नहीं रहे दिग्गज मध्यमक्रम बल्लेबाज यशपाल शर्मा
क्रिकेट सहित तमाम देश में उस समय शोक की लहर दौड़ गई जब यह खबर सामने आई कि 1983 में विश्व विजेता टीम के सदस्य रहे मध्यक्रम के बल्लेबाज यशपाल शर्मा जी का मंगलवार की सुबह हृदयाघात होने से निधन हो गया। वह 1978 से 1985 तक भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे। उन्हें आज विश्व कप सेमीफाइनल में इंग्लैंड के विरुद्ध ओल्ड ट्रैफर्ड में खेली गई 60 रन की पारी के लिए याद किया जाता है।
Biography Of Yashpal Sharma Cricketer
स्कूल क्रिकेट में खेली 272 रनों की पारी
यशपाल शर्मा का जन्म 11 अगस्त 1954 में लुधियाना, पंजाब में हुआ। यशपाल शर्मा ने 1972 में स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में पंजाब की ओर से जम्मू-कश्मीर के विरूद्ध खेलते हुए 272 बनाकर लोगों का ध्यान पहली बार अपनी ओर खींचा। इसके लगभग दो साल बाद ही यशपाल शर्मा ने नॉर्थ जोन की टीम में जगह बनाई, जो कि उस साल विजय हजारे ट्रॉफी की विजेता टीम रही। दिलीप ट्रॉफी में साउथ जोन के विरुद्ध खेली गई 173 रनों की पारी उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट की यादगार पारियों में से एक रही।
पाकिस्तान के खिलाफ पर्दापण
1978 में ईरानी ट्रॉफी में खेली गई 99 रन की पारी ने यशपाल शर्मा के भारतीय टीम के दरवाजे खोल दिए।
उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पाकिस्तान के दौरे के चयनित किया गया। उन्होंने ने 13 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ अपने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। 1979 में यशपाल शर्मा भारतीय वर्ल्ड टीम के सदस्य रहे। लेकिन वहां उन्हें एक भी मैच में खेलने का मौका नहीं मिला।
लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू
विश्व कप के बाद इंग्लैंड में आयोजित तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में, 2 अगस्त 1979 को लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। इस दौरे पर शर्मा ने लगभग 58 के औसत से 884 रन बनाए। इस प्रदर्शन से उनको भारतीय टीम स्थाई जगह बनाने में कामयाबी हासिल हुई। इसके बाद घरेलू सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने अपने अच्छे प्रदर्शन को जारी रखा। कानपुर टेस्ट में उन्होंने शतकीय पारी खेली और कलकत्ता टेस्ट में उन्होंने 85 रन का योगदान दिया।
ऑस्ट्रेलिया में 8 घंटे मैराथन बल्लेबाजी
1980-81 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर प्रथम श्रेणी की विक्टोरिया के खिलाफ अभ्यास मैच में लगभग 8 घंटे बल्लेबाजी करके 201 की नाबाद पारी खेली। जो उनके प्रथम श्रेणी करियर सर्वश्रेष्ठ पारी रही। इसी दौरे एडीलेड टेस्ट में पर उन्होंने 47 रन बनाकर संदीप पाटिल 147 रन की साझेदारी में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद वह कुछ कारणों के चलते टीम से बाहर हो गए।
1981-82 में अपनी वापसी के दौरान मद्रास टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ 140 रनों की जबरदस्त पारी खेली। उन्होंने गुंडप्पा विश्वनाथ के मैच के पूरे दूसरे दिन खेलते हुए तीसरे विकेट के लिए 316 रन की रिकॉर्ड पारी खेली।
अगले वर्ष वेस्टइंडीज दौरे पर जब शर्मा बल्लेबाजी करने उतरे तो उस समय के दिग्गज मैल्कम मार्शल की गेंद पर चोटिल हो गए और उन्हें मैदान छोड़कर जाना पड़ा। लेकिन वह ठीक इलाज के बाद वापस लौटे और उसी पारी में जुझारू अर्द्धशतक लगाया।
1983 विश्व कप में दूसरे सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाज
1983 वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में यशपाल शर्मा ने 89 रन की पारी खेली। जो कि महारथियों से सजी वेस्टइंडीज टीम के लिए पहली हार का कारण बनी। शर्मा ने अपने इसी प्रदर्शन को पूरे टूर्नामेंट के दौरान जारी रखा। सेमीफाइनल में उन्होंने विजयी योगदान दिया। Bob Wills की यार्कर गेंद पर फ्लिक करके स्क्वायर लेग पर लगाया गया छक्का आज भी प्रशंसकों को रोमांचित कर देता है। यशपाल शर्मा विश्व कप के आठ मैचों में 240 रन बनाए। वह भारत की दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। जिसने भारत को विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया।
1983 के बाद यशपाल शर्मा का करियर ग्राफ लगातार नीचे की ओर रहा। वेस्टइंडीज के घरेलू श्रृंखला में बल्ले से उनका प्रदर्शन साधारण ही रहा। उनकी गेंदबाजी पर दिग्गज बल्लेबाज विवियन रिचर्डस ने चार छक्के लगाकर उन्हें बैकफुट पर ढकेल दिया।
इसके अगले वर्ष इंग्लैंड के खिलाफ चार एकदिवसीय मैचों में उनका सर्वाधिक स्कोर मात्र 10 रन रहा। 1987-88 से प्रथम श्रेणी सीजन में उन्होंने ने पंजाब छोड़कर हरियाणा का हाथ थामा। जहां उनके प्रदर्शन में थोड़ा सुधार हुआ। संन्यास लेने के बाद लेने के बाद वह 1991-92 में रेल्वे के ओर से भी खेलते रहे।
मुख्य चयनकर्ता के रूप में
क्रिकेट छोड़ने के बाद वह भी वह क्रिकेट जगत से जुड़े रहे। उन्होंने अंपायर के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान की।
2003-2006 के दौरान जब भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था तब यशपाल शर्मा को भारतीय टीम का मुख्य चयनकर्ता नियुक्त किया गया। शर्मा ने कोच ग्रेग चैपल का विरोध करते हुए कप्तान सौरव गांगुली के समर्थन किया। इसके बाद वह विवादों के घेरे में भी रहे।
2008 में उन्हें पुनः भारतीय टीम का चयनकर्ता बनाया गया। इस बार इनका कार्यकाल 2011 तक चला जिसमें इन्होंने 2011 की विश्व विजेता टीम का चयन किया। इस प्रकार उन्होंने ने दोनों विश्वकप में अपना योगदान दिया।
2014 में वह दिल्ली टीम के क्रिकेट सलाहकार बने।
अब बस यादों में
इससे पहले वह दिल्ली रणजी टीम के कोच भी रहे।
मंगलवार को अलसुबह 66 वर्ष की आयु में दिग्गज खिलाड़ी का निधन हो गया। हाल ही में हुए दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार से वे बेहद प्रभावित थे। उनकी मौत का उन्हें गहरा आघात पहुंचा था।
उनके निधन सचिन तेंदुलकर, कपिल देव सहित अन्य क्रिकेट जगत की हस्तियों ने दुख व्यक्त किया।
Yashpal sharma legend of cricket