कितना खतरनाक है ओमीक्रान
दूसरी लहर के बाद से पिछले कई महीनों से कोविड 19 वायरस दुनिया के कई देशों में थम सा गया था। लेकिन हाल ही अफ्रीकी देशों से उपजे कोविड 19 वायरस का नये वैरिएंट Omicron ने फिर दुनिया भर में नई दहशत फैला दी है।
बताया जा रहा है कि यह वायरस पिछले डेल्टा वैरिएंट से कई गुना तेजी से फैल रहा है। इस वायरस के प्रकोप से बचने के लिए हाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया को जरूरी सुरक्षा अपनाने के लिए चेताया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न की सूची में जगह दी है। आगे बढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि वैरिएंट ऑफ कंसर्न के क्या मापदंड हैं। जिसने दुनिया को एक बार फिर संकट के बीच ला खड़ा किया है।
वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट
इस श्रेणी में उन वेरिएंट्स को शामिल किया जाता है जिनमें शामिल आनुवांशिक परिवर्तन पूर्णत अनुमानित होते है और उन्हें संचार क्षमता, रोग की गंभीरता या प्रतिरक्षा क्षमता को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है।
ये वेरिएंट्स कई देशों और जनसंख्या समूहों के बीच महत्वपूर्ण सामुदायिक प्रसारण का कारण भी बने है। यह सूची में शामिल वायरस का प्रकार इस और इशारा करता है कि यह वैरिएंट वर्तमान में तो खतरनाक नहीं है लेकिन भविष्य में एक खतरनाक रूप लेकर एक बड़े समुदाय को प्रभावित कर सकता है।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न
वायरस के इस वैरिएंट के परिणामस्वरूप संक्रामकता में वृद्धि, अधिक गंभीर बीमारी जैसे अस्पताल में भर्ती या मृत्यु हो जाना, पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी में महत्वपूर्ण कमी, उपचार या टीके की प्रभावशीलता में कमी या नैदानिक उपचार की विफलता देखने को मिलती है।
अब तक ऐसे चार वेरिएंट अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा थे। जिन्हें वेरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में नामित किया गया था और इन्हें बड़ा खतरा माना गया था। अब इसी सूची में ओमीक्रोन भी शामिल हो गया है। जिसे आगामी समय में एक बड़े खतरे के रूप में चिन्हित किया गया है।
इन पांच वेरिएंट ऑफ कंसर्न के अलावा अब तक कई वेरिएंट्स को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में नामित किया जा चुका है। जिनमें आठ वेरिएंट्स एप्सिलोन, जेटा, ईटा, थेटा, लोटा, कप्पा, लैम्ब्डा, और म्यू शामिल हैं।
एप्सिलोन को मार्च 2021 में यूनाइटेड स्टेट्स में, जेटा को मार्च 2021 में ब्राजील में, ईटा को मार्च 2021 में ही कई देशों में, थेटा को मार्च 2021 में फिलीपींस में, लोटा को मार्च 2021 में यूनाइटेड स्टेट्स में, कप्पा को अप्रैल 2021 में भारत में, लैम्ब्डा को दिसंबर 2020 में पेरू में तथा म्यू को जनवरी 2021 में कोलम्बिया में पहचाना गया था।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न की बात करें तो अब तक इनकी संख्या पांच रही है। जिनमें सबसे पहले अल्फा वेरिएंट को सितंबर 2020 में ब्रिटेन में देखा गया था। इसके बाद बीटा वैरिएंट को दक्षिण अफ्रीका में मई 2020 से पहचाना गया था।
वहीं गामा वैरिएंट ब्राजील मे अक्टूबर 2020 से फैला था। वहीं अबतक का सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा ने भारत में अक्टूबर 2020 से अपने पैर पसारे थे। इसके बाद अब यानी नवंबर 2021 में दक्षिण अफ्रीका से Omicron नामक नए वैरिएंट की पहचान की गई है।
कैसे पड़ा Omicron नाम
कोविड के अबतक के सभी वेरिएंट का नामकरण ग्रीक वर्णमाला के आधार पर किया गया है। जिनमे अल्फा, बीटा, गामा डेल्टा आदि शामिल हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था।
पहले बीमारियों और वायरस का नाम उसी देश के नाम पर रखा जाता था जिस देश में संबंधित बीमारी का प्रसार सबसे पहले देखा गया हो। लेकिन इस नामकरण से देशों को बीमारी के कारण अपमान के भाव से देखा जाता था। जिससे उन देशों की साख पर सवाल खड़े होते थे।
इसी से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निर्णय लिया कि कोविड के वेरिएंट के नाम ग्रीक वर्णमाला पर आधारित होगें। यदि उसी वर्णमाला के आधार पर देखा जाए तो आखिरी वैरिएंट का नाम म्यू था। म्यू के बाद वर्णमाला में न्यू, तथा शी का क्रम आता है। जबकि Omicron, शी का बाद आता।
लेकिन माना जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने न्यू की जगह Omicron नाम इसलिए दिया है क्योंकि न्यू के बाद आने वाले शी का संबंध चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ जुड़ सकता था। जिससे शी जिनपिंग को दुनिया भर में किरकिरी झेलनी पड़ सकती थी। इसके चलते माना जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो वर्ण के नामों को स्किप कर दिया है।
अफ्रीका से हुई है उत्पत्ति
यदि बात करें Omicron वेरिएंट की तो इसका पहला मामला 24 नवंबर को अफ्रीकी देश बोत्सवाना में सामने आया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में भी इसका प्रसार देखने को मिला। इसके प्रसार और गंभीर स्वरूप को देखते हुए।
26 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया। जिसके बाद से विभिन्न देशों ने अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की जांच और आइसोलेशन के बाद ही देश में प्रवेश की अनुमति दी है।
वैज्ञानिक भाषा में Omicron नामक इस वैरिएंट को B.1.1529 के नाम से जाना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस वायरस के म्यूटेंट्स अन्य सभी वेरिएंट से अधिक प्रबल हैं।
साथ ही यह मौजूदा वैक्सीन से उत्पन्न एंटीबॉडी के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका में अब तक 24 फीसदी आबादी पूर्ण रूप से वैक्सीनेटेड है लेकिन यहां वायरस तेजी दस्तक दे रहा है।
वैज्ञानिकों की मानें तो B.1.1529 में मौजूद म्यूटेंट अधिक खतरनाक हैं जो बॉडी के इम्यून सिस्टम को बड़े रूप में प्रभावित कर सकते हैं। जिसके चलते इस वायरस का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रसार बड़ी तेजी से होगा।
जो कि गंभीर परिणामों को जन्म दे सकता है। बता दें कि म्यूटेंट्स वायरस के संरचना के अंदर मौजूद प्रोटीन को कहा जाता है। जिसकी जितनी ज्यादा संख्या होगी वह उतना ज्यादा प्रभावशाली होगा।
वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल की माने तो Omicron वेरिएंट को लेकर बड़े खतरे का अंदेशा जताया है। उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ेगी। ओमीक्रोन को लेकर मिल रही वैज्ञानिक जानकारियां चितां बढ़ाने वाली हैं। बैंसले ने कहा कि हमें जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। हमें और भी डेटा का इंतजार करने की जरूरत है।
मैंने जितने भी वैज्ञानिकों से बात की है, उन्होंने कहा है कि महामारी के लिहाज से यह अच्छा संकेत नहीं हैं। बैसेंल ने और ज्यादा संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि लोगों को काफी समय तक महामारी का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले भी बैंसेल ने कहा था कि नए वेरिएंट के खिलाफ नई वैक्सीन बनकर आने में महीनों का समय लग सकता है।
यदि वैक्सीन की बात की जाए तो मौजूदा वैक्सीन वायरस में मौजूद प्रोटीन पर असर करती हैं। लेकिन इस Omicron वेरिएंट के प्रोटीन ने डेल्टा वेरिएंट की अपेक्षा लगभग तीस बार अपनी संरचना में परिवर्तन किया है। जिसके चलते वैक्सीन इस नए प्रकार कम ही असरदार साबित होगी। वहीं बात की जाए वायरस की प्रसार की तो यह पहले कोरोना से पीड़ित हो चुके लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
यदि 30 नवंबर 2021 तक की बात की जाए तो अब तक लगभग 17 देशों में कोविड के इस नए वैरिएंट से संक्रमित लोग पाए गए हैं। जिसमें दक्षिण अफ्रीका से सर्वाधिक 22, बोत्सवाना से 19, नीदरलैंड और पुर्तगाल से 13-13 पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। इसके अलावा बेल्जियम, हांगकांग, इजरायल, यूनाईटेड किंगडम, कनाडा, स्पेन, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, इटली, डेनमार्क, चेक गणराज्य, जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों भी इकाई की संख्या में इस नए वैरिएंट से पीड़ित मरीज पाए गए हैं।
अब चिंता यह है कि यह Omicron वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तरह ही पूरे विश्व भर में फैलकर फिर एक विकराल रूप धारण न कर लें। इस लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत समेत अन्य देशों को जरूरी उपायों को अपनाने के लिए पहले से ही सतर्क कर दिया।
अब सवाल उठता है कि क्या Omicron वायरसभारत में तीसरी लहर प्रभावी बनाएगा। यदि जानकारों की मानें तो शुरुआती दौर में इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन यदि मौजूदा हालातों को देखा जाए, जहां आज भारत समेत कई देशों में लापरवाही बरती जा रही है। भारत में त्योहारों के बाद लोग कई जगहों पर घूमने निकल रहे हैं। तथा जरूरी सुरक्षा उपायों जैसे मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज कर रहें हैं। कुछ इसी तरह की लापरवाही कोरोना वायरस की दूसरी लहर के समय भी देखी गई थी। जिसके बाद के परिणाम आज तक डराते हैं। ऐसे में मौजूदा वैरिएंट पिछले वैरिएंट से कई गुना ज्यादा खतरनाक है। यदि यह भारत में प्रवेश करता है तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।
हालांकि इसकी मृत्यु दर का अंदाजा लगाने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता हैं। यदि रेट ऑफ इन्फेक्शन के आधार पर Omicron वेरिएंट की तुलना डेल्टा वेरिएंट से की जाए तो डेल्टा वेरिएंट की रेट ऑफ इन्फेक्शन 1.64 थी। जबकि दक्षिण अफ्रीका में रहे प्रसार के आधार पर Omicron का रेट ऑफ इन्फेक्शन 2 है। इस तुलना से दक्षिण अफ्रीका के प्रसार के आंकड़ों के बारे अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसे भी पढ़े– बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है
हमारे द्वारा दी गयी जानकारी कितना खतरनाक है ओमीक्रान कैसी लगी अपनी राय जरूर व्यक्त करें।