नवरात्री 2021(Navratri 2021)
नवरात्री 2021 – नवरात्रि हिंदू का एक विशेष पर्व है। आपको बता दें कि नवरात्रि बहुत जल्द आने वाला है। मां भवानी और मां दुर्गा की आराधना के ये नौ दिन हम उन्हीं को समर्पित करते हैं और ऐसे में हम सभी हर संभव प्रयास करते हैं कि नवरात्रि में अपने घरों की साफ सफाई करें और मां दुर्गा की पूरे मन और श्रद्धा से आराधना करें।
नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ राते। नौ राते और 10 दिनों के दौरान शक्ति देवी की नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह जानना हम सब के लिए अति आवश्यक होगा कि नवरात्रि हम सभी हिन्दू धर्म के लिए एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भारत में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्री 2021 शुरू होने से पहले यह कार्य जरूर करें
नवरात्रि में जिन भी घरों में माता के लिए पूजा पाठ या व्रत किया जाता है वहां पर हमें कुछ खास चीजों का ख्याल रखना अति आवश्यक होता है।
पहला कार्य है –
शारदीय नवरात्री 2021 शुरू होने से पहले हमें अपने घरों की साफ सफाई अच्छे तरीके से कर लेनी चाहिए जिस प्रकार से हम सभी दिवाली में अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। तामसिक भोजन (लहसन, प्याज) को घर से हटा देना चाहिए, और व्रत शुरू करने से पहले अपने घरों को अच्छी तरीके से शुद्ध और स्वच्छ ज़रूर कर लें।
नवरात्रि में वह दूसरा कार्य जो आपको जरूर करना है-
नवरात्री 2021 में आप माता रानी का व्रत रखते हैं चाहे 1 दिन का या 9 दिन का आप पर निर्भर करता है। वास्तु के अनुसार आप अपने घर में जहां कहीं पर भी कलश स्थापना करते हैं, वहां की दीवार का रंग हल्का होना चाहिए क्योंकि वास्तु के हिसाब से घर में जिस जगह पर कलश की स्थापना की जाती है वहां पर दीवार का हल्के रंग का होना अच्छा माना जाता है।
इसके अलावा आपको कलश स्थापना में दिशा का खास ख्याल रखना चाहिए। माता की पूजा हमें पूरब मुंह होकर के करनी चाहिए। इसका मतलब आपको माता की चौकी को पूरब दिशा में स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा हम दक्षिण दिशा की ओर भी मुंह करके माता की पूजा आराधना कर सकते हैं।
तीसरा वह महत्वपूर्ण कार्य जो आपको जरूर करना चाहिए-
नवरात्री 2021 शुरू होने से पहले अपने घरों के किचन में से तामसिक भोजन जैसे लहसुन,प्याज को हटा दें और किचन को पूरी तरह से शुद्ध बनाएं। इसके अलावा एक और बात का आपको खास ध्यान रखना चाहिए कि जिस चूल्हे पर आप तामसिक भोजन बनाते हैं, उस चूल्हे का उपयोग माता रानी का भोग बनाने में ना करें। माता रानी का भोग बनाने के लिए किसी दूसरे या शुद्ध चूल्हे का उपयोग करें।
चौथा व महत्वपूर्ण कार्य जो आपको चाहिए –
नवरात्री 2021 शुरू होने के पहले दिन ही आपको अपने घर में शुद्धता की निशानी बनाना चाहिए। जैसे आप चाहे तो अपने घर के मुख्य द्वार पर या पूजा कमरे के के बाहर आपको हल्दी या कुमकुम से आप स्वास्तिक का चिन्ह ज़रूर बना ले। इसके अलावा आपको पूजा कमरे में या पूजा स्थल के पास स्वास्तिक का चिन्ह ज़रूर बनाना चाहिए। साथ ही आपको नवरात्रि के पहले दिन ही अपने घरों को गंगा जल से शुद्ध कर लेना चाहिए।
वह पांचवा कार्य जो आपको नवरात्रि में जरूर कर लेना चाहिए –
अगर आप नवरात्री 2021 का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको कलश स्थापना वाले दिन माता की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें और इस बात का खास ख्याल रखें कि माता की मूर्ति या प्रतिमा किसी भी प्रकार से खण्डित ना हो। यह तैयारियां खास आपको नवरात्रि से पहले ही कर लेना है। इसके अलावा आप नवरात्रि में माता की पूजा के लिए आप दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
आपको बता दें कि नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित देवी पक्ष अश्विन के हिंदू महीने में एक अवधि है। यह महालय अमावस्या (अमावस्या की रात जो पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है, मृत पूर्वजों को समर्पित एक पखवाड़ा) के तुरंत बाद शुरू होती है और नौ दिनों तक चलती है।
इसलिए, इसे लोकप्रिय रूप से नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। और चूंकि यह अश्विन में पड़ता है (एक महीना जो ग्रेगोरियन सितंबर/अक्टूबर से मेल खाता है) जब शरद ऋतु का मौसम आता है, इसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। हम सबके लिए खास बात यह है कि भक्त इन नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं।
आपको बता दें कि इस साल शारदीय नवरात्री 2021, 7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो रहे हैं जोकि समाप्त होंगे
15 अक्टूबर विजयादशमी के साथ।
नवरात्री 2021 नवदुर्गा पूजा तिथियां…
7 अक्टूबर – प्रतिपदा घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर – द्वितीया ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर – और चतुर्थी चंद्रघंटा पूजा और कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर – पंचमी स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर – षष्ठी कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर – सप्तमी कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर- अष्टमी महागौरी पूजा
14 अक्टूबर – नवमी सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर- दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन
देवी दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं और नवरात्रि के समय में जो भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
आइए इन नौ शुभ दिनों में पूजा की जाने वाली देवी के रूपों के बारे में जानते हैं …
शैलपुत्री:
यह देवी का पहला रूप है जिसकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था और इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
ब्रह्मचारिणी:
देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। ऐसी मान्यता है कि अगर भक्त पूरे मन से देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, तो देवी उन्हें आशीर्वाद देती हैं।
चंद्रघंटा:
चंद्रघंटा देवी की पूजा नवरात्रि में तीसरे दिन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस देवी की पूजा करने से व्यक्ति को उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
कुष्मांडा:
यह देवी का चौथा रूप है। इनकी पूजा करने से भक्तों को देवी क आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्कंदमाता:
नवरात्रि के पांचवें दिन इनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इनकी उसकी पूजा अर्चना करता है उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
कात्यायनी:
यह देवी का छठा रूप है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी इस देवी की पूजा करता है, उनमें अपार शक्ति का प्रवाह होता है।
कालरात्रि:
यह देवी का सातवां रूप है। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से लोगों में सकारात्मक रूप से वृद्धि होती है।

नवरात्रि का हमारे जीवन में महत्व
देवी दुर्गा भगवान शिव की पत्नी हैं और भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मां हैं। देवी के उत्साही भक्त साल में चार बार नवरात्रि का व्रत रखते हैं। हालांकि, चार नवरात्रों में से – माघ (सर्दी), चैत्र (वसंत), आषाढ़ (मानसून) और शरद (शरद) – जिसमें कि शरद वाला हम सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।
शारद या शारदीय नवरात्रि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर/अक्टूबर में मनाई जाती है। देवी पक्ष अश्विन महीने में अमावस्या के दिन (अमावस्या) के बाद शुरू होता है और दशहरा से एक दिन पहले नवमी के साथ समाप्त होता है।
नवरात्रि देवी को समर्पित है जो स्त्री शक्ति या शक्ति का प्रतीक है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान, नवदुर्गा (दुर्गा के नौ रूपों) की पूजा की जाती है। उत्सव की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना (एक पवित्र बर्तन) से होती है।
भक्त नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं, देवी महात्म्यम का पाठ करते हैं और देवी माँ को समर्पित पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं।
यह त्योहार महिषासुर नाम के एक भैंस राक्षस पर देवी की विजय का प्रतीक है, जिसने बड़े पैमाने पर विनाश किया था। इसलिए, उन्हें महिषासुरमर्दिनी कहा जाता है, जिसका अर्थ है महिषासुर का सफाया करने वाली। ऐसा माना जाता है कि उसके पास ब्रह्मा (निर्माता), विष्णु (संरक्षक) और शिव (संहारक) की संयुक्त शक्तियां हैं।
माता भागवत पुराण में माता की सवारी के बारे में जानिए कुछ महत्वपूर्ण बातें
ऐसा माना जाता है कि सप्ताह के दिनों के अनुसार माता भागवत पुराण में या लिखा गया है कि जब भी माता दुर्गा शेर पर सवार होकर आती है तो भक्तों का कल्याण होता है, भक्तों को माता का सौभाग्य प्राप्त होता है।
वहीं जब माता डोली पर सवार होकर आती हैं तो कुछ परेशानियों का सामना भक्तों को करना पड़ता है। इस दौरान कुछ संक्रामक रोगों के फैलने का डर होता है। राजनीतिक रूप से भी कुछ उथल पुथल होती है।
माता का डोली पर आना किसी भी प्रकार से भक्तों के लिए शुभ संकेत नहीं होता है। इस बार चैत्र नक्षत्र में नवरात्रि का आगमन हो रहा है और चर योग बन रहा है। कहते हैं कि अगर नवरात्रि चैत्र में शुरू हो जाए और चार योग बन जाए तो यह नवरात्रि शुभ कही जाती है। लेकिन माता का डोली पर आने से स्त्री शक्ति को मजबूती मिलेगी।स्त्रियों का राजनीतिक मामलों में वर्चस्व बढ़ जाएगा।
इस बार माता का डोली में आने से राजनीतिक सत्ता में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है, इसके अलावा संक्रामक रोगों और महामारी के प्रमुखों का डर बढ़ सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में हम किस प्रकार से महामारी से गुजर रहे हैं।
आपको बता दें कि इस बार की नवरात्रि घट गई है। इस बार की नवरात्रि में चतुर्थी और पंचमीएक साथ होंगी। मां कुष्मांडा और स्कंदमाता का नवरात्रि में रविवार को एक साथ होगा।
नवरात्री 2021 इन सब बातों को ध्यान में रख कर अच्छी तरह मना सकते हैं।
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