शिक्षक दिवस पर निबंध(2021 )–Essay On Teachers Day 2021
5 सितम्बर को भारत में हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन आप उन लोगों को प्यार और सम्मान प्रकट करते है। जिनसे आपको कुछ ख़ास सीखने को मिलता है।
शिक्षक कोई भी हो सकता है स्कूल टीचर्स को लेकर कॉलेज के प्रोफ़ेसर तक, जिम ट्रेनर्स से लेकर आपके स्पोर्ट्स कोच तक कोई भी किसी भी क्षेत्र में अगर शिक्षा देने का कार्य करता है। उसे हम अपना स्नेह और सम्मान प्रकट करते है।
भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति का जन्म इस दिन हुआ था, लेकिन आख़िर क्यों सिर्फ़ उनके जन्म दिन को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है?
आख़िर ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा?आइए इस शिक्षक दिवस पर निबंध में जानते हैं :-
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के एक प्रसिद्ध राजनयिक, विद्वान, राष्ट्रपति और दार्शनिक थे। पर इससे बढ़कर को सबसे ज्यादा एक महान शिक्षक थे।

भारत की राजनीति में आने से पहले वह 40 वर्षो तक एक शिक्षक थे। वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी प्रोफेसर रह चुके है। भारत को शिक्षा के क्षेत्र में नई उचाईयो पर ले जाने में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बचपन से किताबों में रूचि लेने वाले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुमनी गाँव में 1888 में हुआ था। डॉ राधाकृष्णन को सर्वपल्ली नाम उनके पूर्वजो से मिला क्योंकि उनके पूर्वज सर्वपल्ली गाँव में रहते थे।
इसलिए वह चाहते थे उनके नाम के साथ सर्वपल्ली नाम भी जुड़ा रहे एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन तिरुमनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थल पर बीता
पढाई में रूचि हमेशा से ही थी
उनकी रूचि पढाई में हमेशा से ही थी। उनकी शुरूआती पढाई एक मिशनरी स्कूल में हुई और आगे की पढाई उन्होंने मद्रास के एक कॉलेज से की।
उन्हें पढ़ते वक़्त उनकी प्रतिभा को देखते हुए कई स्कॉलरशिप से नवाज़ा गया
हिन्दू मान्यताओं के लिए हमेशा आवाज़ उठाई राधाकृष्णन जी ने
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जब अपनी मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए पढाई कर रहे थे, तो उनके कॉलेज में बहुत सारे क्रिस्टन प्रोफेसर हुआ करते थे और वह हमेशा हिन्दू देवी देवताओं और हिन्दू मान्यताओं पर प्रहार किया करते थे।
लेकिन डॉ राधाकृष्णन को ये बात बिलकुल भी पसंद नहीं थी, वह हमेशा भारत की मान्यताओं और आस्था के पक्ष में खड़े नज़र आते थे। लेकिन उन्होंने किसी भी अन्य धर्म और संस्था को चोट नहीं पहुँचाई।
शिक्षक दिवस पर निबंध(2021 )–Essay On Teachers Day 2021
सारी दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में चर्चित थे राधाकृष्णन जी
उन्होंने कम उम्र से ही पढ़ाना शुरू कर दिया था, जब वह यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसूर पढ़ा रहे थे। तब उनके लिखे हुए आर्टिकल सारी दुनिया में पढ़े और पसंद किये जाते थे।
उन्हें हॉवर्ड यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कई बार गेस्ट लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया गया था।
Sarvpalli Radhkrishnan ने कहा :- सारी दुनिया एक विद्यालय है
उनका मानना था कि सारी दुनिया ही एक विद्यालय है, वह हमेशा कहते थे की जिंदगी में कुछ हासिल करने और दिमाग का सही उपयोग सिर्फ़ पढ़ाई कर के ही किया जा सकता है।
उन्होंने अपने लेखों के जरिये दुनिया में भारत को जैसा प्रस्तुत किया उसकी सभी ने बहुत प्रशंसा की है।
डॉ राधाकृष्णन के पुरस्कार
डॉ राधाकृष्णन को साहित्य में 16 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 11 बार नामांकित करा गया। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
उनका राजनीतिक करियर(शिक्षक दिवस पर निबंध)
वो भारत की हमेशा से दुनिया भर में पैरवी करते आये थे। उनके विरोधी भी उनकी शिक्षा के लिए, उनके विचारों के लिए हमेशा उनकी तारीफ़ ही करते थे वह इस बात के खिलाफ़ थे।
कैसे भारत में बाहरी ताक़ते हमारे संस्कृति को नुक़सान पंहुचा रही है और हमारा शोषण कर रही है।
उनके जन्मदिन पर भारत में टीचर्स डे किस लिए बनाया जाता है?
1961 में जब वह भारत के राष्ट्रपति थे तो उनके कुछ विद्यार्थियो ने और साथियो ने उनसे उनका जन्मदिन मानाने की अनुमति मांगी।
जिसपर उन्होंने कहा की मेरे जन्मदिन पर जश्न सिर्फ़ मेरे लिए नहीं होना चाहिए बल्कि अगर देश के सारे शिक्षकों के लिए होगा तो मुझे इस बात से गर्व महसूस होगा।
इसके बाद देश भर में पहली बार टीचर्स डे उनके जन्म दिवस को मनाया गया। इस दिन को हमारे जीवन में आने वाली कठनाईया, चुनौतियाँ और उनसे हमारा मार्गदर्शन करने वालो के लिए मनाया जाता है।
भारत में इस दिन को कैसे मानते है?
भारत में 1965 से ही हर कॉलेज और शिक्षा से जुड़े हर संस्थान में ये दिन एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया जाता है।
विद्यार्थी तरह-तरह का आयोजन कर के अपने शिक्षको को आभार व्यक्त करते है।
कुछ स्कूल में वरिष्ठ विद्यार्थी अपने पसंदीदा अध्यापक का कोर्स अपने छोटे सहभागियों को पढ़ा कर एक शिक्षक की जिम्मेदारी को समझने की कोशिश करते है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू के डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में क्या कहते थे
पंडित जवाहर लाल नेहरू उस वक़्त डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सबसे ख़ास मित्र में से एक थे। उन्होंने कहा डॉ साहब के बारे में कहने के लिए कई महान चीजें है।
उन्होंने जिंदगी भर किसी न किसी रूप में अपने देश की सेवा की है। उनका जीवन, उनके कार्य हर पल हमारा मार्गदर्शन कर सकतें है। वह एक महान शिक्षक थे, जो जिंदगीभर हमें सिखाते रहेंगे और में भी उनसे सीखता रहूँगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार शिक्षक क्या है?
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार शिक्षक होना कोई पेशा नहीं है। ये जीवन को जीने का एक तरीका है। उन्होंने ये भी कहा की हमारे शिक्षकों को दुनिया भर में हो रहे बदलाव को समझना चाहिए और उनपर नज़र रखनी चाहिए .
ताकि आने वाली पीढ़ी पर-पर वह नज़र रख सके और उन्हें दुनिया का सामना करने के लिए तैयार कर सके. उन्होंने कहा की एक गुरु को अपने शिष्य को राष्ट्र हित के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे भारत को विश्व गुरु बनने में मदद मिले।
भारत में शिक्षक दिवस में इस बार क्या महत्वपूर्ण है ?
हर साल 5 सितम्बर को भारत में शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की घोषणा की जाती है .
इस बार 44 शिक्षकों को उनके-उनके शिक्षा की दिशा में योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जायेगा। इसकी सूचना हर साल केंद्र द्वारा जारी की जाती है।
जिसके लिए शिक्षको को पंजीकरण करवाना पड़ता है। इस बार शिक्षक पुरस्कार पंजीकरण प्रक्रिया 1 जून से 10 जुलाई के बीच हुई थी इसके बाद उनको व्यक्तिगत बातचीत के माध्यम के जरिये चुना जाता है।
विश्व शिक्षा दिवस में इस बार क्या ख़ास है? (शिक्षक दिवस पर निबंध)
दुनिया भर में शिक्षक दिवस 5 ऑक्टूबर को मनाया जाता है इस दिन शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया जाता है .
इस दिन को 1994 के बाद लगभग 110 देशों में मनाया जा रहा है। इस प्रकार से 2021 में ये 27 वां शिक्षक दिवस होगा।
इस बार कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दिवस का विषय “COVID-19 पीढ़ी के लिए शिक्षा को पुनर्प्राप्त और पुनर्जीवित करना” है।
क्योंकि हर देश में शिक्षा को भारी नुकसान पंहुचा है बहुत सारे देशों में शिक्षक दिवस अन्य दिन भी मनाया जाता है।
इस शिक्षक दिवस में आप क्या विशेष कर सकते है? (शिक्षक दिवस पर निबंध)
देश इस वक़्त वैश्विक करोना महामारी का शिकार है ऐसे में सारे स्कूल और विश्वविद्यालय बंद है। बच्चे और वयस्क दोनों ही अपने घरों से शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
जिन शिक्षकों को सही से टेक्नोलॉजी की जानकारी नहीं थी वह भी और ज्यादा कड़ी मेहनत कर के बच्चों को पढ़ा के अपना दायित्व निभा रहे है।
ऐसे में आप अपने शिक्षको का हौसला बढ़ाने के लिए उनके लिए घर से ही विशेष कार्यकर्मो का आयोजन कर सकते है। या फिर वीडियो और ऑडियो फॉर्मेट के जरिये आप उनसे कितना प्यार करते है या कितने प्रेरित होते है।
ये तैयार कर के उन्हें भेज सकते है। उनके साथ इन स्थितियों में आप मिल कर देश हित के बारे में सोचेंगे तो हो सकता है करोना ने जितनी तबाही मचाई है जितना असर लोगों की जिंदगी पर छोड़ा है उसका थोड़ा निवारण हो सके
शिक्षक दिवस 2021 (Teachers day 2021) पर शायरी :-
“ शिक्षक होते हैं दीपक जैसा छवि
जो अपने जला करते हैं और दुसरो को देते रवि
न वो रखते हैं कोई भी ख्वाइश बड़ी
बस शिष्य की सफलता ही है उनके खुशियों की लड़ी “
“लाखों में एक गुरु ही अपना
जो न दिखालये झूठा सपना
हर पल देता दिशा निर्देश
गुरु ही सजाये जीवन परिवेश”
आप इस शायरी का उपयोग शिक्षक दिवस पर निबंध लिख सकते हैं ये शायरी आपके शिक्षक दिवस पर निबंध को और अच्छा बना देगा।
शिक्षक दिवस पर दोहा (Doha On Teachers Day)
गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागू पाँय
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो मिलाय।।
इसका अर्थ ये हुआ ये हुआ की गुरु और भगवान दोनों खड़े है तो पहले किसके चरण लागू या किसे पहले प्रणाम करुँ,
लेकिन गुरु ही ऐसा रास्ता या मार्ग प्रदान किया है जिससे आपको भगवान का दर्शन हुआ है, इसीलिए पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए।
पिता जनम देत महज, कच्ची माटी जेस होय
गुरजन के हाथन से माटी मूरत होय।।
इसका अर्थ ये हुआ की पिता तो सिर्फ जन्म देता है पर मात्र जन्म से जिंदगी पूरी नहीं होती है जिंदगी अधूरी होती है
लेकिन जब गुरु से एक अच्छा ज्ञान, शिक्षा, मार्गदर्शन मिलता है तो जिंदगी का एक मतलब निकलता है और जिनदगी अच्छी बन जाती है।
इन दोहों को प्रयोग आप शिक्षक दिवस पर निबंध लिखते वक़त इसका उपयोग कर सकते है शिक्षक दिवस पर दोहे आपके शिक्षक दिवस पर निबंध को और अच्छा बना देंगे। आइये अब आपको एक शिक्षक दिवस पर निबंध लिखा हुआ है उसे पेश करता हूँ।
शिक्षक दिवस पर निबंध (500 शब्द )- Essay On Teachers Day In Hindi in 500 words
“”हम सभी ने अपने स्कूली दिनों में एक ये बात जरूर सुनी होगी कि “शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशित करता है।” यह बात सुनने में तो अच्छी लगती थी लेकिन जैसे हम इस बात के सही अर्थों को जानते हमें अपने जीवन में शिक्षक के महत्व का अहसास होता है।
शिक्षक वास्तव में एक प्रकाश पुंज है जो अपने ज्ञान के असीम आश्रय से कुछ ऐसे प्रदीपों को ज्योति प्रदान करता है जो भविष्य में राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर संवारने वाले हैं।
शिक्षक वृक्ष के उन अंकुरण की देखभाल करता है जो तेजी से बढ़ तो रहें हैं लेकिन यदि उनके संवर्धन में तनिक भी असावधानी बरती गई तो ये बीज या तो नष्ट हो जाएंगे या प्रतिफल देने के योग्य नहीं होंगे।
भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1888 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. राधाकृष्णन की ही याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे 1962-1967 तक देश के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में भी सेवारत रहे।
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह 20वीं सदी के महान विचारकों के रूप में पहचाने जाते हैं। आप ही ने सबसे पहले भारतीय समाज को पश्चिमी दर्शन से परिचित कराया था।
1921 से 1932 तक आप कलकत्ता के एक यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्र के प्रोफेसर रहे। इसके बाद आपने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान आपने विभिन्न मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व किया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके जीवन काल में 16 बार साहित्य के नोबेल तथा 11 बार शांति के नोबेल के लिए नामित किया गया। 1948 में आपने UNESCO में एक प्रतिनिधि सभा की अध्यक्षता भी की।
अपने उपराष्ट्रपति पद के कार्यकाल में राज्यसभा के स्पीकर रहते हुए आपने अपने शिक्षा के अस्त्र के माध्यम से कई बार गहमागहमी को शांत करवाया।
17 अप्रैल 1975 को 86 वर्ष की आयु में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की चेन्नई में मृत्यु हो गई। उन्हें जीवन भर शिक्षा के लिए अनन्य योगदान के लिए 1954 में भारत रत्न से तथा 1975 में Templeton Prize से सम्मानित किया गया।
व्यक्ति के जीवन आमतौर पर दो प्रकार के शिक्षकों का विशेष महत्व है। पहले माता पिता और दूसरे गुरु। जब एक शिशु जन्म लेता है। तो वह समाज के संघर्ष से अनजान होता है। समाज के विभिन्न आयामों से उसका परिचय माता पिता करवाते हैं।
विशेष तौर पर माता शिशु को पहले शब्द से संसार तक के सबक को सिखाती है। वहीं माता जिस शिक्षा को मौखिक रूप में सिखाती है पिता उन्हीं कर्तव्यों को करके दिखाता है और जीवन निर्वाह को प्रशस्त करता है।
वहीं गुरु कच्ची मिट्टी को एक सुव्यवस्थित घड़े का आकार देता है उसे पीटता-ठोकता है और अग्नि में पकाता है। तथा अच्छे बुरे की समझ देकर एक आदर्श नागरिक को तैयार करने में बेहतर प्रयास करता है।
लेकिन ऑनलाइन शिक्षा के दौर में शिक्षकों के महत्व को दरकिनार सा कर दिया गया है। जबकि भारत भूमि एकलव्य और गुरु द्रोणाचार्य जैसी गुरु शिष्य परंपरा की साक्षी है। हमारे पुरातन वेदों में तस्मै श्री गुरुवे नमः यानि गुरुओं को भगवान तुल्य माना गया है। ऐसे में गुरूओं तथा शिक्षकों के महत्व को समझा जाना आवश्यक है।“”
करोना काल में शिक्षकों की स्थिति
ख़ासतौर प्राइवेट शिक्षकों को, उनकी नौकरियाँ चली गयी है और उन्हें घर चलने के लिए अपना व्यवसाय बदलने की जरुरत पड़ रही है।
जिसकी नौकरी है उन्हें वेतन में कटौती कर के मिल रहा है। ये हमारे समाज की एक कड़वी हक़ीक़त है किसी का भी इस दिशा में ध्यान नहीं जा रहा है।
हमारे देश में शिक्षकों को ऐसी दशा से छुटकारा दिलाने के लिए कोई संस्था नहीं है न ही कोई सरकारी योजना है। ऐसे में हमें भारत में करोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में बीते सालों में काफ़ी नुकसान हुआ है.
अपने देश के शिक्षको के हितो के बारे में सोचना होगा और सरकारों को उनकी सहायता के लिए आगे आना होगा। जिससे सही में शिक्षक दिवस का अर्थ सार्थक होगा। शिक्षक दिवस पर निबंध
अगर कोई भी शिक्षा देने वाला व्यक्ति इस दिन परेशानी के साथ सोया तो ये देश के लिए गंभीर समस्या होगी, हमें ये सुनिश्चित करना जरुरी है कि हमारे देश की नीव रखने वाले इज्जत और खुशहाली के साथ अपनी जिंदगी जी सके.
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