Biography of Neeraj Chopra
Biography of Neeraj Chopra –ओलंपिक की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओ में भारत का बरसो का सूखा ख़त्म हो गया . टोक्यो ओलंपिक में कुछ ऐसा हो गया जिसकी उम्मीद शायद किसी को नही थी, भारत के नीरज चोपड़ा भाला फेक प्रतियोगिता में अपने पहले ही प्रयास में 87.50 मीटर भला फेक सबको अचंभित कर दिया आपकी जानकारी के लिए बता दे ये उनका पहला ओलंपिक था, वो आए उन्होने भला फेका और पहली ही बार में इतनी अधिक दूरी तक भाले को फेंक दिया कि दूसरा कोई उस से अधिक दूरी तक भाला फेक ही न सका।

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
नीरज के पास अभी इतिहास रचने का सुनेहरा मौका था. भारत के ओलंपिक इतिहास में अभी तक कोई भी ट्रॅक एंड फील्ड स्पर्धा में मेडल नही जीत सका था. 7 अगस्त को जब भाला फेक प्रतियोगता का फाइनल खेला जा रहा था तब भारत के 130 कोरोड देश वासियों की नज़र नीरज चोपड़ा पर जमी थी, हर कोई उनसे उम्मीद कर रहा था की वो हमारा गोल्ड का सपना पूरा करे और साथ ही साथ भारत का ट्रॅक एंड फील प्रतियोगता का रेकॉर्ड अच्छा करें और नीरज चोपड़ा ने वही किया जिसका सबको बेसब्री से चाहत थी ।
नीरज के जेवेलियन थ्रो में आने की कहानी है काफ़ी दिलचस्प
नीरज को बचपन में कब्बड़ी खेलना काफ़ी पसंद हुआ करता था,लेकिन शुरुवती दीनो में वो काफ़ी मोटे होने के कारण कबड्डी नही खेल पाते थे.. इसलिए उनके घर वालो ने उन्हे जिम भेजना शुरू कर दिया. लेकिन उनके जीवन में तब कोई भी मोटिवेशन नही था जो उन्हे खुशी दे. 14 साल की उमर में उनका लगाव पहली बार जेवेलियन थ्रो से हुआ उनके अंदर की दिलचस्पी देख कर उनके परिवारजन उन्हे स्टेडियम भेजने लगे जहा और लोगों को देख कर उनके अंदर भी उन्होने जेवेलियन थ्रो सीखने की चाहत हुई और वो दिन बा दिन बेहतर होते चले गये.
जेवेलियन थ्रो सीखने के लिए की कड़ी मेहनत
शुरुवती दीनो में हर बच्चे की तरह वो भी कन्फ्यूज़ हो गए थे की उन्हे कौन सा खेल चुनना है. लेकिन धीरे धीरे उन्होने समझा की ये खेल उनको अंदर से उत्साहित करता है, तो उन्होने जेवेलियन थ्रो चुना और इसमें अपना करियर बनाया. दरअसल बचपन में वो पत्थर और लकड़ी फेका करते तो और सब खेलो से ज़्यादा दिलचस्पी उन्हे इस खेल मे हुई.
प्रभावित हुई टोक्यो की तैयारियाँ
भारतीय सेना में तैनात नीरज चोपड़ा 2019 में कोहनी के चोट के चलते काफ़ी संघर्ष कर रहे थे, फिर रिकवरी करने के बाद कारोना महामारी ने उनकी टोक्यो ओलंपिक की तैयारी पर काफ़ी ग्रहण लगाया. लेकिन नीरज ने हार ना मान कर हर दिन को बेहतर बनाने की कवायद में खुदको झोक दिया, फिर मौका आने पर उन्होने अपने प्रसंसाको को निराश नही किया और पहले ही प्रयास में दुनिया को उन्होने ये दिखा दिया की वो भारत के लिए गोल्ड लाने का दम रहते है और में दुनिया में जेवेलियन थ्रो के लिए अपनी दावेदारी पेश की.
नीरज पहले से है भारत के चॅंपियन– Biography of Neeraj Chopra
- 2012 में लखनऊ मे एक नॅशनल जूनियर लेवेल की चॅंपियनशिप में नीरज ने 68.48 मिटर भाला फेक कर अपने करियर की नीव रख दी थी..
- 2016 के जूनियर वर्ल्ड चॅंपियनशिप में 86.48 मिटर भाला फेक उन्होने रेकॉर्ड बनाया और फिर इसको दोहराते हुए 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 86.46 मिटर भाला फेक उन्होने रातोरात जेवेलियन थ्रो में खुद को भारत का सूपरस्टार बना दिया.
- एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के साथ उन्होने नाम कमाया था.
- अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद नीरज दूसरे ऐसे खिलाड़ी है जिन्होने एथलेटिक्स की किसी भी वर्ल्ड चॅंपियनशिप में में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया है, पोलॅंड में आयोजित हुई U20 वर्ल्ड चॅंपियनशिप में उन्होने ये कारनामा किया.
- जिसके बाद 2018 उनको अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था.
कैसे बदली अपने गांव की तस्वीर ?– Biography of Neeraj Chopra
नीरज ने स्पोर्ट्स के ज़रिए भारतीय सेना मे भी अपनी जगह बनाई और अब वो नायब सूबेदार के पद पर सेना में तैनात है. इनका जन्म पानीपत के खंद्रा गांव में हुआ है, आज उस गांव का हर बच्चा नीरज की ही तरह जेवेलियन थ्रो में अपना नाम कमाना चाहता है. उन्होने अपने साहस और हुनर के दम पर लोगो को नाम कमाने का एक नया आयाम दिया है और भारत को एक सैनिक जो दुनिया भर में अपने कारनामो से हमारे देश की खुश्बू दूसरो तक पहुचाए.
नीरज चोपड़ा की शिक्षा– Biography of Neeraj Chopra
नीरज चोपड़ा ने अपनी शुरुवती पढ़ाई हरियाणा से ही की है उन्होने ग्रेजुएशन किया है। अपनी 12 तक की पढ़ाई पूरा करने के बाद बेबीए कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी डिग्री भी वही से हासिल की।
नीरज चोपड़ा के कोच – Biography of Neeraj Chopra
शुरुवती दीनो में उन्होने काफ़ी लोगों से ट्रैनिंग ली पर फिर उनकी मुलाकात ओव होन से हुई जो की जर्मनी के जेवेलियन थ्रो में पेशेवर खिलाड़ी रह चुके है. तब से अब तक वो उनके कोच के पद पे तैनात है.
नीरज की व्यक्तिगत जानकारी– Biography of Neeraj Chopra
नीरज की उमर अभी सिर्फ़ २३ साल है उन्होने अबतक शादी नही की है, उन्होने अपना सारा ध्यान अपना करियर बनाने और देश को उन्नति की और ले जाने में लगा कर रक्खा हुआ है, हमारी प्राप्त जानकारियो के अनुसार कोई भी प्यार जैसे संबंध सामने नही आए है.
नीरज का करियर– Biography of Neeraj Chopra
नीरज को हमेशा से ही कुछ ऐसा करने की ज़िद थी जो बाकी लोगो के मुकाबले अलग हो, तो उन्होने 14 साल की उमर में ही भाला फेकना शुरू कर दिया. उन्होने मुस्किल से मुस्किल टाइनिंग को बखुबी किया और खुद को इतना काबिल बनाया की 16 साल की कम उमर में ही उन्होने एक ऐसा रेकॉर्ड बनाया जिसको हर जेवेलियन थ्रो खेलने वाला खिलाड़ी बनाना की ख्वाहिश रखता है. जिससे उनके करियर को काफ़ी शोहरत मिली उन्होने खुद की कमाई से 2016 में एक भाला खरीदा था जो 7000 हज़ार रुपये का था. वो यही नही रूको उन्होने इंटरनॅशनल लेवल पर खेलने के लिए ₹ 100000 का भाला लिया. इसके बाद उन्होने काफ़ी चॅंपियनशिप में भाग लिया और बढ़ते रहे, उन्होने एशियन चॅंपियनशिप में 50.23 मिटर का फेक कर जीत हासिल की थी फिर नये कोच के साथ ट्रैनिंग कर के नए-नए कीर्तिमान हासिल किए.
नीरज का पाकिस्तान से कैसा रिश्ता ?– Biography of Neeraj Chopra
पाकिस्तान का रेकॉर्ड ओलंपिक में ख़ासा बेकार है, पर इस साल उनके एकखिलाड़ी अरशद नदीम ने जेवेलियन थ्रो के ही फाइनल में प्रवेश किया, जो नीरज को अपना आइडल मानते है. अचंभे की बात ये है की वो नीरज से एक साल छोटे हैं और हमारे देश के रिश्ते को देखते हुए ये बात कहना की वो नीरज से प्रेणना लेते है काफ़ी सराहनिए है. जिससे पाकिस्तान में उनके खिलाफ काफ़ी आलोचना भी हुई पर वो अपनी बात पर अडिग रहे, नीरज को भी ये जान के खुशी होगी की सिर्फ़ भारत ही नही वो पाकिस्तान जैसे देश के लोगों को भी प्रेरित करते है.
नीरज की वर्ल्ड रॅंकिंग – Biography of Neeraj Chopra
नीरज इस वक़्त अपनी सबसे बेहतर रॅंकिंग पे, है जो की 2 ओलिंपिक से पहले उनकी रैंकिंग 4 थी पर गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनकी रैंकिंग 2 हो गई है।
नीरज और अरशद नदीम के बीच होगा काटे का मुकाबला
भारत पाकिस्तान के बीच भिड़त हमेशा से ही काफ़ी रोमचक होती है 7 अगस्त को भी हमे मुकाबले में नीरज और अरशद नदीम के बीच टक्कर देखने की चाहत रख रहे थे और लगा काटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है. लेकिन खेल शुरू हुआ तो शुरुवात से ही अरशद नदीम और नीरज चोपड़ा के बीच बहुत अंतर था.
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