
आंध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में निवास करने वाली कोया जनजाति ने 21 जुलाई को गोंडी दिवस मनाते हुए। गोंडी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। कोया जनजाति के छात्रों, युवाओं, महिलाओं एवं सरकारी कर्मचारियों ने इस दिन बैठकों तथा रैलियों का आयोजन किया।
गोंडी भाषा दिवस Adivasi Samkshema Parishad (ASP) के तत्वावधान में दिल्ली कन्वेंशन-2018 के अनुसार 21 जुलाई को मनाया जाता है। इस मौके पर ASP के राष्ट्रीय समन्वयक ने कहा कि हमारी यह मांग संस्कृति को जीवंत रखने तथा गांवों की सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक है।
38 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग(gondi language in 8th schedule)
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के अनुसार, गोंडी समेत लगभग 38 भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग उठ रही है।
जिनमें अवधी, अंगिका, बुन्देली, बंजारा, बज्जिका, भोजपुरी, भोटी, भोटीया, छत्तीसगढ़ी, धक्ती, गढ़वाली, कोरकु, गोजरी, हो भाषा, कच्छी, कामतापुरी, कार्बी, खासी, कोडावा, ककबरक, कुमाऊँनी, कुराक, कुड़माली, लेप्चा, लिंबू, मिज़ो, मगही, मुंडारी, नागपुरी, निकोबारी, हिमाचली, पालि, राजस्थानी, कौशली / सम्बलपुरी, शौरसेनी, सराइकी, टेनयीडी और तुलू भाषा शामिल हैं।
क्या हैं 8वीं अनूसूची? कौन भाषाएं 8वीं अनुसूची में शामिल हैं?(gondi language 8th schedule)
आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 344 (1) और 351 में मिलते हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाओं को शामिल किया गया है।
प्रारंभ में इस सूची 14 भाषाओं को जोड़ा गया था। जिसमें असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू आदि शामिल है।
तत्पश्चात विभिन्न संशोधनों द्वारा 8 अन्य भाषाओं को इस सूची में स्थान दिया गया। इस सूची में सिंधी भाषा को संविधान के 21वें संशोधन अधिनियम द्वारा 1967 में और कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली भाषा को 71वें संशोधन द्वारा 1992 में, जबकि बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषा को संविधान के 92वें संशोधन द्वारा 2003 में, आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया।
इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 “अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण” संबंधी प्रावधान में कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, को बनाए रखने का अधिकार होगा।
किन क्षेत्रों में बोली जातीहै गोंडी भाषा?
गोंडी भाषा मुख्यत गोंड जनजाति की लोक भाषा है। यह भाषा द्रविड़ भाषा से प्रभावित मानी जाती है। मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ के गोंडवाना क्षेत्र सहित महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों में आए भी इस भाषा को बोलने वाले लोग निवास करते हैं। लोक साहित्य की बात की जाए तो गोंडी साहित्य का एक समृद्ध रुप देखने को मिलता है। आज भी इन वर्गों में कई लोकगीत, त्यौहार गीत, कहावतें आदि प्रचलित है। बहुत सी लोकभाषाओं के इतर गोंडी भाषा की लिपि भी मौजूद हैं। पिछले वर्ष गूगल तथा न्यूजीलैंड की एक कंपनी द्वारा गोंडी भाषा का एक यूनीकोड भी तैयार किया गया है। भारत में आज भी 20 लाख लोग गोंडी भाषा बोलते हैं।
8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने से लाभ
- आठवीं अनुसूची की भाषाओंको साहित्य अकादमी से मान्यता प्राप्त होती है। साहित्य अकादमी विभिन्न भारतीय भाषाओं में निहित साहित्य के संरक्षण तथा उन्हें बढ़ावा देने का काम करती है।
- संबंधित भाषा की कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जा सकेगा।
- संसद सदस्य (MP) और विधानसभा के सदस्य ( MLA) संसद और राज्य विधानसभाओं में संबंधित भाषा बोल सकते हैं।
- संघ लोक सेवा आयोग जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में निर्दिष्ट भाषा के चयन का विकल्प।
- केंद्र सरकार की ओर से विशेष अनुदान सहायता।
- प्राथमिक और हाईस्कूल के पाठ्यक्रमों का भाषा से अध्ययन।
निष्कर्ष
भाषीय मान्यता देने के साथ यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि जैसे ही क्षेत्रीय भाषा बोलियों को संवैधानिक दर्जा दे दिया जाता है इसके साथ ही क्षेत्रीयता के आधार पर अलग राज्य की मांग भी जोर पकड़ने लगती है। साथ ही 8वीं अनुसूची में मौजूद बहुत सी भाषाओं को बोलने वालों की संख्या दिनों-दिन घट रही है। जो कि प्रदत्त अधिकारों को सीमित करता है।