन में अंदर तक उतर जाने का काम भी करते हैं।
इमोशनल डायलॉग इमोशन जगाते है, व्यंग्य भरे डायलॉग गुस्सा और हास्य के संवाद हंसने का मौका भी देते हैं। फिल्म का स्क्रीनप्ले कसावट भरा है। वहीं डायरेक्शन में कबीर खान ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी है।
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83 MOVIE ACTING PERFORMENCE
83 MOVIE REVIEW IN HINDI -फिल्म 83 की धुरी बेशक रणवीर सिंह हैं। लेकिन इतनी बेहतर फिल्म बिना बेहतर सहयोगी कलाकारों के नहीं बनाई जा सकती थी। इस बात का इल्म फिल्म के मेकर्स को शुरूआत से ही था। इसलिए उन्होनें फिल्म को मजबूती से पेश करने के लिए एक मजबूत सहयोगी कास्ट का चुनाव किया।
फिल्म में ताहिर राज भसीन, जतिन सरना, हार्डी संधु, अमी विर्क तथा जीवा अपने किरदारों को बेहतर ढ़ंग से निभाते हैं। इन किरदारों को कहानी की मांग के लिहाज से छोटा रखा गया है लेकिन इन्हें हम जितनी देर भी स्क्रीन पर देखते हैं, यह अपने अभिनय प्रदर्शन का बेहतरीन नजारा पेश करते हैं।
वहीं फिल्म में पंकज त्रिपाठी भी हैं जो छोटी सी लेकिन अहम भूमिका को अपने अभिनय से मांझने का कार्य करते हैं। वहीं दीपिका पादुकोण का होना ना होना एक बराबर नजर आता है।
अब बात करें केन्द्रीय किरदार रणवीर सिंह यानि कपिल देव की तो वह रणवीर ने स्क्रीन पर एक मिनट के लिए भी कपिल देव के किरदार को नहीं छोड़ा है। दर्शकों को हर रणवीर नहीं बल्कि कपिल देव ही नजर आते हैं।
फिल्म से जुड़ी खबरों में बताय गया था कि रणवीर ने कपिल के किरदार को पकड़ने उनके जैसी आवाज को दोहरानें के लिए महीनों तक मेहनत की। इसके अलावा उनके कठिन बॉलिंग एक्शन को रिक्रिएट करने के लिए उन्हें अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी, जिसका फल हमें फिल्म में देखने को मिलता है।
कुल मिलाकर यदि बात की जाए तो यदि आप क्रिकेट के सच्चे फैन हैं और इसके साथ अच्छे सिनेमा लवर भी तो 83 मूवी आपके लिए इस हॉलीडे वीकेंड एक जोरदार जैकपॉट हो सकती है। फिल्म के कुछ अपवादों को दरकिनार कर दिया जाए तो यह निराश नहीं करती।
83 MOVIE REVIEW IN HINDI पे दी गयी जानकारी कैसी लगी कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिखें।