भारतीय संविधान के स्रोत(Source Of Indian Constitution)
भारतीय संविधान के स्रोत को समझने से पहले हमें अपने भारतीय संविधान की संरचना को समझना पड़ेगा।
जब कभी भी हम भारतीय संविधान के बारे में पढ़ेंगे तो हमें ये ज़रूर पता चलेगा कि नवंबर 1949 को जब हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था, तब इसमें कुल 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 7 अनुसूची हुआ करते थे।
और तब से लेकर आज 2021 तक लगभग कुल 103 संशोधन किए जा चुके हैं। जिसके बाद अब हमारे संविधान में 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूची जारी की जा चुकी है।
हमारे संविधान में जो अनुच्छेद हैं उन्हें मूल संख्या को बनाए रखने के लिए जब कोई संशोधन किए जाते हैं या नए कानून प्रस्तावित किये जाते हैं, उन्हें वर्णानुक्रम (alphabetical order) में पेश किया जाता है।
जैसे 86th संशोधन
86th संशोधन ने हमें एक नया मौलिक अधिकार दिया ‘शिक्षा का अधिकार’। और इसे संविधान में अनुच्छेद 21A की तरह प्रस्तावित किया गया।
इसीलिए संविधान में अनेक प्रकार के संशोधनों के बावजूद हमारे संविधान का आख़िरी अनुच्छेद 395 है।

भारतीय संविधान में भाग का क्या अर्थ है ?
भारतीय संविधान में जितने भी अनुच्छेद हैं उन्हें विशेष रूप से विषयवार बनाया गया है। जैसे अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक केवल ‘मौलिक अधिकार’ के बारे में बताया गया है और इसी तरह की विशिष्ट विषयवार व्यवस्था को हम ‘भाग’ कहते हैं।
इसी तरह भारतीय संविधान के विभिन्न भागों में अलग अलग अधिकारों की बात की गई है, जैसे भाग III – मौलिक अधिकार (part III – Fundamental Rights), भाग lV – राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (part IV – Directive Principles of State Policy)
इसी तरह संविधान में हर भाग विशिष्ट अनुच्छेद की बात करता है।
भारतीय संविधान में अनुसूची से क्या तात्पर्य है ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद में जो भी प्रावधान दिए गए हैं इसके अलावा जो भी अतिरिक्त जानकारी होती है या अनुसूची के अनुसार जो भी सूची होती है.
जैसे, (Shedule 1&4)- STATES AND UTs अनुसूची 1और 4 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम, उनके प्रदेश क्या होंगे इसके बारे में पूरी जानकारी देता है।
इसी तरह से संविधान में (Shedule 2) – List of Salaries भाग 2 – ‘वेतन की सूची’ और (Shedule 8) – Official Languages भाग 8 – ‘आधिकारिक भाषायें’ कौन कौन सी भाषाएं आधिकारिक हैं, यह सुनिश्चित करता है।
अब एक सवाल यह उठता है कि जैसे संविधान में हमने अनुच्छेद को शामिल किया है, वैसे ही अनुसूची को शामिल क्यों नहीं किया ?
हमारा जो भारतीय संविधान है वो पहले से ही इतना विस्तृत था कि अगर उसमें अनुसूची को भी शामिल कर दिया जाता तो बहुत सी दिक्कतें पैदा हो जाती।
क्योंकि एक संप्रभु राष्ट्र के लिए भारतीय संविधान अधिनियमन में, लगभग 145,000 शब्द शामिल थे। इसीलिए भारतीय संविधान को आसानी से समझने के लिए संविधान को अनुच्छेद, भाग और अनुसूची में बांटा गया।
भारतीय संविधान में अबतक कितने संशोधन विधेयक प्रस्तावित किए जा चुके हैं?
भारतीय संविधान में अबतक 124 संशोधन विधेयक प्रस्तावित किए जा चुके हैं। जिनमें से अब तक 105 संशोधन अधिनियम पारित किए गए हैं।
क्या आप जानते हैं 1946-47 संविधान सभा(constituent assembly) ने पहली बार बैठकर संविधान बनाना शुरू किया गया था
भारत सरकार अधिनियम, 1935 (The Government of India Act, 1935)
आजाद भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 लागू हुआ था।लेकिन इससे पहले ब्रिटिश भारत में ‘भारत सरकार अधिनियम,1935’ जो देश का कानून था। इसीलिए जब संविधान बन रहा था उस समय पर ‘भारत सरकार अधिनियम,1935’ बहुत अच्छा स्रोत बना।
भारत सरकार अधिनियम, 1935 से भारतीय संविधान में सबसे महत्वपूर्ण तीन चीज़े शामिल की गई हैं –
1.आपातकालीन प्रावधान – भाग XVIII अनुच्छेद 352-360 (Emergency Provisions – part XVIII Article 352-360)
2. लोक सेवा आयोग – भाग XIV अनुच्छेद 315-323
(Public Service Commission – part XIV Article 315-323)
3. न्यायतंत्र – भाग V अनुच्छेद 124-147
(Judiciary – part V Article 124-147)
मतलब सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court), उच्च न्यायालय(High Court) और अधीनस्थ(Subordinate) की संरचना यहीं से ली गई है। इसके अलावा संघीय योजना (Federal Scheme) और राज्यपाल का कार्यालय – अनुच्छेद 153 (Office of Governor – Article 153) भी यहीं से लिया गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया भारतीय संविधान के स्रोत
1.मौलिक अधिकार – अनुच्छेद 12-35 (Fundamental Rights – Article 12-35)
‘भारत सरकार अधिनियम,1935’ के तहत मौलिक अधिकारों को लेकर अबतक किसी भी प्रकार के प्रावधान नहीं था। तो 1950 से ही हम भारतीयों को अपने मौलिक अधिकार प्राप्त हुए हैं।
2.न्यायिक समीक्षा – अनुच्छेद 13 (Judicial Review – Article 13)
ये सुनिश्चित करता है कि ऐसा कोई भी कानून ना हो जो हमारे मौलिक अधिकारों को भंग करता हो। इसके अलावा दो महत्वपूर्ण पद को हटाने की प्रक्रिया को हमने संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया है
3.राष्ट्रपति का महाभियोग – अनुच्छेद 61 (Impeachment of the President – Article 61)
4.सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाना – अनुच्छेद 124(4)
(Removal of Supreme Court and High Court judge – Article 124(4))
इसके अलावा हमने अमेरिका के संविधान से हमारे संविधान की प्रस्तावना (Preamble) और न्यायपालिका की स्वतंत्रता (independence of judiciary) को लिया है।
ब्रिटिश संविधान द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
यहां से हमने बहुत महत्वपूर्ण और मूल चीज़े ली हैं जैसे,
1.रिट – संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32 & 226)
(Writs – Right to constitutional remedies (Article 32 & 226)) इसके अलावा हमने लिया है
2.सरकार का संसदीय स्वरूप ( Parliamentary form of Government), एकल नागरिकता का विचार – भाग ll अनुच्छेद 5 तो 11 (The idea of single citizenship – part ll articles 5 to 11), संसदीय विशेषाधिकार – अनुच्छेद 105 ( Parliamentary Privileges articles 105) और विधि नियम (Rule of Law)। विधि नियम ये कहता है किसी भी देश में सरकार सर्वोच्च नहीं होती है। उस देश का कानून या संविधान सर्वोच्च होता है।
आयरलैंड द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
1.राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत – भाग VI अनुच्छेद 36-51 (Directive Principles of State Policy – Part VI articles 36-51) जो कि एक तरह से दिशा निर्देश होते हैं कि किस प्रकार से राज्य को नियंत्रित करना चाहिए, किस तरह से राज्यों के लिए कानून बनने चाहिए आदि।
2. इसके अलावा हमने लिया है ‘राष्ट्रपति के चुनाव की विधि – अनुच्छेद 55 (Method of the election of President – articles 55) और ‘राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए सदस्यों का नामांकन – भाग V अनुच्छेद 80 (Members nominations to the Rajya Sabha by the President – Part V Article 80)
जर्मनी द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
जर्मनी के संविधान को Weimar Constitution भी कहा जाता है। यहां हमने सबसे महत्वपूर्ण चीज़े ली है, आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन – अनुच्छेद 356 (Suspension of fundamental rights during emergency – 356)
जिसमें आपातकालीन के दौरान मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया जाता है।
दक्षिण अफ्रीका द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
यहां से हमने लिया है ‘संविधान का संशोधन – भाग XX अनुच्छेद 368 (Amendment of the Constitution – part XX article 368) और ‘राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव’ (Election of members of the Rajya Sabha)
सोवियत संघ का संविधान (USSR) द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
यहां से हमने ‘मौलिक कर्तव्य’ – भाग IV A अनुच्छेद 51A (Fundamental Duties – part IV A articles 51A) जो की एक तरह का नैतिक दायित्व होता है नागरिकों पर अपनी राष्ट्रीयता को बढ़ाने के लिए। इसके अलावा हमने USSR से लिया है ‘न्याय के आदर्श (सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक)’ (The Ideals of the justice (Social, Economic and Political) जो की हमारी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में व्यक्त है।
कनाडा द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
जैसा कि हम सब जानते हैं हमारे देश में दो सरकारें शाशन करती हैं एक केंद्रीय और दूसरी राज्य सरकार जिसे संघीय संरचना (Federal structure) कहा जाता है। जिसमें ज्यादा शक्ति केंद्रीय सरकार के पास होती है। यह संघीय संरचना हमने कनाडा से लिया है। दूसरा हमने ‘सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार – अनुच्छेद 143’ (Advisory jurisdiction of the Supreme Court – article 143), ‘केंद्र राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति करता है – अनुच्छेद 155, 157’ ( Centre appoints the Governors of the States – article 155, 157) और ‘अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होती हैं – संविधान के अनुच्छेद 248 और संघ सूची की प्रविष्टि 97’ (Residuary powers vest with the Centre – article 248 of the constitution and entry 97 of the union list) ‘अवशिष्ट शक्तियाँ ( Residuary powers) का अर्थ यह है कि जो कोई भी मामला केन्द्रीय, राज्यसमवर्ती सूची में नहीं शामिल किए गए हैं उन पर कानून बनाने कि शक्ति केंद्र के पास है।
ऑस्ट्रेलिया द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
यहां से हमने समवर्ती सूची ली है जो 7th अनुसूची में शामिल है।
1.समवर्ती सूची सातवीं अनुसूची (concurrent list seventh schedule)
2.व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता – भाग XIII अनुच्छेद 301-307 (freedom of trade and commerce – part XIII article 301-307)
3.संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक – अनुच्छेद 108 (joint sitting of the two houses of Parliament – article 108)
फ्रांस द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
फ्रांस से हमने लिया है ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और गणतंत्र के विचार – प्रस्तावना’ ( The ideas of Liberty, Equality, Fraternity and Republic – Preamble) ये चार महत्त्वपूर्ण शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखित रूप में हैं।
जापान द्वारा लिए गए भारतीय संविधान के स्रोत
जापान से हमने ‘कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया – अनुच्छेद 21’ (Procedure Established by Law – article 21) लिया है और इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान अनुच्छेद 21 में दिए गए हैं।
लोगो द्वारा पूछे जा रहे प्रश्नो के उत्तर
भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत कौन कौन से हैं?
भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत निम्न हैं –
1. भारत सरकार अधिनियम 1935
2. ब्रिटेन
3. अमेरिका
4. आयरलैंड
5. कनाडा
6. ऑस्ट्रेलिया
7. जर्मनी
8. सोवियत संघ
9. जापान
10. फ्रांस
11. दक्षिण अफ्रीका
भारतीय संविधान का सबसे बड़ा स्रोत कौन सा है?
भारतीय संविधान का सबसे बड़ा स्रोत भारत सरकार अधिनियम 1935 है।
भारतीय संविधान कितने देशों से मिलकर बना है?
भारतीय संविधान 10 देशों से मिलकर बना है।
इसे भी पढ़ें –संयुक्त राष्ट्र की स्थापना और कार्य प्रणाली
Very informative 😍😍
जानकारीपूर्ण तथा शिक्षाप्रद!
बहुत बहुत धन्यवाद.