संयुक्त राष्ट्र की स्थापना तथा इसका इतिहास:-
संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय संघ अथवा संगठन है जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद युद्ध विजेता देशों द्वारा मिलकर की गई थी।
इसी दिन संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों ने हस्ताक्षर किया था। समाचार पत्रों में इस संगठन को संरा भी लिखा जाता है। वर्ष 2006 में 192 सदस्य विश्व मान्यता प्राप्त देश थे।
इस संरचना में सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद,आम सभा, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय आदि शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश फ्रांस, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूनाइटेड किंग्डम जैसे अहम देश शामिल थे।
1948 में मानव अधिकारों की घोषणा उद्देश्यों को निभाने के लिए प्रमाणित की गई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के जाति संहार होने के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव अधिकारों को महत्वपूर्ण समझा गया था।
इन्हीं घटनाओं को भविष्य में रोकने के प्रति अहम समझकर 1948 में सामान्य सभा द्वारा मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत किया गया।
परिणाम स्वरूप 5 मार्च 2006 को सामान्य सभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकारों के उपयोग को त्याग करके संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थापना की गई।
1996 में भारत ने आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक प्रारूप व्यापक अभिसमय की प्रस्तुति की थी, जो एक औद्धोपान्त कानूनी रूपरेखा प्रदान किया।
संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों को काफी उम्मीद थी कि वे युद्ध को सदा के लिए रोक पाने में कामयाब होंगे किंतु 1945 से 1991 के दौरान इसे बनाए रखना बेहद कठिन हो गया जिसका कारण विश्वयुद्ध का विरोधी भागों में विभाजन था।
1942,संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र पर 26 देशों ने हस्ताक्षर किया था।
1945,USA आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगठन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन मे 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी ली और संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किए तब जाकर संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई ।
संयुक्तराष्ट्र के उद्देश्य व कार्य
प्रथम विश्व युद्ध के अंत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सद्वारा विश्व शांति के उद्देश्य से 14 सूत्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
कार्यक्रम में विश्व स्थाई शांति व रचना के लिए सभी देशों का एक संगठन स्थापित करने की बात कही गई थी। 1914 से 1918 के अंत तक दुनिया के सभी देशों को प्रथम विश्वयुद्ध का संघर्ष करना पड़ा।
इसी आधार के स्वरूप विश्वव्यापी स्तर पर अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गई थी।इसी फलस्वरूप अंतरराष्ट्रीय राष्ट्र संघ स्थापित किया गया।
राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से इस संयुक्त राष्ट्र स्थापना की गई थी जिससे कि भविष्य में फिर से कभी द्वितीय युद्ध की तरह कोई युद्ध ना उभरे।
अंतर्राष्ट्रीय शक्ति व सुरक्षा स्थापित करना जिसका मतलब न्याय और सम्मान के आधार पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विकास से युद्ध को टालना है।
भविष्य में विश्वयुद्ध जैसी घटनाओं को रोकना, विश्व भर में शांति व्यवस्था कायम रखना, मानवाधिकार की रक्षा करना, युद्ध को रोकना, सामाजिक आर्थिक विकास को उभारना व बढ़ावा देना,लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना, अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया, बीमारियों के इलाज की व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय मामलों को संभालने के लिए मौका देना तथा असदस्य राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का स्मरण करानाइस संगठन को स्थापित करने के उद्देश्य हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों को सुविधाजनक बनाने में सहयोग।
दुनिया भर के राष्ट्रों के मध्य मानसिक व भौतिक सहयोग को प्रोत्साहित करना जिससे कि मानव सुखी व समृद्ध जीवन जी सके।
पेरिस के शांति सम्मेलन व्यवस्था को बनाए व कायम रखना।
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शान्तिरक्षक दल:-
यह दल सदस्य राष्ट्र द्वारा प्रदान किया गया होता है तथा इसका कार्य शांति रक्षा कार्यों में भाग लेना होता है।
विश्व में कुल 2 राष्ट्र है जो शांति रक्षा कार्य में भाग अथवा हिस्सा लेते हैंपहला पुर्तगाल और दूसरा है कनाडा। शांति रक्षा का प्रत्येक कार्य सुरक्षा परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया होता है।
मानव अधिकारों से संबंधित साथ निकाय-
आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की संसद,
मानव अधिकारों की संसद,
नारी विरुद्ध भेदभाव निष्कासन की संसद,
जाति भेदभाव निष्कासन की संसद,
बच्चों के अधिकारों की संसद,
तथा प्रवासी कर्मचारियों की संसद।
संयुक्त राष्ट्र में महिला :-
4 जुलाई, 2010 को दुनिया भर में महिलाओं के प्रति समानता के मुद्दे को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विश्व निकाय में संयुक्त राष्ट्र महिला के गठन की स्वीकृति एक एजेंसी के रूप में प्रदान की गई थी, और 1 जनवरी, 2011 को इसकी स्थापना हुई थी।
इस संस्था का प्रमुख कार्य महिलाओं के प्रति भेदभाव को खत्म करना तथा उनके सशक्तिकरण की दिशा में प्रयत्न प्रयास करना होता है। 1953 में आठवीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष भारत की विजय लक्ष्मी पंडित बनीं।
राष्ट्र संघ के सदस्य देश :
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, इटलीव चीन आदि ये सदस्य देश वर्साय संधि के हस्ताक्षर करता थे।जर्मनी 1926 में सदस्य बना किंतु 1933 में हट गया। 1933 में ही सोवियत संघ सदस्य बना और 1940 मे हटा दिया गया। जापान द्वारा 1933 मे और इटली द्वारा 1937 में राष्ट्र संघ की सदस्यता त्याग दी गई थी।
इसमें सबसे नया शामिल होने वाला देश दक्षिणी सुधा सूडान है जो 11 जुलाई, 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना।
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में कुल 193 देश हैं जिन्हें विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग व घटक
सुरक्षा परिषद,संयुक्त राष्ट्र सामाजिक और आर्थिक परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय, संयुक्त राष्ट्रीय न्यास परिषद तथा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्वतंत्रसंस्थाएँ:-
इस संघ में कई कार्यक्रमोंव एजेंसियों के साथ हीअन्य 14 स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा इसकी व्यवस्था गठित की जाती है। इन स्वतंत्र संस्थाओं में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्य रूप से शामिल है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की कुछ प्रमुख संस्थाएं व कार्यक्रम निम्न प्रकार ;-संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक परिषद, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद,संयुक्त राष्ट्र व्यापार विकास सम्मेलन,संयुक्त राष्ट्र विकास राजदूत, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व खाद्य कार्यक्रम,संयुक्त राष्ट्र बाल कोष,अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ आदि।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका :–
भारत में शुरुआत से ही संयुक्त राष्ट्र संघ की नीति एवं कार्यक्रमों में सक्रिय तौर पर भागीदारी की, अपनी भूमिका निभाया और पूर्ण रूप से उसका समर्थन भी करता रहा।
1946 के दौरान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा उनके प्रथम संबोधन में बोला गया कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की चार्टर की भावना और बोले गए शब्दों के प्रति पूर्ण रूप से सहयोग करने के लिए तथा निःसंदेह पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2005 में भारत संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि की स्थापना की गई। 2011 से 2012 के दौरान भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रहा।
भारत अब तक सात बार अस्थाई सदस्य रहा है।
भारत की विदेश नीति के अंग, उद्देश्य व सिद्धांत:-
निम्न सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र संघ व्यवस्था के भी अंग ;
विश्व भर में शांति व्यवस्था की स्थापना करना,
जातिगत भेदभाव की समाप्ति करना, अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधानकरना,
गरीब राष्ट्रों के प्रति आर्थिक व सामाजिक सहयोग प्रदान करना,
परतंत्र राष्ट्रों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रति निर्णय का समर्थन करना,
गुट निरपेक्षता सिद्धांतों को अपनाना,
सार्वभौमिक निशस्त्रीकरण तथा पंचशील के नियम अपनाना।
संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ विशेष क्षेत्रों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका:-
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद विशेष क्षेत्रों में कई मुद्दे शामिल हुए जैसे उपनिवेशवाद की समाप्ति, निशस्त्रीकरण, मानव अधिकार, आतंकवाद की समाप्ति, गरीब देशों के विकास से संबंधित मुद्दे, शांति सेना में भारत की भूमिका इत्यादि।यहां प्रमुख की चर्चा करेंगे।
रंगभेद नीति तथा जातिगत भेदभाव का विरोध;-
1946 में भारत ने सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के पहली महासभा में भेदभाव का मुद्दा पेश कियाथा। इसी दौरान दक्षिण अफ्रीका और रोड एशिया रंगभेद की नीति के शिकार थे।
इस कारण भारत व अन्य देशों के समर्थक के साथ 1946 की महासभा ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया जिसमें उल्लेख था कि रंगभेद की नीति संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विरुद्ध है और साथ ही भारत में नेल्सन मंडेला द्वारा चलाए गए आंदोलन का समर्थन किया।
उसी के बादभारत ने रंगभेद नीति के विरोध में दक्षिण अफ्रीका से सारे संबंध तोड़ दिए और 10 दिसंबर 1948 को भारत में महासभा द्वारा घोषणा की गई और जाति भेदभाव को समाप्त करने के लिए नई शुरुआत हुई।
अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा :-
भारत में शुरू से ही तथा सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना के रूप में तत्पर रूप से भाग लिया तथा दुनिया के कई देशों में शांति व्यवस्था स्थापित करने मे सबसे अहम व महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत द्वारा अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ में 59 स्थानों परशांति सेनाओं को भेजा जा चुका है जो कि अभी भी कार्यरत हैं। भारत शांति व सुरक्षा के मामलों में संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण समर्थक तथा सहयोगी है।
उपनिवेश वाद की समाप्ति/ अन्त ;-
भारत द्वारा सबसे पहले दिल्ली में आयोजित ‘एशियाई सम्मेलन’ में और फिर दूसरी बार1955 में इंडोनेशिया में आयोजित ‘एशिया अफ्रीका के राष्ट्रों का सम्मेलन में’ एशिया और अफ्रीका के कई देशों की स्वतंत्रता के लिए मांग उठाई गई थी।
भारत ने इसके लिए अन्य गुलाम देशों को आजादी की मांग के लिए प्रेरित किया। 1960 में भारत ने महासभा में उपनिवेशकों की स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव रखा।
इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए महासभा द्वारा 17 सदस्यीय कमेटी का अध्यक्ष भारत को चुना गया। संयुक्त राष्ट्र संघ में 1960 में भारत के प्रयासों से अफ्रीका के 6 देशों को स्वतंत्र किया गया और वहीं से उपनिवेशवाद का अंत आरम्भ हुआ।
भारत में संयुक्त राष्ट्र (United Nation In India) :-
भारत के संयुक्त राष्ट्र तंत्र में 26 संगठन है जो भारत की सेवा के लिए तैयार रहते हैं।स्थानीय समन्वयक सरकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के महा सचिव के मनोनीत प्रतिनिधि है जो देश के संयुक्त राष्ट्र की टीम का समर्थन और मार्गदर्शन के प्रति नेतृत्व करते हैं।
विश्व के अन्य विकासशील देशों के लिये हित व विकास:-
इन अन्य विकासशील देशों के विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के चार स्तर का उद्देश्य है सभी राष्ट्रों को आर्थिक सामाजिक तथा विकास का सहयोग देना।
भारत ने शुरू से ही तथा सदैव रंग व जाति भेदभाव का विरोध किया है। भारत ने चाहा कि ये राष्ट्र खुद के सहयोग से विकास करें हालांकि इसके लिएविश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अन्य सहयोगी संस्थाएं भी उपस्थित थे। भारत विकासशील देशों के इन मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध है।
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आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी संयुक्त राष्ट्र की स्थापना (establishment of united nation in hindi) कैसी लगी अपनी राय जरूर व्यक्त करें।
काजल पांडेय affairsworld में एक लेखिका हैं जिनको बिज़नेस , जीवनी आदि जैसे विषय के बारे में जानकारी तथा ३ वर्षो का अनुभव भी है।